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बंदूकों से सलामी देकर JAP-1 में मां शक्ति की उपासना हुई शुरू, नेपाली परंपरा से होती है मां की पूजा

रविवार से मां दुर्गा की अराधना शुरू हो चुकी है. इस मौके पर रांची स्थित जैप-1 परिसर में झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवानों ने पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना कर मां दुर्गा को फायरिंग कर सलामी दी गई.

सलामी देते जैप के जवान
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Published : Sep 29, 2019, 5:18 PM IST

रांचीः राजधानी में झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवानों की दुर्गा पूजा अपने आप में अनोखी मानी जाती है. झारखंड में नक्सलियों से लोहा लेने और वीआईपी सुरक्षा की कमान संभालने वाले गोरखा जवान पूरे नवरात्र मां दुर्गा के भक्ति में डूबे रहते है. जैप वन में गोरखा जवानों ने नवरात्र के पहले दिन रविवार को पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना कर मां दुर्गा को फायरिंग कर सलामी दी गई.

देखें पूरी खबर

शक्ति के उपासक हैं गोरखा जवान
झारखंड आर्म्ड पुलिस (जैप-वन) में नवरात्र के पहले दिन गुरुवार को पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना की गई. इस मौके पर गोरखा जवानों ने बंदूकों से फायरिंग कर दुर्गा मां को सलामी दी. वहीं, महासप्तमी और नवमी के अवसर पर एक बार फिर फायरिंग कर मां को सलामी दी जाएगी. शक्ति के उपासक गोरखा जवानों ने बताया कि यहां नवरात्र पूजा का इतिहास काफी पुराना है. अंग्रेजों के जमाने से 1880 से ही यहां पर मां का दरबार सज रहा है.

गोला-बारूद और गोलियों की भी होती है पूजा
नवरात्र में यहां पिस्टल, यूबीजीएल, रॉकेट लॉन्चर, इंसास, एके-47, एसएलआर, मशीन गन, एलएमजी, मोर्टार, गोला-बारूद और गोलियों की भी पूजा की जाती है. गोरखा जवानों के अनुसार मां हमेशा उनकी रक्षा करती हैं, क्योंकि वह पूरे नवरात्र तन मन से मां की भक्ति में लीन रहते हैं. गोरखा जवानों के हथियारों की पूजा के पीछे ऐसी मान्यता रही है की गोरखा या नेपाली संस्कृति पुरातन समय से ही शक्ति के उपासक रहे है. ऐसे में बलि की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है और अब इनकी संस्कृति का हिस्सा बन गई है. जवानों के मन में विश्वास है की शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से वे हर जगह जवानों की रक्षा करती है. इसलिए वे हर पूजा में मां दुर्गा को बलि अर्पित करते है और उनके सम्मान में गोलिया चालते है.

ये भी पढ़ें- आज से शुरू होगी मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

नवमी को होगी विशेष पूजा
महानवमी के दिन जैप के जवानों द्वारा मां के चरणों मे 101 बकरों की बलि दी जाती है. हर बलि के बाद मां को फायरिंग कर सलामी दी जाती है. इस बटालियन में बलि और हथियारों की पूजा का अपना ही एक खास महत्व होता है. महानवमी के दिन गोरखा जवान अपने हथियार मां दुर्गा के चरणों मे रख कर पूजा करते है. मां के चरणों में बलि देते है, गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा इस बटालियन के गठन के समय से ही चली आ रही है. इनका मानना है की दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा न दे और सटीक चले इसलिए वे मां दुर्गा के सामने हर नवमी को अपने अपने हथियारों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते है.

मां की कृपा बटालियन पर हमेशा बनी रहेगी
झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवान हर समय कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाए रखने के लिए तत्पर रहते हैं. वे नक्सलियों से लोहा तो लेते ही हैं साथ ही लगभग झारखंड के हर वीआईपी की सुरक्षा का भार भी उन्हीं के ऊपर है. ऐसे में वे यह मानते हैं कि अगर नवरात्र में मां दुर्गा जो शक्ति का रूप है वह खुश रहें तो उनकी कृपा हमेशा इस बटालियन पर बनी रहेगी और वे अपने देश की रक्षा सदैव कर पाएंगे.

रांचीः राजधानी में झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवानों की दुर्गा पूजा अपने आप में अनोखी मानी जाती है. झारखंड में नक्सलियों से लोहा लेने और वीआईपी सुरक्षा की कमान संभालने वाले गोरखा जवान पूरे नवरात्र मां दुर्गा के भक्ति में डूबे रहते है. जैप वन में गोरखा जवानों ने नवरात्र के पहले दिन रविवार को पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना कर मां दुर्गा को फायरिंग कर सलामी दी गई.

देखें पूरी खबर

शक्ति के उपासक हैं गोरखा जवान
झारखंड आर्म्ड पुलिस (जैप-वन) में नवरात्र के पहले दिन गुरुवार को पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना की गई. इस मौके पर गोरखा जवानों ने बंदूकों से फायरिंग कर दुर्गा मां को सलामी दी. वहीं, महासप्तमी और नवमी के अवसर पर एक बार फिर फायरिंग कर मां को सलामी दी जाएगी. शक्ति के उपासक गोरखा जवानों ने बताया कि यहां नवरात्र पूजा का इतिहास काफी पुराना है. अंग्रेजों के जमाने से 1880 से ही यहां पर मां का दरबार सज रहा है.

गोला-बारूद और गोलियों की भी होती है पूजा
नवरात्र में यहां पिस्टल, यूबीजीएल, रॉकेट लॉन्चर, इंसास, एके-47, एसएलआर, मशीन गन, एलएमजी, मोर्टार, गोला-बारूद और गोलियों की भी पूजा की जाती है. गोरखा जवानों के अनुसार मां हमेशा उनकी रक्षा करती हैं, क्योंकि वह पूरे नवरात्र तन मन से मां की भक्ति में लीन रहते हैं. गोरखा जवानों के हथियारों की पूजा के पीछे ऐसी मान्यता रही है की गोरखा या नेपाली संस्कृति पुरातन समय से ही शक्ति के उपासक रहे है. ऐसे में बलि की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है और अब इनकी संस्कृति का हिस्सा बन गई है. जवानों के मन में विश्वास है की शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से वे हर जगह जवानों की रक्षा करती है. इसलिए वे हर पूजा में मां दुर्गा को बलि अर्पित करते है और उनके सम्मान में गोलिया चालते है.

ये भी पढ़ें- आज से शुरू होगी मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना, घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

नवमी को होगी विशेष पूजा
महानवमी के दिन जैप के जवानों द्वारा मां के चरणों मे 101 बकरों की बलि दी जाती है. हर बलि के बाद मां को फायरिंग कर सलामी दी जाती है. इस बटालियन में बलि और हथियारों की पूजा का अपना ही एक खास महत्व होता है. महानवमी के दिन गोरखा जवान अपने हथियार मां दुर्गा के चरणों मे रख कर पूजा करते है. मां के चरणों में बलि देते है, गोरखा जवानों में हथियारों की पूजा की परंपरा इस बटालियन के गठन के समय से ही चली आ रही है. इनका मानना है की दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा न दे और सटीक चले इसलिए वे मां दुर्गा के सामने हर नवमी को अपने अपने हथियारों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते है.

मां की कृपा बटालियन पर हमेशा बनी रहेगी
झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवान हर समय कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाए रखने के लिए तत्पर रहते हैं. वे नक्सलियों से लोहा तो लेते ही हैं साथ ही लगभग झारखंड के हर वीआईपी की सुरक्षा का भार भी उन्हीं के ऊपर है. ऐसे में वे यह मानते हैं कि अगर नवरात्र में मां दुर्गा जो शक्ति का रूप है वह खुश रहें तो उनकी कृपा हमेशा इस बटालियन पर बनी रहेगी और वे अपने देश की रक्षा सदैव कर पाएंगे.

Intro:झारखंड की राजधानी रांची में झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवानो की दुर्गा पूजा अपने आप मे अनोखी होती है।झारखंड में नक्सलियो से लोहा लेने और वीआईपी सुरक्षा की कमान सम्भालने वाले गोरखा जवान पूरे नवरात्र मा दुर्गा के भक्ति में डूबे रहते है।जैप वन में गोरखा जवानो ने नवरात्र के पहले दिन रविवार को पूरे विधि विधान से कलश स्थापना कर माँ दुर्गा को फायरिंग कर सलामी दी गई।

शक्ति के उपासक है गोरखा जवान

झारखंड आर्म्ड पुलिस (जैप-वन) में नवरात्र के पहले दिन गुरुवार को पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना की गई।  इस मौके पर गोरखा जवानों ने बंदूकों से फायरिंग कर दुर्गा मां को सलामी दी। अब महासप्तमी और नवमीं के अवसर  एक बार फिर फायरिंग कर मां को सलामी दी जाएगी। शक्ति के उपासक  गोरखा जवानों ने बताया कि यहां नवरात्र पूजा का इतिहास काफी पुराना है। अंग्रेजों के जमाने से यानी 1880 से ही यहां पर मां का दरबार सज रहा है।नवरात्र में यहां पिस्टल, यूबीजीएल, रॉकेट लॉन्चर, इंसास, एके-47, एसएलआर, मशीन गन, एलएमजी, मोर्टार, गोला-बारूद व गोलियों की भी पूजा की जाती है। गोरखा जवानों के अनुसार मां हमेशा उनकी रक्षा करती हैं क्योंकि वह पूरे नवरात्र तन मन से मां की भक्ति में लीन रहते हैं।गोरखा जवानों के हथियारों की पूजा  के पीछे ऐसी मान्यता रही है की गोरखा या नेपाली संस्कृति पुरातन समय से ही शक्ति के उपासक रहे है।ऐसे में बलि की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है और अब ये इनकी संस्कृति का हिस्सा बन गयी है। जवानों के मन में विश्वास है की शक्ति की देवी माँ दुर्गा की पूजा करने से वे हर जगह जवानों की रक्षा करती है ।इसलिए वे हर पूजा में माँदुर्गा को बलि अर्पित करते है और उनके सम्मान में गोलिया चालते है ।

बाइट - रोबिन थापा ,जवान ,जैप वन



नवमी को होगी विशेष पूजा ,हर बलि पर माँ को फायरिंग कर दी जाती है सलामी

महानवमी नवमी के अवसर पर जैप के जवानो के द्वारा माँ के चरणों मे 101 बलि दी जाती है।हर बलि के बाद मां को फायरिंग कर सलामी दी जाती है। इस बटालियन में बलि और हथियारों की पूजा का अपना ही एक खास  महत्व होता है ।महानवमी के  दिन गोरखा जवान अपने हथियार माँ दुर्गा के चरणों मे  रख कर पूजा करते है। माँ के चरणों में बलि देते है ,गोरखा जवानो में हथियारों की पूजा की परम्परा इस बटालियन के गठन के समय से ही चली आ रही है ,इनका मानना है की दुश्मनों से मुकाबले के समय उनके हथियार धोखा ना दे और सटीक चले इसलिए वे माँ दुर्गा के सामने हर नवमी को अपने अपने हथियारों की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से करते  है ।

बाइट - शशिकांत क्षेत्री ,जैप जवान

झारखंड में झारखंड आर्म्ड फोर्स के जवान हर समय कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाए रखने के लिए तत्पर रहते हैं। वे नक्सलियों से लोहा तो लेते ही हैं साथ ही लगभग झारखंड के हर वीआईपी की सुरक्षा का भार भी उन्हीं के ऊपर है। ऐसे में वे यह मानते हैं कि अगर नवरात्र में मां दुर्गा जो शक्ति का रूप है। वह खुश रहे तो उनकी कृपा हमेशा इस बटालियन पर बनी रहेंगी और वे अपने देश की रक्षा सदैव कर पाएंगे।





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