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हाई कोर्ट की खबरेंः सिपाहियों को एमएसीपी लाभ मामले पर कोर्ट गंभीर, डीसी से एसडीओ पर प्रोन्नति पर सरकार से जवाब तलब - सिपाहियों को एमएसीपी लाभ देने की मांग को लेकर दायर याचिका

झारखंड हाई कोर्ट में गुरुवार को दो अहम मामलों पर सुनवाई हुई. जिसमें डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ पर प्रोन्नति की मांग की याचिका और सिपाहियों को एमएसीपी लाभ देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Oct 7, 2021, 9:38 PM IST

Updated : Oct 7, 2021, 10:02 PM IST

रांचीः राज्य के सिपाहियों वर्षों से लंबित एमएसीपी लाभ देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य के पुलिस प्रमुख डीजीपी को समय से एमसीपी लाभ देने का निर्देश दिया है. अदालत ने 18 नवंबर से पूर्व यह लाभ देने का निर्देश दिया है. ऐसा ना करने पर उन्हें कोर्ट में हाजिर होकर यह बताने को कहा है कि क्यों नहीं लाभ दिया गया. इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट ने की मौखिक टिप्पणी, पूछा- सिपाही का पैसा काटकर सरकार का भरेगा खजाना?

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य के सिपाहियों को समय से एमएसीबी का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जिससे उन्हें वित्तीय घाटा होता है. इसलिए उन्होंने अदालत से गुहार लगाई उन्हें समय से यह लाभ दिया जाए. इसके लिए राज्य के पुलिस प्रमुख को राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए.

जानकारी देते अधिवक्ता

अदालत ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता से मामले में जानकारी मांगी. जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से जो जानकारी दी गई, उससे अदालत को संतुष्ट नहीं हुए. डीजीपी को निर्देश दिया है कि वह 18 नवंबर से पूर्व दिए जाने वाले वित्तीय लाभ पर निर्णय लें, आदेश पारित करें, अगर आदेश पारित नहीं की जाती है तो अगले सुनवाई के दौरान वो अदालत में हाजिर होकर यह बताएं कि किस परिस्थिति में यह लाभ नहीं दिया जा सका.

झारखंड पुलिस में से एसोसिएशन की ओर से एमसीपी मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया है कि राज्य के सिपाहियों को प्रत्येक 10 वर्ष पर एमएसीपी का लाभ दिया जाता है. लेकिन पुलिस विभाग ने प्रशिक्षण का बहाना बनाकर उन्हें इस लाभ से वंचित रखा जा रहा है. उनका कहना है कि प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जान-बूझकर देर से दिया जाता है, जबकि प्रशिक्षण दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें सिपाहियों की कोई गलती नहीं है. अगर समय से प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है तो इसमें सिपाहियों की कोई गलती नहीं है. इसलिए उन्हें किसी भी लाभ से वंचित नहीं रखा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें- डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ में प्रोन्नति का मामला पहुंचा झारखंड हाई कोर्ट, 20 अधिकारियों ने दायर की याचिका

डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ पर प्रोन्नति की मांग की याचिका पर सुनवाई

राज्य के डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ पर प्रोन्नति की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. राज्य सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि जब राज्य सरकार प्रोन्नति की सिफारिश कर दी है तब अधिसूचना क्यों नहीं जारी कर रही है. 18 अक्टूबर के पूर्व राज्य सरकार को इस संबंध में जवाब पेश करने का निर्देश दिया गया है. इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

जानकारी देते अधिवक्ता

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने इस मामले पर सुनवाई की. इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में गुहार लगाई गयी कि डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ के पद पर प्रोन्नति की सिफारिश तो कर दी गई है लेकिन अधिसूचना जारी नहीं किया जा रहा है. सरकार को शीघ्र अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया जाए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सरकार की ओर से एक पत्र जारी कर सभी प्रकार की प्रोन्नति पर तत्काल रोक लगा दी है, यह गलत है, विभाग को अधिसूचना जारी कर देना चाहिए.

इसमें बताया गया कि जब एसडीओ से एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की अधिसूचना जारी कर दी गई है तो डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ के पद पर प्रोन्नति की अधिसूचना जारी क्यों नहीं की जा सकती है. अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष को सुनने के बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता से जानकारी मांगी है. अदालत ने पूछा कि क्या राज्य सरकार इस मामले में भी हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रही है. सरकार को इस बाबत जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

राज किशोर प्रसाद सहित अन्य 19 की ओर से याचिका दायर की गई है. याचिका के माध्यम से अदालत से प्रोन्नति की गुहार लगाई है. याचिका में जानकारी दी गई है कि प्रोन्नति की सिफारिश तो कर दी गई है लेकिन अधिसूचना जारी नहीं की जा रही है, उसी याचिका पर सुनवाई हुई. अब देखना अहम होगा कि 18 अक्टूबर से पूर्व राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर देती है या फिर अदालत में अपने जवाब में क्या कहती है.

रांचीः राज्य के सिपाहियों वर्षों से लंबित एमएसीपी लाभ देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य के पुलिस प्रमुख डीजीपी को समय से एमसीपी लाभ देने का निर्देश दिया है. अदालत ने 18 नवंबर से पूर्व यह लाभ देने का निर्देश दिया है. ऐसा ना करने पर उन्हें कोर्ट में हाजिर होकर यह बताने को कहा है कि क्यों नहीं लाभ दिया गया. इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य के सिपाहियों को समय से एमएसीबी का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जिससे उन्हें वित्तीय घाटा होता है. इसलिए उन्होंने अदालत से गुहार लगाई उन्हें समय से यह लाभ दिया जाए. इसके लिए राज्य के पुलिस प्रमुख को राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए.

जानकारी देते अधिवक्ता

अदालत ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता से मामले में जानकारी मांगी. जिसके बाद राज्य सरकार की ओर से जो जानकारी दी गई, उससे अदालत को संतुष्ट नहीं हुए. डीजीपी को निर्देश दिया है कि वह 18 नवंबर से पूर्व दिए जाने वाले वित्तीय लाभ पर निर्णय लें, आदेश पारित करें, अगर आदेश पारित नहीं की जाती है तो अगले सुनवाई के दौरान वो अदालत में हाजिर होकर यह बताएं कि किस परिस्थिति में यह लाभ नहीं दिया जा सका.

झारखंड पुलिस में से एसोसिएशन की ओर से एमसीपी मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका के माध्यम से अदालत को बताया गया है कि राज्य के सिपाहियों को प्रत्येक 10 वर्ष पर एमएसीपी का लाभ दिया जाता है. लेकिन पुलिस विभाग ने प्रशिक्षण का बहाना बनाकर उन्हें इस लाभ से वंचित रखा जा रहा है. उनका कहना है कि प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जान-बूझकर देर से दिया जाता है, जबकि प्रशिक्षण दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें सिपाहियों की कोई गलती नहीं है. अगर समय से प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है तो इसमें सिपाहियों की कोई गलती नहीं है. इसलिए उन्हें किसी भी लाभ से वंचित नहीं रखा जा सकता है.

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डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ पर प्रोन्नति की मांग की याचिका पर सुनवाई

राज्य के डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ पर प्रोन्नति की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. राज्य सरकार को अपने जवाब में यह बताने को कहा है कि जब राज्य सरकार प्रोन्नति की सिफारिश कर दी है तब अधिसूचना क्यों नहीं जारी कर रही है. 18 अक्टूबर के पूर्व राज्य सरकार को इस संबंध में जवाब पेश करने का निर्देश दिया गया है. इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को होगी.

जानकारी देते अधिवक्ता

झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक की अदालत ने इस मामले पर सुनवाई की. इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में गुहार लगाई गयी कि डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ के पद पर प्रोन्नति की सिफारिश तो कर दी गई है लेकिन अधिसूचना जारी नहीं किया जा रहा है. सरकार को शीघ्र अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया जाए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सरकार की ओर से एक पत्र जारी कर सभी प्रकार की प्रोन्नति पर तत्काल रोक लगा दी है, यह गलत है, विभाग को अधिसूचना जारी कर देना चाहिए.

इसमें बताया गया कि जब एसडीओ से एडिशनल कलेक्टर के पद पर प्रोन्नति की अधिसूचना जारी कर दी गई है तो डिप्टी कलेक्टर से एसडीओ के पद पर प्रोन्नति की अधिसूचना जारी क्यों नहीं की जा सकती है. अदालत ने याचिकाकर्ता के पक्ष को सुनने के बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता से जानकारी मांगी है. अदालत ने पूछा कि क्या राज्य सरकार इस मामले में भी हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रही है. सरकार को इस बाबत जवाब पेश करने का निर्देश दिया है.

राज किशोर प्रसाद सहित अन्य 19 की ओर से याचिका दायर की गई है. याचिका के माध्यम से अदालत से प्रोन्नति की गुहार लगाई है. याचिका में जानकारी दी गई है कि प्रोन्नति की सिफारिश तो कर दी गई है लेकिन अधिसूचना जारी नहीं की जा रही है, उसी याचिका पर सुनवाई हुई. अब देखना अहम होगा कि 18 अक्टूबर से पूर्व राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर देती है या फिर अदालत में अपने जवाब में क्या कहती है.

Last Updated : Oct 7, 2021, 10:02 PM IST
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