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जल संरक्षण से आसान होगा जीवन, जागरूक होने की है जरूरत

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Published : Aug 19, 2019, 3:04 PM IST

झारखंड में जल संरक्षण के महत्व को समझते हुए लोग अब इसमें जुट गए हैं. फिर भी जागरूकता की कमी है. जरूरत है इस ओर ज्यादा से ज्यादा लोग सजग हों.

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रांची: जल है तो कल है, जल ही जीवन है और जल संरक्षण की जिम्मेवारी पूरे समाज की है. देश के एक जागरूक नागरिक होने के नाते जल संरक्षण करना बेहद जरूरी है. ताकि कल को बचाए सके और इसे एक मिशन की तरह आगे बढ़ाने की जरूरत है. जिससे आने वाली पीढ़ी भी झारखंड में जल संरक्षण के महत्व को जान पाएगी. वह भी जल संरक्षण की दिशा में काम करेंगे.

देखें स्पेशल स्टोरी

लोगों को सजग होने की जरूरत
आज इस संकट की स्थिति में विज्ञान की मदद से समुद्र के खारे जल को पीने लायक बनाया जा रहा है. कुछ शहरों में तो बढ़-चढ़कर लोग जल संरक्षण की दिशा में कदम भी बढ़ा रहे हैं. झारखंड अभी भी इसमें काफी पीछे है. झारखंड के कुछ जिले में ही जल संरक्षण को लेकर लोग सजग दिखते हैं. रांची के लोग भी इस दिशा में उतने सजग नहीं हुए हैं जितना होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव के लिए RJD लोकतांत्रिक ने कसी कमर, 25 सीटों पर पेश करेंगे दावेदारी

भूगर्भशास्त्री नीतीश प्रियदर्शी ने दी जानकारी
रांची में लगातार बड़ी-बड़ी इमारतें, इंफ्रास्ट्रक्चर, भवन तैयार हो रहे हैं, लेकिन उन भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लेकर कोई उपाय नहीं दिख रहे हैं. उल्टे लोग अपने घरों के पानी को नालियों के माध्यम से बहा देते हैं. वर्षा के जल को न संरक्षित कर सीधे नालियों में सड़कों में बहाया जा रहा है. ऐसे में जरूरत है लोग पानी को संरक्षित कर अपने घर के आंगन में सहेजें. इसके लिए कई सरल उपाय भी हैं, जिनका खर्च भी काफी कम है. उन सरल उपायों के बारे में भूगर्भशास्त्री नीतीश प्रियदर्शी ने विशेष रूप से जानकारी दी है.

आंगन में छेद के माध्यम से जल संचयन
नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि अपने घर के आंगन या घर के बाहर जो भी खाली जमीन है, वहां 5 से 6 फीट की दूरी पर आप छेद बना सकते हैं. यह छेद 5 से 6 फीट गहरा अगर हो तो काफी फायदेमंद होगा. वर्षा का जल इन होल्स के माध्यम से फिर से जमीन के अंदर चला जाएगा और भूमिगत जल के स्तर को सुधारने में मदद करेगा. इससे रेन वाटर हार्वेस्टिंग का फायदा आपको भविष्य में मिलेगा. उन्होंने बताया कि चहारदीवारी से सटाकर घर के चारों ओर एक ट्रेंच भी बनाया जा सकता है. ट्रेंच की गहराई 2 से 3 फीट और चौड़ाई करीब 1 फुट होना चाहिए. बरसात के समय ट्रेंच में पानी भर जाएगा, इस पानी का उपयोग आप बागवानी में भी कर सकते हैं या तो यह पानी वापस जमीन के अंदर में भी चला जाता है. इससे भी भूमिगत जल की स्थिति में काफी सुधार किया जा सकता है.

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पक्के मकानों में रहने वाले ऐसे बचा सकते हैं पानी
ढलाई या फिर पक्के मकान वाले लोग भी इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं. जिनके घर पक्के के हैं वह अपने घर में इस्तेमाल किये गये पानी, बारिश का पानी बचा सकते हैं. छत के ऊपर से नाली के रास्ते बाहर निकल जाने वाले जल को संचयन करने का प्रयास किया जा सकता है.नाली अगर पक्की हो तो कुछ कुछ दूरी पर नाली में एक छोटा सोखता बनाने का प्रयास कर नाले में बहने वाली पानी भी जमीन के अंदर जा सकता है. इसके साथ ही वर्षा के जल का संचयन उसे दैनिक उपयोग में इस्तेमाल भी किया जा सकता है. डीप बोरिंग का इस्तेमाल कम करने की सलाह भी नीतीश प्रियदर्शी देते हैं.

घास के माध्यम से जल संचयन
इसके अलावा अगर घर के बाहर आंगन है तो उसमें घास लगा कर वर्षा के पानी का संचयन किया जा सकता है. यह छोटे-छोटे ऐसे विधि हैं जिससे पैसे भी कम खर्च होंगे और ज्यादा से ज्यादा जल संरक्षण भी किया जा सकता है. घास खुद-ब-खुद पानियों को अपने जड़ के माध्यम से जमीन के अंदर ले जाता है, जो प्राकृतिक रूप से जल संरक्षण तो करता ही है यह पूरी तरह घर के इर्द-गिर्द जमीन को रिचार्ज करता है.

जल संरक्षण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग से लाभान्वित वरुण कुमार बासू कहते हैं कि अगर जल संरक्षण न किया जाए तो आने वाले समय में लोगों को जल नहीं मिलने वाला है. लोग एक-एक बूंद के लिए तरसेंगे. इसलिए वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी है, तरीका कुछ भी हो जल संरक्षण को लेकर लोगों को आगे आने की जरूरत है. तभी इस दिशा में एक अभियान छेड़ा जा सकता है. हर किसी को इस दिशा में सोचने की जरूरत है तब जाकर समाज में जागरूकता बढ़ेगी और लोग जल संचयन और संरक्षण के बारे में सोचेंगे.

रांची: जल है तो कल है, जल ही जीवन है और जल संरक्षण की जिम्मेवारी पूरे समाज की है. देश के एक जागरूक नागरिक होने के नाते जल संरक्षण करना बेहद जरूरी है. ताकि कल को बचाए सके और इसे एक मिशन की तरह आगे बढ़ाने की जरूरत है. जिससे आने वाली पीढ़ी भी झारखंड में जल संरक्षण के महत्व को जान पाएगी. वह भी जल संरक्षण की दिशा में काम करेंगे.

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लोगों को सजग होने की जरूरत
आज इस संकट की स्थिति में विज्ञान की मदद से समुद्र के खारे जल को पीने लायक बनाया जा रहा है. कुछ शहरों में तो बढ़-चढ़कर लोग जल संरक्षण की दिशा में कदम भी बढ़ा रहे हैं. झारखंड अभी भी इसमें काफी पीछे है. झारखंड के कुछ जिले में ही जल संरक्षण को लेकर लोग सजग दिखते हैं. रांची के लोग भी इस दिशा में उतने सजग नहीं हुए हैं जितना होना चाहिए.

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भूगर्भशास्त्री नीतीश प्रियदर्शी ने दी जानकारी
रांची में लगातार बड़ी-बड़ी इमारतें, इंफ्रास्ट्रक्चर, भवन तैयार हो रहे हैं, लेकिन उन भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लेकर कोई उपाय नहीं दिख रहे हैं. उल्टे लोग अपने घरों के पानी को नालियों के माध्यम से बहा देते हैं. वर्षा के जल को न संरक्षित कर सीधे नालियों में सड़कों में बहाया जा रहा है. ऐसे में जरूरत है लोग पानी को संरक्षित कर अपने घर के आंगन में सहेजें. इसके लिए कई सरल उपाय भी हैं, जिनका खर्च भी काफी कम है. उन सरल उपायों के बारे में भूगर्भशास्त्री नीतीश प्रियदर्शी ने विशेष रूप से जानकारी दी है.

आंगन में छेद के माध्यम से जल संचयन
नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि अपने घर के आंगन या घर के बाहर जो भी खाली जमीन है, वहां 5 से 6 फीट की दूरी पर आप छेद बना सकते हैं. यह छेद 5 से 6 फीट गहरा अगर हो तो काफी फायदेमंद होगा. वर्षा का जल इन होल्स के माध्यम से फिर से जमीन के अंदर चला जाएगा और भूमिगत जल के स्तर को सुधारने में मदद करेगा. इससे रेन वाटर हार्वेस्टिंग का फायदा आपको भविष्य में मिलेगा. उन्होंने बताया कि चहारदीवारी से सटाकर घर के चारों ओर एक ट्रेंच भी बनाया जा सकता है. ट्रेंच की गहराई 2 से 3 फीट और चौड़ाई करीब 1 फुट होना चाहिए. बरसात के समय ट्रेंच में पानी भर जाएगा, इस पानी का उपयोग आप बागवानी में भी कर सकते हैं या तो यह पानी वापस जमीन के अंदर में भी चला जाता है. इससे भी भूमिगत जल की स्थिति में काफी सुधार किया जा सकता है.

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पक्के मकानों में रहने वाले ऐसे बचा सकते हैं पानी
ढलाई या फिर पक्के मकान वाले लोग भी इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं. जिनके घर पक्के के हैं वह अपने घर में इस्तेमाल किये गये पानी, बारिश का पानी बचा सकते हैं. छत के ऊपर से नाली के रास्ते बाहर निकल जाने वाले जल को संचयन करने का प्रयास किया जा सकता है.नाली अगर पक्की हो तो कुछ कुछ दूरी पर नाली में एक छोटा सोखता बनाने का प्रयास कर नाले में बहने वाली पानी भी जमीन के अंदर जा सकता है. इसके साथ ही वर्षा के जल का संचयन उसे दैनिक उपयोग में इस्तेमाल भी किया जा सकता है. डीप बोरिंग का इस्तेमाल कम करने की सलाह भी नीतीश प्रियदर्शी देते हैं.

घास के माध्यम से जल संचयन
इसके अलावा अगर घर के बाहर आंगन है तो उसमें घास लगा कर वर्षा के पानी का संचयन किया जा सकता है. यह छोटे-छोटे ऐसे विधि हैं जिससे पैसे भी कम खर्च होंगे और ज्यादा से ज्यादा जल संरक्षण भी किया जा सकता है. घास खुद-ब-खुद पानियों को अपने जड़ के माध्यम से जमीन के अंदर ले जाता है, जो प्राकृतिक रूप से जल संरक्षण तो करता ही है यह पूरी तरह घर के इर्द-गिर्द जमीन को रिचार्ज करता है.

जल संरक्षण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग से लाभान्वित वरुण कुमार बासू कहते हैं कि अगर जल संरक्षण न किया जाए तो आने वाले समय में लोगों को जल नहीं मिलने वाला है. लोग एक-एक बूंद के लिए तरसेंगे. इसलिए वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी है, तरीका कुछ भी हो जल संरक्षण को लेकर लोगों को आगे आने की जरूरत है. तभी इस दिशा में एक अभियान छेड़ा जा सकता है. हर किसी को इस दिशा में सोचने की जरूरत है तब जाकर समाज में जागरूकता बढ़ेगी और लोग जल संचयन और संरक्षण के बारे में सोचेंगे.

Intro:स्पेशल... रिपोर्ट।


रांची।

जल है तो कल है जल ही जीवन है और जल संरक्षण की जिम्मेवारी पूरे समाज की है. इस दिशा में सब को जागरूक होने की जरूरत है. देश के एक जागरूक नागरिक होने के लिए जल संरक्षण करना जरूरी है .ताकि कल को बचाए सके और इसे एक मिशन की तरह आगे बढ़ाने की जरूरत है. इससे आने वाली पीढ़ी भी जल के महत्व को जान पाएंगे और वह भी जल संरक्षण की दिशा में काम करेंगे. आज हम भूगर्भ शास्त्री नीतीश प्रियदर्शी के मध्यम से अपने दर्शकों को जल संरक्षण के कुछ आसान उपाय के बारे में जानकारी देंगे. जो आपके लिए और पूरे समाज के लिए बेहद ही खास है.


Body:आज इस विकट परिस्थिति में विज्ञान की मदद से समुद्र के खारे जल को पीने योग्य बनाया जा रहा है .कुछ शहरों में तो बढ़-चढ़कर लोग जल संरक्षण की दिशा में कदम भी बढ़ा रहे हैं. लेकिन झारखंड इससे काफी पीछे है. आंकड़ों की बात करें तो झारखंड के 24 जिलों में कुछ जिले ही है जो इस दिशा में कदम बढ़ा रही है .राज्य की राजधानी रांची के लोग भी इस दिशा में उतने सजग नहीं हुए हैं .जितना होने की जरूरत है. बड़े-बड़े इमारते ,इंफ्रास्ट्रक्चर ,भवन लगातार तैयार हो रहा है. लेकिन उन भवनों में जल संरक्षण को लेकर कोई उपाय नहीं दिख रहे हैं .उल्टे लोग अपने घरों के पानी को नालियों के माध्यम से बहा देते हैं .वर्षा के जल को ना संरक्षित कर सीधे नालियों में सड़कों में बहाया जा रहा है .यह एक विकट परिस्थिति आने वाले समय में हो सकती है .जरूरत है लोग पानी को संरक्षित कर अपने घर के आंगन में उसे संरक्षण करें .इसके लिए कई उपाय हैं कुछ उपाय सरल भी है .जिसमें खर्च भी काफी कम है .उन सरल उपायों के बारे में भूगर्भ शास्त्र नीतीश प्रियदर्शी ने विशेष रूप से जानकारी दी है.

आंगन में छेद के माध्यम से जल संचयन:

नीतीश प्रियदर्शी कहते हैं कि अपने घर के आंगन या घर के बाहर जो भी खाली जमीन है वहां 5 से 6 फीट की दूरी पर आप छेद बना सकते हैं .यह छेद 5 से 6 फीट गहरा अगर हो तो काफी फायदेमंद होगा .वर्षा का जल इन होल्स के माध्यम से फिर से जमीन के अंदर चला जाएगा और भूमिगत जल के स्तर को सुधारने में मदद करेगा .उन्होंने बताया कि इस प्रकार चारदीवारी से सटाकर घर के चारों ओर एक ट्रेंच भी बनाया जा सकता है .ट्रेंच की गहराई 2 से 3 फीट और चौड़ाई करीब 1 फुट होने की जरूरत है .बरसात के समय ट्रेंज में पानी भर जाएगा .इस पानी का उपयोग आप भगवानी में भी कर सकते हैं या तो यह पानी वापस जमीन के अंदर में भी चला जाता है. इससे भी भूमिगत जल की स्थिति में काफी सुधार किया जा सकता है.


पक्के मकानों में रहने वाले ऐसे बचा सकते हैं पानी:

ढलाई या फिर पक्के मकान वाले लोग भी इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं जिनका घर पक्के का है वह अपने घर में इस्तेमाल किया गया पानी ,बारिश के पानी को बचा सकते है . छत के ऊपर से नाली के रास्ते बाहर निकल जाने वाले जल को संचयन करने का प्रयास किया जा सकता है .नाली अगर पक्की हो तो कुछ कुछ दूरी पर नाली में एक छोटा सोखता बनाने का प्रयास कर नाले में बहने वाले पानी भी जमीन के अंदर जा सकता है. इसके साथ ही वर्षा के जल का संचयन का उसे दैनिक उपयोग में इस्तेमाल भी किया जा सकता है. डीप बोरिंग का इस्तेमाल कम करने की सलाह भी नीतीश प्रियदर्शी देते हैं.

घांस के माध्यम से जल संचयन:

इसके अलावे अगर घर के बाहर आंगन है तो उसमें घास लगा कर वर्षा के पानी को संचयन किया जा सकता है .यह छोटे-छोटे ऐसे विधि हैं जिससे पैसे भी कम खर्च होंगे और ज्यादा से ज्यादा जल का संरक्षण भी किया जा सकता है. घास खुद-ब-खुद पानियों को अपने जड़ के माध्यम से जमीन के अंदर ले जाता है जो प्राकृतिक रूप से जल संरक्षण तो करता ही है यह पूरी तरह घर के इर्द-गिर्द जमीन को रिचार्ज करता है. यह विधि काफी सरल और आसान माना जाता है.


बाइट- नीतीश प्रियदर्शी, भूगर्भ शास्त्री




Conclusion:जल संरक्षण और वाटर हार्वेस्टिंग से लाभान्वित वरुण कुमार बासू कहते हैं कि अगर जल संरक्षण ना किया जाए तो आने वाले समय में लोगों को जल नहीं मिलने वाला है .लोग एक एक बूंद के लिए तरसेंगे .इसलिए वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी है .तरीका कुछ भी हो जल संरक्षण को लेकर लोगों को आगे आने की जरूरत है तभी इस दिशा में एक अभियान छेड़ा जा सकता है. हर किसी को इस दिशा में सोचने की जरूरत है तब जाकर समाज में जागरूकता बढ़ेगी और लोग जल संचयन और संरक्षण के विषय में सोचेंगे.

बाइट-वरुण कुमार बासू,स्थनीय।
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