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रांची की मेयर आशा लकड़ा का सीएम हेमंत सोरेन पर हमला, कहा- राज्य सरकार को नहीं गरीबों के पेट की चिंता

रांची की मेयर आशा लकड़ा ने अब हेमंत सरकार पर प्रहार किया है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत आंशिक लॉकडाउन की घोषणा की जा रही है. दोपहर 2 बजे के बाद न तो फुटपाथ पर ठेले-खोमचे लग रहे हैं और न ही रोजी-रोटी का कोई वैकल्पिक साधन है.राज्य सरकार को गरीबों के पेट की चिंता नहीं है.

Ranchi Mayor Asha Lakra gave a statement on Hemant Soren in ranchi
रांची मेयर आशा लकड़ा का सीएम हेमंत सोरेन पर तीखा हमला
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Published : May 6, 2021, 5:55 PM IST

रांची: मेयर आशा लकड़ा ने बुधवार को कहा कि कोरोना महामारी के बढ़ते प्रसार की रोकथाम और कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए हेमंत सरकार सिर्फ आंशिक लॉकडाउन की बात कर रही है. गरीबों को अनाज और जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार के पास कोई योजना नहीं है.

ये भी पढ़ें- कोविड सेंटर में मिकी और मिन्नी माउस संग मरीजों ने किया जमकर डांस

मेयर ने कहा कि 22 अप्रैल से लगातार पूरे राज्य में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत आंशिक लॉकडाउन की घोषणा की जा रही है. दोपहर 2 बजे के बाद न तो फुटपाथ पर ठेले-खोमचे लग रहे हैं और न ही रोजी-रोटी का कोई वैकल्पिक साधन है. अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिक भी अपने-अपने गांव पहुंचकर राज्य सरकार के भरोसे ही एक-एक दिन काट रहे हैं. फिर भी राज्य सरकार को गरीबों के पेट की चिंता नहीं है.


मेयर ने उठाए सवाल
मेयर ने राज्य सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड सरकार लोगों को उनके घरों में कैद कर कोरोना महामारी पर विजय पाना चाहती है. जबकि हालात ऐसे हैं कि लोग भूख से तड़प रहे हैं. जिस महामारी से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी पावर को मजबूत करने की जरूरत है, उसे राज्य की दिशाहीन सरकार कमजोर करने पर तुली हुई है.

ऐसी परिस्थिति में राज्य की गरीब जनता बेबस और लाचार हो चुकी है. राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री बार-बार एक ही रट लगाए हुए हैं कि राशन कार्ड धारकों को मई के अंत तक मई और जून का अनाज घर-घर पहुंचाया जाएगा. साथ ही जिनके पास राशन कार्ड की सुविधा नहीं है उनके लिए भी अनाज की व्यवस्था की जाएगी. हालांकि मंत्री ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि राशन कार्ड धारकों को घर-घर अनाज कैसे उपलब्ध कराया जाएगा.

सरकार लाचार क्योंः मेयर

मेयर ने कहा कि पिछले वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को राज्य सरकार ने एयरलिफ्ट कर उनके घर तक पहुंचाया था. जरूरतमंदों को 2 वक्त की रोटी के लिए सीएम किचन, सामुदायिक किचन समेत राज्य के 450 थानों में निःशुल्क भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. इस नेक कार्य के लिए राज्य सरकार ने वाहवाही भी खूब बटोरी, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दूसरे लहर में राज्य सरकार इतनी बेबस और लाचार क्यों है.


मेयर ने कहा कि राज्य की गरीब जनता कोरोना संक्रमण से भयभीत है. अस्पतालों में प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत की तादाद देखकर उनकी हिम्मत टूट रही है. राज्य सरकार से जिस मदद की उम्मीद थी उससे भरोसा टूट रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कोरोना संक्रमण की वास्तविक स्थिति को देख सशंकित हैं, लेकिन इस विषम परिस्थिति से निपटने के लिए उनके पास कोई ठोस प्लानिंग भी नहीं है. मेयर ने राज्य सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि वर्तमान समय और हालात को देखते हुए जल्द से जल्द राशन कार्ड धारकों को अनाज उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए.

रांची: मेयर आशा लकड़ा ने बुधवार को कहा कि कोरोना महामारी के बढ़ते प्रसार की रोकथाम और कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए हेमंत सरकार सिर्फ आंशिक लॉकडाउन की बात कर रही है. गरीबों को अनाज और जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने की दिशा में राज्य सरकार के पास कोई योजना नहीं है.

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मेयर ने कहा कि 22 अप्रैल से लगातार पूरे राज्य में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत आंशिक लॉकडाउन की घोषणा की जा रही है. दोपहर 2 बजे के बाद न तो फुटपाथ पर ठेले-खोमचे लग रहे हैं और न ही रोजी-रोटी का कोई वैकल्पिक साधन है. अन्य राज्यों से लौटे प्रवासी श्रमिक भी अपने-अपने गांव पहुंचकर राज्य सरकार के भरोसे ही एक-एक दिन काट रहे हैं. फिर भी राज्य सरकार को गरीबों के पेट की चिंता नहीं है.


मेयर ने उठाए सवाल
मेयर ने राज्य सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि झारखंड सरकार लोगों को उनके घरों में कैद कर कोरोना महामारी पर विजय पाना चाहती है. जबकि हालात ऐसे हैं कि लोग भूख से तड़प रहे हैं. जिस महामारी से लड़ने के लिए शरीर की इम्यूनिटी पावर को मजबूत करने की जरूरत है, उसे राज्य की दिशाहीन सरकार कमजोर करने पर तुली हुई है.

ऐसी परिस्थिति में राज्य की गरीब जनता बेबस और लाचार हो चुकी है. राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री बार-बार एक ही रट लगाए हुए हैं कि राशन कार्ड धारकों को मई के अंत तक मई और जून का अनाज घर-घर पहुंचाया जाएगा. साथ ही जिनके पास राशन कार्ड की सुविधा नहीं है उनके लिए भी अनाज की व्यवस्था की जाएगी. हालांकि मंत्री ने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया कि राशन कार्ड धारकों को घर-घर अनाज कैसे उपलब्ध कराया जाएगा.

सरकार लाचार क्योंः मेयर

मेयर ने कहा कि पिछले वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को राज्य सरकार ने एयरलिफ्ट कर उनके घर तक पहुंचाया था. जरूरतमंदों को 2 वक्त की रोटी के लिए सीएम किचन, सामुदायिक किचन समेत राज्य के 450 थानों में निःशुल्क भोजन की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी. इस नेक कार्य के लिए राज्य सरकार ने वाहवाही भी खूब बटोरी, लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की दूसरे लहर में राज्य सरकार इतनी बेबस और लाचार क्यों है.


मेयर ने कहा कि राज्य की गरीब जनता कोरोना संक्रमण से भयभीत है. अस्पतालों में प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत की तादाद देखकर उनकी हिम्मत टूट रही है. राज्य सरकार से जिस मदद की उम्मीद थी उससे भरोसा टूट रहा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कोरोना संक्रमण की वास्तविक स्थिति को देख सशंकित हैं, लेकिन इस विषम परिस्थिति से निपटने के लिए उनके पास कोई ठोस प्लानिंग भी नहीं है. मेयर ने राज्य सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि वर्तमान समय और हालात को देखते हुए जल्द से जल्द राशन कार्ड धारकों को अनाज उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए.

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