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BAU में जनजातीय किसान वैज्ञानिक समागम, आदिवासी किसानों को किया गया सम्मानित

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Published : Aug 9, 2019, 10:02 PM IST

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में जनजातीय किसान वैज्ञानिक समागम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई. इस दौरान कृषि क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले किसानों को राज्यपाल के द्वारा सम्मानित किया गया.

किसानों को सम्मानित करती राज्यपाल

रांची: कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर जनजातीय किसान वैज्ञानिक समागम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करना था जो कृषि क्षेत्र में अपनी नई पहचान बना रहे हैं.

देखें पूरी खबर

कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं. उन्होंने परिसर में स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी, साथ ही वृक्षारोपण भी किया. कार्यक्रम की शुरूआत में राज्यपाल ने दीप प्रज्वलित किया. इस मौके पर उनके द्वारा जनजातीय संग्रहालय की आधारशिला भी रखी गई. कार्यक्रम में राज्यपाल के द्वारा किसानों को सम्मानित किया गया. इस मौके पर कांके विधायक जीतू चरण राम और कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आर एस कुराल भी मौजूद रहे.

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आर एस कुराल ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए सरकार के द्वारा सरकारी योजनाओं में बदलाव लाया जा रहा है. वहीं बीएयू आदिवासी किसानों के लिए मुर्गी पालन, बकरी पालन, भेंड़ पालन, सूकर पालन जैसे प्रोग्राम चला रही है. इसके अलावा उनके विकास के लिए सरकार द्वारा कई कार्य भी किए जा रहे हैं, ताकि उनका जीवन स्तर और भी ऊंचा उठ सके.

वहीं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का ये प्रयास सार्थक होगा भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर जाना जाने वाला इस कृषि विश्वविद्यालय का राज्य में कृषि के लिए उल्लेखनीय योगदान है.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1994 से 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है. इस दिवस के मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य उनके संरक्षण के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए प्रेरित करना और पर्यावरण के अंदर उनके संवेदनशील कार्यों को बढ़ावा देना है. दुनिया में 370 करोड़ आदिवासी हैं, जो दुनिया की आबादी के 5% आबादी से भी कम हैं. पूरे विश्व में आदिवासी लगभग 60 हजार भाषाओं और 5000 संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

रांची: कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर जनजातीय किसान वैज्ञानिक समागम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करना था जो कृषि क्षेत्र में अपनी नई पहचान बना रहे हैं.

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कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू शामिल हुईं. उन्होंने परिसर में स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी, साथ ही वृक्षारोपण भी किया. कार्यक्रम की शुरूआत में राज्यपाल ने दीप प्रज्वलित किया. इस मौके पर उनके द्वारा जनजातीय संग्रहालय की आधारशिला भी रखी गई. कार्यक्रम में राज्यपाल के द्वारा किसानों को सम्मानित किया गया. इस मौके पर कांके विधायक जीतू चरण राम और कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आर एस कुराल भी मौजूद रहे.

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आर एस कुराल ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए सरकार के द्वारा सरकारी योजनाओं में बदलाव लाया जा रहा है. वहीं बीएयू आदिवासी किसानों के लिए मुर्गी पालन, बकरी पालन, भेंड़ पालन, सूकर पालन जैसे प्रोग्राम चला रही है. इसके अलावा उनके विकास के लिए सरकार द्वारा कई कार्य भी किए जा रहे हैं, ताकि उनका जीवन स्तर और भी ऊंचा उठ सके.

वहीं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का ये प्रयास सार्थक होगा भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर जाना जाने वाला इस कृषि विश्वविद्यालय का राज्य में कृषि के लिए उल्लेखनीय योगदान है.

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1994 से 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है. इस दिवस के मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य उनके संरक्षण के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान के लिए प्रेरित करना और पर्यावरण के अंदर उनके संवेदनशील कार्यों को बढ़ावा देना है. दुनिया में 370 करोड़ आदिवासी हैं, जो दुनिया की आबादी के 5% आबादी से भी कम हैं. पूरे विश्व में आदिवासी लगभग 60 हजार भाषाओं और 5000 संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं.

Intro:रांची
बाइट---आर एस कुराल कुलपति बीएयू
बाइट-द्रौपदी मुर्मू राज्यपाल



विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में जनजातीय किसान- वैज्ञानिक समागम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत की साथ ही महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित बिरसा मुंडा के आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको श्रद्धांजलि दी साथी करमा का वृक्ष का वृक्षारोपण भी की। इस मौके पर महामहिम राज्यपाल के द्वारा जनजातीय संग्रहालय का आधारशिला भी रखी गई। जिसके बाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित आदिवासी जनजाति किसान वैज्ञानिक समागम की शुरुआत प्रज्वलित करके दिवस शुरुआत की गई। जिसमें तमाम जिलों से आए प्रगतिशील किसानों को विभिन्न क्षेत्रों पर कृषि के क्षेत्र में अलग पहचान बनाने को लेकर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के द्वारा किसानों को सम्मानित किया गया मौके पर कांके विधायक जीतू चरण राम और कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आर एस कुराल मौजूद रहे


Body:बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में पहली बार विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासी जनजातिये किसान वैज्ञानिक समागम का आयोजन किया गया। ताकि आदिवासी किसानों का भी जीवन स्तर को कृषि के क्षेत्र में और ऊंचा उठाया जा सके। विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी किसानों के द्वारा कृषि के क्षेत्र में अलग पहचान बनाई है जिनमें मुर्गी पालन बतख पालन धान की खेती सूकर पालन जैसे क्षेत्रों में किसान अच्छी आमदनी कर रहे साथ ही वैसे किसानों को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में सम्मानित भी किया गया


मौके पर मौजूद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति आर एस कुराल ने कहा कि हमारे आदिवासी समुदाय हमारा आज से पहले ही माइंडसेट है कि वह जंगल में रहते हैं लेकिन अब ऐसा नहीं है सरकार के द्वारा सरकारी योजनाओं में बदलाव लाकर आदिवासियों के समाज के लिए मुर्गी पालन बकरी पालन भेड़ पालन सूकर पालन जैसे प्रोग्राम चला रही है। जो कृषि विश्वविद्यालय से ही नहीं भारत सरकार सभी किसानों के बीच योजना को चलाया जा रहा है आदिवासी भाई गांव में रहते हैं उनकी विकास के लिए सरकार द्वारा कई कार्य भी किए जा रहे हैं ताकि उनका जीवन स्तर और भी ऊंचा उठ सके।


Conclusion:झारखंड के राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय काया प्रयास सार्थक होगा भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर जाने जाने वाला यह कृषि विश्वविद्यालय का राज्य में कृषि के लिए उल्लेखनीय योगदान है संयुक्त राष्ट्र के द्वारा 1994 से आज के दिन अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है और इस दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य उनकी संरक्षण के साथ इस समुदाय का विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिए प्रेरित करना और पर्यावरण के अंदर उनके संवेदनशील कार्यों को बढ़ावा देना है दुनिया में 370 मिलीयन आदिवासी हैं जो दुनिया के आबादी के 5% आबादी से भी कम है विश्व की आदिवासी लगभग 60 हजार भाषाओं में पढ़ कर और 5000 संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

साथी राजपाल द्रोपति मुर्मू ने कहा कि जनजातियों की विकास के लिए हमारा ही नहीं बल्कि सरकार का भी मुख्य दायित्व है। सरकार के द्वारा जनजातियों के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है।
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