रांचीः संकट में सहारा बने ऑटो ड्राइवर रवि अग्रवाल आज भीड़ में खो गए हैं. नाम रवि है, जिसका काम दूसरे को रोशन करना है, पर हालात ऐसे हैं कि आज वो खुद गुमनामी के अंधेरे में खोए हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब रवि को ढूंढा तो वो बिल्कुल पहले की तरह ही फिर से आम चालकों की तरह अपनी ऑटो से लोगों के बीच सेवा दे रहे हैं.
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कोविड-19 संक्रमण काल में बीमार लोगों से जब अपने परिजन ही एक-दूसरे से मुंह मोड़ रहे थे, पूरा समाज तनावपूर्ण माहौल से गुजर रहा था. ऐसे माहौल में भी रांची के रहने वाले रवि अग्रवाल ने अपनी ऑटो में मरीजों को अस्पताल पहुंचाकर मदद की. रवि की ऑटो में अब भी वो निशुल्क आपात सेवा का पर्चा चस्पा है. वक्त कैसा भी हो रवि में सेवा का जज्बा आज भी बरकरार है.
रवि अग्रवाल बताते हैं कि 2020-21 के बीच लोग अस्पताल में भर्ती होने के लिए एंबुलेंस का घंटों तक इंतजार करते थे. ऐसे में उन्हें लगा कि यही वक्त है जब लोगों के बीच मानवता का संदेश दिया जा सकता है और इसी सोच के साथ रवि ने सैकड़ों असहाय और लाचार कोरोना मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाया.
पुराने दिनों को लेकर रवि बताते हैं कि एक दिन एक महिला किसी ऑटो चालक को रिम्स अस्पताल जाने के लिए कह रही थी लेकिन वो ऑटो चालक तैयार नहीं हुआ. इसी बीच उसने देखा कि महिला काफी परेशान है, उसकी परेशानी को देखते हुए रवि ने उसे अपनी ऑटो पर बैठाकर रिम्स अस्पताल लेकर गया. जहां की तस्वीर देखने के बाद उसका दिल दहल गया. क्योंकि सैकड़ों मरीज अपनी जान बचाने के लिए बिलख रहे थे. उसी दिन से रवि अग्रवाल ने लोगों को निशुल्क सेवा देना शुरू कर दिया और कोरोना के मरीजों को अस्पताल लेकर जाने लगा. सिर्फ अस्पताल ले जाने का ही काम नहीं बल्कि कोरोना काल में जो मजदूर बिना काम के भूखे मरने को मजबूर हो रहे थे वैसे मजदूरों को भी रवि ने भोजन कराकर उनकी जिंदगी बचायी.
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रवि के इस प्रयास और मानवता को देखते हुए कई सामाजिक संगठनों ने आगे आकर रवि को सम्मानित किया. लेकिन आज भी सरकारी स्तर पर या फिर प्रशासनिक स्तर पर रवि को किसी तरह का सम्मान या लाभ नहीं दिया गया. हालांकि रवि बताते हैं कि उसने यह मानवता का धर्म निभाते हुए काम किया है ना की किसी सम्मान और लाभ के लिए. लेकिन सवाल ये उठता है कि लॉकडाउन और कोरोना के संक्रमण काल में जब लोग एक दूसरे को छूने से परहेज कर रहे थे तो वैसे ही स्थिति में रांची का ऑटो ड्राइवर रवि जिला प्रशासन और राज्य सरकार के साथ हाथ से हाथ मिलाकर लोगों की मदद की, इसके बावजूद लोगों के बीच उन्हें अपनी पहचान देने की जरूरत पड़ रही है.
इस मसले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रांचीवासियों से बात की. उन्होंने कहा कि संकट के दौर में लोगों की मदद करने वाले शख्स को विशेष सम्मान देना चाहिए. उनके माध्यम से दूसरे लोगों के बीच संदेश जा सके और उनका मनोबल में बढ़ोतरी हो सके. कृष्णा गौरी शंकर और चंदन कुमार ने एक सुर में कहा कि आज लोगों की मानसिकता हो गई है कि जो लोग पद पर हैं और पैसे वाले हैं वही किसी की मदद कर सकते हैं लेकिन रवि अग्रवाल ने इस सोच को बदल दिया है और उन्होंने यह साबित कर दिया है कि किसी की मदद करने के लिए आदमी को पैसे और पद की जरूरत नहीं बल्कि एक अच्छी सोच और भावना की जरूरत होती है.
ऑटो चालक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम कुमार बताते हैं कि हमारी संघ की तरफ से ऐसे ऑटो चालकों को हमेशा ही सम्मानित किया गया है. ऐसे ऑटो चालकों के लिए आने वाले समय में भी ऑटो चालक संघ की ओर से विशेष सम्मान की व्यवस्था की जाएगी. जिससे आने वाले समय में राज्य के ऑटो चालकों के बीच एक संदेश जा सके कि वह समाज की सेवा में हमेशा आगे आएं. जिससे हमारे ऑटो चालकों का मनोबल दिन-प्रतिदिन बढ़ता रहे और समाज की सेवा में वह आगे बढ़कर काम करें.