रांची: झारखंड में हर दिन अभी भी कोरोना के नए केस मिल रहे हैं. बीच-बीच में एक दो कोरोना संक्रमितों की मौत भी हो रही है. कोरोना की रफ्तार धीमी होते सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह (Swasthya Suraksha Saptah) में थोड़ी ढील अधिक क्या दे दी कि लोगों ने यह मान लिया कि कोरोना खत्म हो गया. लोग बेखौफ होकर गाइडलाइन का उल्लंघन (Violation of Guidelines) करते हुए सड़कों पर घूम रहे हैं. यह भूल आने वाले समय में महंगा पड़ सकता है.
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फिरायालाल चौक पर खरीददार और दुकानदार दोनों लापरवाह
राजधानी रांची का दिल कहे जाने वाले अतिव्यस्त फिरायालाल चौक पर न सिर्फ लोगों की भीड़ दिखी, बल्कि कपड़े के फुटपाथी दुकान से लेकर फल और चौमिन चार्ट वाले तक हर जगह कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ते नजर आए. वहीं पुलिस और ट्रैफिक पुलिस के जवानों में भी कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने का उत्साह नहीं दिखा.
सदर अस्पताल में न सोशल डिस्टेंसिंग और न मास्क
रांची के लोगों ने अप्रैल और मई महीने में कोरोना की दूसरी लहर का खौफ और मौत का मंजर नजदीक से देखा है. बावजूद सदर अस्पताल में रेजिस्ट्रेशन से लेकर ओपीडी के बाहर हर जगह इलाज के लिए आए लोगों के चेहरे पर न मास्क दिखा और न वो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए.
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सदर अस्पताल ने झाड़ा पल्ला
रांची सदर अस्पताल में कोरोना गाइडलाइन की खुलेआम उड़ाई जा रही है. इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने वैक्सीनेशन के नोडल अधिकारी डॉ अखिलेश झा से सवाल किया तो वो पल्ला झाड़ते नजर आए. हालांकि उन्होंने कहा कि लोगों को खुद समझना होगा कि कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है, लोगों को अभी भी सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है.