रांचीः झारखंड सरकार ने फोर्टिफाइड राइस वितरण स्कीम को लागू कर दिया है. इसको लेकर कैबिनेट की एक सितंबर को हुई बैठक में लिए गए फैसले के बाद गुरुवार को खाद्य आपूर्ति विभाग ने संकल्प जारी कर दिया है. अब राज्य के सभी 24 जिलों में फोर्टिफाइड राइस (Fortified Rice in Jharkhand) वितरण कराया जायेगा.
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विभागीय मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने बताया कि सितंबर महीने से देशभर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत नामांकित लाभार्थियों के बीच लौह, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 के मिश्रण से युक्त फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जाना है. अब सामान्य चावल पीडीएस के माध्यम से नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि इसके विरोध में जो तर्क दिये जा रहे हैं, उसके प्रमाण नहीं मिले हैं. उन्होंने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया और धालभूमगढ़ प्रखंड में फोर्टिफाइड राइस का वितरण किया गया है. दूसरे चरण में धनबाद छोड़ कर पूरे राज्य में इसे लागू किया गया. यह समीक्षा की गयी कि आंगनबाड़ी केंद्रों और विद्यालयों में वितरण किया जा रहा है और इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है.
फोर्टिफाइड चावल खाद्य नियामक एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप बनाया जाता है. इसमें चावल को तीन सूक्ष्म पोषक तत्वों-आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी 12 के साथ मिश्रित करने की सलाह दी गयी है. कुपोषण से लड़ने में इसे सबसे कारगर होने का दावा किया जा रहा है. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता और राइट टू फूड के समर्थक बलराम कहते हैं कि फोर्टिफाइड राइस के बदले सरकार को पोषण के लिए अन्य अनाज के इस्तेमाल पर जोर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड में थैलेसिमिया और सिकल सेल अनिमिया के केस अधिक हैं. इसके बारे में जानकारी की भी अभाव है. उन्होंने कहा कि मरीजों को पता भी नहीं है कि उन्हें इस तरह की गंभीर बीमारी है. ऐसे मरीजों के लिए आयरन फोर्टिफाइट राइस घातक साबित हो सकता है. हालांकि, फोर्टिफाइड राइस के लाभ और दुष्परिणाम को लेकर तरह तरह के तर्क दिये जा रहे हैं. इन सबके बीच सरकार इसे लागू करने के लिए आमदा है और एफसीआई के माध्यम से सितंबर महीने का फोर्टिफाइड चावल पीडीएस दुकान के जरिए लोगों तक पहुंचाने की तैयारी है.