रांची: राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने रांची में कांग्रेस के विधायकों और नेताओं के साथ बैठक की. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करने के बाद कहा कि अगर भाजपा चाहती है कि अनुसूचित जनजाति के लोगों का विकास हो तो एसटी समाज के किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री क्यों नहीं बना देती. यशवंत सिन्हा ने कहा कि जब उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए प्रचार विजयवाड़ा से शुरू किया था तब वे कहते थे कि देश खतरे में है, लेकिन अब कह रहे हैं कि प्रजातंत्र खतरे में है. यशवंत सिन्हा ने कहा कि संसद में सामान्य विरोध के शब्द को भी असंसदीय घोषित किया गया है और तो और अब संसद परिसर में बापू की प्रतिमा के नीचे बैठ कर विरोध की आवाज भी बुलंद नहीं कर सकते हैं.
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राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने कहा कि वह भोपाल गए थे जहां कांग्रेस के एक विधायक ने बैठक के दौरान खड़ा होकर कहा कि उन्हें वोट के बदले बड़ी रकम का ऑफर किया गया था. वहां के कई अनुसूचित जनजाति के विधायकों के लिए ऑफर था, ऐसे में समझा जा सकता है कि राष्ट्रपति जैसे उच्च चुनाव को कैसे सत्ता पक्ष ले रही है. यशवंत सिन्हा ने झामुमो के द्रौपदी मुर्मू को समर्थन के सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया. हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि जिस तरह केंद्र सरकार एजेंसियो का दुरुपयोग कर रही है उसमें आज भारत सरकार के खिलाफ वहीं खड़ा रह सकता है जो बेदाग है.
यशवंत सिन्हा ने कहा कि देश में पहले भी एक बार अंतरात्मा की आवाज पर राष्ट्रपति बने हैं, इसलिए इस बार विधायक-सांसद चाहे किसी दल के हो वह अंतरात्मा के आवाज पर वोट दें. कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि यशवंत सिन्हा ने बैठक में कई उपयोगी बातें हमारे विधायकों के सामने रखी हैं. यशवंत सिन्हा के साथ कांग्रेसी नेताओं के बैठक में रामेश्वर उरांव और बन्ना गुप्ता नहीं पहुंचे. कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि रामेश्वर उरांव की तबीयत ठीक नहीं है, वहीं बन्ना गुप्ता को कचहरी का काम था जिस वजह से वह नहीं पहुंचे. इसके अलावा माले और निर्दलीय विधायकों ने भी यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम से दूरी बनाई.