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झारखंड की राजनीति में राजभवन बनाम हेमंत सोरेन की सियासत, महंगी न्याय व्यवस्था से 1932 खतियान तक - Jharkhand news

झारखंड की राजनीति में राजभवन बनाम हेमंत सोरेन की राजनीति चल रही है (Raj Bhavan vs CM Hemant soren in Jharkhand). झारखंड में एक तरफ हेमंत 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति लागू करते हैं, तो वहीं कोर्ट फीस संशोधन विधेयक को पास कर न्याय व्यवस्था को महंगी करते हैं, जिसे राजभवन पुनर्विचार करने के लिए निर्देशित करते हुए वापस कर दिया है.

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Published : Sep 28, 2022, 8:24 PM IST

Updated : Sep 28, 2022, 8:40 PM IST

रांची: झारखंड की राजनीति में राजभवन बनाम हेमंत सोरेन की जो सियासत चल रही है (Raj Bhavan vs CM Hemant soren in Jharkhand) उसमें एक पन्ना जुड़ता है, तो दूसरे पन्ने पर कुछ नया लिख दिया जाता है. कोरा कागज इसलिए भी नहीं छोड़ा जा रहा है कि शायद प्रेम की कोई ऐसी बानगी बची नहीं है, जिसमें कुछ अच्छा लिखा जाए.

ये भी पढ़ें: हेमंत सरकार को राज्यपाल से एक और झटका, कोर्ट फीस संशोधन विधेयक को किया वापस

झारखंड में आदिवासी सियासत को हेमंत सोरेन ने जिस तरीके से जगह दी, 1932 खतियान आधारित राजनीति को स्थानीय मुद्दे की तहत, साथ ही 27 फीसदी का आरक्षण यह दोनों चीजें अपने राजनैतिक कार्ड में रखकर के हेमंत सोरेन ने केंद्र के पाले में डाल दिया कि मुद्दा वहां था, आदेश मिला नहीं तो लागू हुआ नहीं. इस राजनीति को शायद 24 में भंजाने की कोशिश होती, लेकिन उसके बाद दूसरा पन्ना राजभवन फिर जोड़ दिया कोर्ट फीस की बढ़ोतरी जो हेमंत सरकार ने की थी राजभवन ने पुनर्विचार के लिए उसे फिर से सरकार के पास भेज दिया.

देखें वीडियो

सवाल उठ रहा है कि जिस न्याय के साथ विकास और विकास के एजेंडे में न्याय की बातें की जाती हैं. उसमें जब न्याय महंगा होगा तो गरीबों तक पहुंचेगा कैसे. चलने के लिए जिन पगडंडियों पर अभी भी जिनके पैरों में चप्पल नहीं है पहनने के लिए 10 रुपए की धोती जाती है, कहने के लिए जिन्हें आदिवासी कह दिया जाता है वह महंगे न्याय को कैसे वहन कर पाएंगे. एक बड़ा सवाल है. बीजेपी 2024 में इस मुद्दे को जरूर उठाएगी क्योंकि नारों में जब वादों की बात होगी तो संभव है कि महंगे न्याय की बात जरूर मंच के कही जाएगी अब देखने वाली बात ये होगी कि न्याय के साथ बीजेपी जिस जीत की बात कर रही है उसे किस तरीके से हेमंत पटखनी देते हैं क्योंकि विचारों मे और राजनीति में अतर बहुत बड़ा है विभेद भी पहुंत बड़ा है क्योंकि 32 की सियासत 27 फीसदी का आरक्षण और महंगा न्याय एक दूसरे का इतना बड़ा विरोधाभाषी पर्याय लिए खड़ा है कि अगर इसका आधार जमीन से जुड़ता भी है तो भी सियासत के कई पन्ने ऐसे हैं जिसमें बहुत कुछ लिखा जा सकता है जोड़तोड़ की गणित भी.

रांची: झारखंड की राजनीति में राजभवन बनाम हेमंत सोरेन की जो सियासत चल रही है (Raj Bhavan vs CM Hemant soren in Jharkhand) उसमें एक पन्ना जुड़ता है, तो दूसरे पन्ने पर कुछ नया लिख दिया जाता है. कोरा कागज इसलिए भी नहीं छोड़ा जा रहा है कि शायद प्रेम की कोई ऐसी बानगी बची नहीं है, जिसमें कुछ अच्छा लिखा जाए.

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झारखंड में आदिवासी सियासत को हेमंत सोरेन ने जिस तरीके से जगह दी, 1932 खतियान आधारित राजनीति को स्थानीय मुद्दे की तहत, साथ ही 27 फीसदी का आरक्षण यह दोनों चीजें अपने राजनैतिक कार्ड में रखकर के हेमंत सोरेन ने केंद्र के पाले में डाल दिया कि मुद्दा वहां था, आदेश मिला नहीं तो लागू हुआ नहीं. इस राजनीति को शायद 24 में भंजाने की कोशिश होती, लेकिन उसके बाद दूसरा पन्ना राजभवन फिर जोड़ दिया कोर्ट फीस की बढ़ोतरी जो हेमंत सरकार ने की थी राजभवन ने पुनर्विचार के लिए उसे फिर से सरकार के पास भेज दिया.

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सवाल उठ रहा है कि जिस न्याय के साथ विकास और विकास के एजेंडे में न्याय की बातें की जाती हैं. उसमें जब न्याय महंगा होगा तो गरीबों तक पहुंचेगा कैसे. चलने के लिए जिन पगडंडियों पर अभी भी जिनके पैरों में चप्पल नहीं है पहनने के लिए 10 रुपए की धोती जाती है, कहने के लिए जिन्हें आदिवासी कह दिया जाता है वह महंगे न्याय को कैसे वहन कर पाएंगे. एक बड़ा सवाल है. बीजेपी 2024 में इस मुद्दे को जरूर उठाएगी क्योंकि नारों में जब वादों की बात होगी तो संभव है कि महंगे न्याय की बात जरूर मंच के कही जाएगी अब देखने वाली बात ये होगी कि न्याय के साथ बीजेपी जिस जीत की बात कर रही है उसे किस तरीके से हेमंत पटखनी देते हैं क्योंकि विचारों मे और राजनीति में अतर बहुत बड़ा है विभेद भी पहुंत बड़ा है क्योंकि 32 की सियासत 27 फीसदी का आरक्षण और महंगा न्याय एक दूसरे का इतना बड़ा विरोधाभाषी पर्याय लिए खड़ा है कि अगर इसका आधार जमीन से जुड़ता भी है तो भी सियासत के कई पन्ने ऐसे हैं जिसमें बहुत कुछ लिखा जा सकता है जोड़तोड़ की गणित भी.

Last Updated : Sep 28, 2022, 8:40 PM IST
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