रांची: झारखंड की राजनीति में हलचल मची हुई है. भारत निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में अपनी रिपोर्ट राजभवन भेज दी है. रिपोर्ट में सीएम हेमंत सोरेन को विधायक पद से अयोग्य घोषित करने की बात कही जा रही है. अब इस मामले में राजभवन शुक्रवार को कोई फैसला ले सकता है. (Raj Bhavan may issue orders on recommendation of Election Commission on friday)
ये भी पढ़ें: हेमंत नहीं तो कौन, चुनाव आयोग की रिपोर्ट के बाद राजनीतिक विकल्पों पर चर्चा तेज
गुरुवार सुबह भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के ट्वीट से झारखंड की राजनीति में खलबली मचा दी. उन्होंने दावा किया है कि चुनाव आयोग का पत्र राज्यपाल तक पहुंच चुका है. उन्होंने लिखा है कि अगस्त पार नहीं होगा. इसके बाद से ही कयास लगाए जाने लगे कि भारत चुनाव आयोग ने सीएम हेमंत सोरेन की विधायक पद की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है. दोपहर बाद जैसे ही राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली से रांची पहुंचे राजभवन के बाहर गहमागहमी बढ़ गई. माना जाने लगा कि राज्यपाल रमेश बैस कभी भी चुनाव आयोग की सिफारिश से राज्य की जनता को अवगत करा देंगे.
हालांकि, ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक राज्यपाल रमेश बैस शुक्रवार को इस मामले पर अपना फैसला सुना सकते हैं. दिल्ली से रांची लौटने पर राज्यपाल रमेश बैस ने एयरपोर्ट पर साफ शब्दों में कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि चुनाव आयोग ने क्या सिफारिश की है. उन्होंने कहा कि राजभवन जाने के बाद ही इस बात का पता चलेगा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राजभवन पहुंचते ही राज्यपाल ने विधि के जानकारों से इस मसले पर विचार विमर्श किया है. अब 26 अगस्त को चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर अपना फैसला सुना सकते हैं.
इस बीच मुख्यमंत्री के आवास पर गुरुवार दोपहर 12:00 बजे से ही बैठकों का दौर जारी है. दूसरी तरफ से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी हाई लेवल मीटिंग की है. अब देखना है कि शुक्रवार को राज्यपाल क्या फैसला सुनाते हैं. उनके फैसले के आधार पर ही झारखंड की राजनीतिक की दशा और दिशा तय होगी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री को विधायक पद के लिए आयोग करार दिया गया है लेकिन अयोग्यता के लिए कोई समय सीमा की बात सामने नहीं आई है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज मामले में चुनाव आयोग में 18 अगस्त को दलील पूरी हो चुकी थी. इस मामले को 10 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उठाया था. उन्होंने 11 फरवरी को राज्यपाल से मिलकर हेमंत सोरेन को विधायक पद से अयोग्य ठहराने की मांग की थी. बाद में इस मामले को राजभवन ने चुनाव आयोग को रेफर कर दिया था. उसी आधार पर सबसे पहले चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव से वेरिफाइड डॉक्टूमेंट्स की मांग की थी. इसके बाद आयोग में दोनों पक्षों की ओर से दलीलें पेश की गई थी.