रांची: झारखंड के निजी अस्पताल संचालकों की 'भावनाओं' में मानो फंगस लगने लगा है. इसीलिए एक बार फिर यहां मानवता शर्मसार हुई है. झारखंड में सरकार ने स्पष्ट गाइडलाइन जारी कर रखा है कि किसी भी परिस्थिति में हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद उसके शव को बिल पेमेंट के लिए नहीं रोका जाएगा. इसके बावजूद निजी अस्पताल मनमानी कर रहे हैं. अब यहां के राज अस्पताल प्रबंधन ने ब्लैक फंगस से मृत व्यक्ति के शव को पेमेंट होने तक जान से रोक दिया. मरीज के परिजनों ने सीएम को ट्वीट कर मदद मांगी. सीएम के बाद डीसी ने इंश्योरेंस कंपनी से बात की और परिजनों को शव दिलाया.
5 लाख पेमेंट के लिए रोके रखा शव
दुमका के सरैयाहाट के हिमांशु शेखर 02 मई को सांस लेने में दिक्कत के चलते राज हॉस्पिटल में भर्ती कराए गए थे. 09 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ. बाद में डॉक्टरों ने ब्लैक फंगस का संक्रमण बताया और 10 मई को ICU में शिफ्ट कर दिया. फंगस के आंख से ब्रेन तक जाने का खतरा बता हिमांशु की 12 मई आपरेशन कर आंख निकाल दी गई लेकिन स्थिति नहीं सुधरी और 16 मई को उनकी मौत हो गई. इधर अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को बकाया 5 लाख रुपये के पेमेंट तक शव लौटाने से इंकार कर दिया. इस पर परिजनों ने मुख्यमंत्री से ट्वीट कर गुहार लगाई.
अस्पताल संचालक बोले मैंने खुद कराया समाधान
मामला सामने आने पर मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर रांची के डीसी को मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए. इसके बाद DC ने इंश्योरेंस कंपनी से बात की और भुगतान कराया. इसके बाद परिजन शव लेकर घर लौट सके . इधर अस्पताल प्रबंधन की ओर से सफाई देते हुए राज हॉस्पिटल के चेयरमैन योगेश गंभीर ने कहा कि शव को रोका नहीं गया था, ब्लैक फंगस से मौत के बाद, स्वास्थ्य बीमा कंपनी से भुगतान में कुछ दिक्कत आ रही थी, उन्होंने खुद पहल कर समाधान कराया.
विधायक बंधु तिर्की कर चुके हैं निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग
इन्हीं सब वजहों से राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और विधायक बंधु तिर्की निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं. उन्होंने कई बार कहा है कि कोरोना के संकट काल मे निजी अस्पताल मरीजों के परिजनों का आर्थिक शोषण करने में लगे हैं,अनाप शनाप बिल बनाए जा रहे हैं.