रांची: देश के श्रमिक इन दिनों खून के आंसू रो रहे हैं. अपने प्रदेश लौटने को लेकर यह प्रवासी हर वह कोशिश कर रहे हैं, जो मुमकिन हो, लेकिन इनके लिए जो व्यवस्था करनी चाहिए वह व्यवस्था अब तक मुकम्मल नहीं हो सकी. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में इनसे टिकटों के नाम पर पैसे लिए जा रहे हैं तो सामूहिक रूप से बस भाड़ा कर भी यह मजदूर अपने प्रदेश को लौट रहे हैं और इसके लिए उन्हें मोटी रकम खर्च करने पड़ रहे हैं.
देश के सभी राज्यों के साथ-साथ झारखंड में भी ऐसी हालात देखी जा सकती है कि मजदूर अपने घर जाने के लिए मिन्नतें मांग रहे हैं. एक मई से मजदूरों की आवाजाही शुरू हो चुकी है. ट्रेनों, बस के अलावा पैदल और साइकिल से भी मजदूर अपने घर के लिए निकल पड़े हैं. हर मुस्किलों को पार कर परेशानी को झेलते हुए ये मजदूर लगातार आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन इन मजदूरों का सुध लेने वाला कोई नहीं है. उल्टा रास्ते में कुछ मजदूरों से पैसों की वसूली भी जा रही है.
50 हजार मजदूर पहुंचे हैं झारखंड
प्रवासी कामगार लगातार विभिन्न प्रदेशों से अपने प्रदेश को लौट रहे हैं. झारखंड में अबतक रेल यातायात के जरिए लगभग 25 हजार मजदूर 21 से 22 श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए झारखंड पहुंच चुके हैं तो वहीं विभिन्न यातायात के माध्यम से भी हजारों मजदूर अपने राज्य लौट चुके हैं और कई मजदूर अभी भी रास्ते में ही हैं. वहीं, लाखों प्रवासी मजदूर रेलवे स्टेशनों, पुलिस स्टेशनों और राज्य की राजधानियों में भी फंसे हुए हैं. हालांकि, इन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए कोशिश भी की जा रही है, लेकिन फिर भी ऐसे कई लोग हैं, जो रास्ते में इन भोले-भाले कामगारों से ही लूट मारी कर रहा है. केंद्र सरकार के फैसले के बाद रेल से श्रमिकों को घर भेजा जाने लगा, लेकिन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में टिकट के नाम पर कामगारों से पैसों की वसूली भी की जा रही है.
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श्रमिकों से ट्रेनों में वसूले जा रहे हैं पैसे
प्रति टिकट 800 से 900 रुपए बेंगलुरु, चेन्नई और केरला से आने वाले मजदूरों से ली जा रही है, जबकि इनके पास पैसों की किल्लत है. खाने के भी लाले पड़े हैं. वहीं, हम बसों की बात करें तो महाराष्ट्र जैसे महानगरों से बस भाड़ा कर मजदूर अपने प्रदेश लौट रहे हैं. झारखंड आने वाले ऐसे दो बस संचालकों ने झारखंड के कामगारों से ढाई से तीन लाख रुपए वसूले हैं. प्रति मजदूर साढ़े चार हजार रुपए इन मजदूरों से वसूली की गई है. ऐसे ही कई मामले हैं, जिसमें यह पता चलता है कि इस देश में फिलहाल मजदूरों की हालत बद से बदतर है.