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Indian Railway: यात्री सुरक्षा पर रांची रेल मंडल का विशेष ध्यान, 23 ट्रेनों में लगाए गए हैं एलएचबी कोच - ट्रेन में यात्री सुविधा

रांची रेल मंडल की तरफ से यात्री सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. यहां चलने वाले ट्रेनों के कोच को एलएचबी कोच में परिवर्तित किया जा रहा है. जिससे कि लोगों का सफर सुविधाजनक और सुरक्षित हो.

ranchi railway installed lhb coaches in 23 trains
ranchi railway installed lhb coaches in 23 trains
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Published : Apr 22, 2022, 9:10 AM IST

Updated : Apr 22, 2022, 9:21 AM IST

रांचीः ट्रेन यातायात को सुगम और आधुनिक बनाने की कवायद रेलवे की ओर से लगातार की जा रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट हो या फिर रेल पटरियों का विस्तारीकरण. इस दिशा में काफी तेजी से काम चल रहा है. साथ ही ट्रेन की बोगियों और कोच में भी कई परिवर्तन किए जा रहे हैं. पूरे देश के साथ रांची रेल मंडल के ट्रेनों को भी एलएचबी (Linke Hofmann Busch) कोच में परिवर्तित किया जा रहा है.

गांव कस्बों से लेकर महानगरों के बीच पटरियों पर दौड़ती हुई रेलगाड़ी भारतीय जनजीवन का एक अहम हिस्सा है. हम सभी ट्रेन में सफर तो करते हैं. लेकिन उससे जुड़ी कुछ ऐसी बातें होती हैं. जिन्हें हम नहीं जानते हैं. भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है. हर दिन लाखों यात्री इस सुगम यातायात माध्यम से सफर करते हैं. रेलवे की ओर से लगातार रेल यात्रा को सुगम बनाने के लिए कवायद की जा रही है. इसी के तहत देश के विभिन्न रेल मंडल अपने ट्रेनों को एलएचबी कोच में तब्दील करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. रांची रेल मंडल ने भी इस दिशा में कदम उठाया है.

देखें पूरी खबर

बताते चलें कि कोविड संक्रमण के पहले दक्षिण पूर्वी रेलवे के रांची रेल मंडल से कुल 66 जोड़ी ट्रेनें संचालित होती थी. इसमें मेल एक्सप्रेस 48 जोड़ी और पैसेंजर ट्रेनें 18 जोड़ी है. वर्तमान में मंडल की ओर से 43 जोड़ी मेल एक्सप्रेस और 12 जोड़ी पैसेंजर ट्रेन चलाई जा रही है और 4 जोड़ी नई ट्रेनें भी शुरू हुई है. वर्तमान में कुल 59 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. अब तक मंडल की ओर से 23 जोड़ी ट्रेनों को एलएचबी ( LHB) कोच में परिवर्तित कर दिया गया है. जिससे यात्रियों को पहले की तुलना में ज्यादा आरामदेह और सुरक्षित यात्रा का अनुभव हो रहा है.


क्या होता है LHB कोचः इंजन के साथ लगने वाली लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमेन बुश (Linke Hofmann Busch) LHB कोच कहा जाता है. यह कोच जर्मनी से भारत लाया गया था. साल 2000 में इसे जर्मनी से भारत लाया गया था. फिलहाल इसकी फैक्ट्री कपूरथला पंजाब में स्थित है. यह कोच अल्यूमिनियम से बनाए जाते हैं. इस वजह से यह हल्का होता है .इन कोचों में डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है. इनकी अधिकतम रफ्तार की सीमा 200 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. इसमें बैठने की क्षमता भी ज्यादा होती है. गौरतलब है कि पहले एलएचबी कोच का उपयोग सिर्फ एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस जैसी तेज गति से चलने वाली ट्रेनों में किया जाता था. लेकिन बाद में भारतीय रेलवे ने सभी आईसीएफ Integral Coach Factory कोच को जल्द से जल्द अपग्रेड करने का फैसला किया है. एलएचबी कोच सुरक्षा, गति क्षमता, आराम मामलों में नीले रंग के आईसीएफ(Integral Coach Factory) कोच से बेहतर है. नीले रंग के आईसीएफ कोच लोहे से बनाए जाते हैं इसका वजन भी अधिक होता है. इसमें एयर ब्रेक का प्रयोग होता है. इसकी अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. बैठने की क्षमता भी एलएचबी कोच से कम ही होती है. दुर्घटना के दौरान भी आईसीएफ कोच के डिब्बे एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाता है. लेकिन एलएचबी कोच एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं. रांची रेल मंडल अपने सभी ट्रेनों को एलएचबी कोच में तब्दील करने की दिशा आगे बढ़ रहा है. यात्री सुविधा के मद्देनजर मंडल की ओर से रेलवे के निर्देश पर यह कदम उठाया जा रहा है.

रांचीः ट्रेन यातायात को सुगम और आधुनिक बनाने की कवायद रेलवे की ओर से लगातार की जा रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट हो या फिर रेल पटरियों का विस्तारीकरण. इस दिशा में काफी तेजी से काम चल रहा है. साथ ही ट्रेन की बोगियों और कोच में भी कई परिवर्तन किए जा रहे हैं. पूरे देश के साथ रांची रेल मंडल के ट्रेनों को भी एलएचबी (Linke Hofmann Busch) कोच में परिवर्तित किया जा रहा है.

गांव कस्बों से लेकर महानगरों के बीच पटरियों पर दौड़ती हुई रेलगाड़ी भारतीय जनजीवन का एक अहम हिस्सा है. हम सभी ट्रेन में सफर तो करते हैं. लेकिन उससे जुड़ी कुछ ऐसी बातें होती हैं. जिन्हें हम नहीं जानते हैं. भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है. हर दिन लाखों यात्री इस सुगम यातायात माध्यम से सफर करते हैं. रेलवे की ओर से लगातार रेल यात्रा को सुगम बनाने के लिए कवायद की जा रही है. इसी के तहत देश के विभिन्न रेल मंडल अपने ट्रेनों को एलएचबी कोच में तब्दील करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं. रांची रेल मंडल ने भी इस दिशा में कदम उठाया है.

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बताते चलें कि कोविड संक्रमण के पहले दक्षिण पूर्वी रेलवे के रांची रेल मंडल से कुल 66 जोड़ी ट्रेनें संचालित होती थी. इसमें मेल एक्सप्रेस 48 जोड़ी और पैसेंजर ट्रेनें 18 जोड़ी है. वर्तमान में मंडल की ओर से 43 जोड़ी मेल एक्सप्रेस और 12 जोड़ी पैसेंजर ट्रेन चलाई जा रही है और 4 जोड़ी नई ट्रेनें भी शुरू हुई है. वर्तमान में कुल 59 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन हो रहा है. अब तक मंडल की ओर से 23 जोड़ी ट्रेनों को एलएचबी ( LHB) कोच में परिवर्तित कर दिया गया है. जिससे यात्रियों को पहले की तुलना में ज्यादा आरामदेह और सुरक्षित यात्रा का अनुभव हो रहा है.


क्या होता है LHB कोचः इंजन के साथ लगने वाली लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमेन बुश (Linke Hofmann Busch) LHB कोच कहा जाता है. यह कोच जर्मनी से भारत लाया गया था. साल 2000 में इसे जर्मनी से भारत लाया गया था. फिलहाल इसकी फैक्ट्री कपूरथला पंजाब में स्थित है. यह कोच अल्यूमिनियम से बनाए जाते हैं. इस वजह से यह हल्का होता है .इन कोचों में डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है. इनकी अधिकतम रफ्तार की सीमा 200 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. इसमें बैठने की क्षमता भी ज्यादा होती है. गौरतलब है कि पहले एलएचबी कोच का उपयोग सिर्फ एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस जैसी तेज गति से चलने वाली ट्रेनों में किया जाता था. लेकिन बाद में भारतीय रेलवे ने सभी आईसीएफ Integral Coach Factory कोच को जल्द से जल्द अपग्रेड करने का फैसला किया है. एलएचबी कोच सुरक्षा, गति क्षमता, आराम मामलों में नीले रंग के आईसीएफ(Integral Coach Factory) कोच से बेहतर है. नीले रंग के आईसीएफ कोच लोहे से बनाए जाते हैं इसका वजन भी अधिक होता है. इसमें एयर ब्रेक का प्रयोग होता है. इसकी अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. बैठने की क्षमता भी एलएचबी कोच से कम ही होती है. दुर्घटना के दौरान भी आईसीएफ कोच के डिब्बे एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाता है. लेकिन एलएचबी कोच एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं. रांची रेल मंडल अपने सभी ट्रेनों को एलएचबी कोच में तब्दील करने की दिशा आगे बढ़ रहा है. यात्री सुविधा के मद्देनजर मंडल की ओर से रेलवे के निर्देश पर यह कदम उठाया जा रहा है.

Last Updated : Apr 22, 2022, 9:21 AM IST
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