रांची: बिजली मद में डीवीसी की बकाया राशि की पहली किस्त राज्य सरकार के खाते से निकाले जाने को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संघीय ढांचे पर कुठाराघात बताया है. उन्होंने कहा कि जिस 5600 करोड़ रुपए का बकाया दिखाया जा रहा है वह दरअसल पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल की है. तब केंद्र सरकार ने इसकी वसूली क्यों नहीं की.
सीएम ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में डीवीसी का एक पैसा भी बकाया नहीं है. मुख्यमंत्री ने कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों को नीचा दिखाने का काम कर रही है केंद्र सरकार. अन्य राज्यों पर कितना बकाया है इसको भी बताना चाहिए. उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य पर कितना बकाया होगा इसको समझा जा सकता है. बावजूद इसके पैसे निकासी की इस व्यवस्था की शुरुआत झारखंड से की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुवार को ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उनकी फोन पर बात हुई थी. उन्होंने एक पत्र का हवाला देकर गौर फरमाने की बात कही थी, लेकिन इससे पहले ही पैसे निकाल लिए गए.
केंद्र सरकार के इस रुख से केंद्र और राज्य के बीच खटास बढ़ेगा. 2014 में जब रघुवर सरकार को राज्य सौंपा था तब डीवीसी का एक पैसा भी बकाया नहीं था. पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने केंद्र और डीवीसी के साथ ऐसा समझौता किया जिसका खामियाजा वर्तमान सरकार को भुगतना पड़ रहा है और इसका माकूल जवाब दिया जाएगा.
लोन कतई मंजूर नहीं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दो टूक कहा है कि एक तरफ केंद्र सरकार डीवीसी के बकाया राशि की पहली किस्त यानी 1417 करोड़ रुपए निकाल चुकी है और अब लोन लेने की बात कह रही है. केंद्र के इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने अस्वीकृत कर दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की आर्थिक स्थिति कैसी है इसकी जानकारी केंद्र सरकार को भी है. बावजूद इसके राज्य सरकार के खाते से पैसे निकाल लिए गए. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पूरे मसले पर वह पुरजोर तरीके से अपनी बात रखेंगे और प्रधानमंत्री को न सिर्फ पत्र लिखेंगे बल्कि उनसे बात भी करेंगे.
न हमने कोयला रोका ना पानी फिर नाइंसाफी क्यों?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोल इंडिया पर राज्य सरकार का बड़े पैमाने पर पैसा निकलता है, लेकिन हमने कोयला ले जाने से कभी नहीं रोका. डीवीसी झारखंड के पानी का इस्तेमाल करती है, लेकिन हमने पानी नहीं रोका फिर बकाया राशि के नाम पर इस तरह का व्यवहार क्यों किया गया.
आर्थिक नाकेबंदी की सीएम ने दिलाई याद
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन के दौरान यहां की जनता ने आर्थिक नाकेबंदी की थी. उसे नहीं भूलना चाहिए. एक तरह से सीएम ने यह बताने की कोशिश की कि अगर इसी तरह व्यवस्था चलती रही तो यहां की जनता आर्थिक नाकेबंदी करने को विवश हो जाएगी.