रांची: रिन्यूबेल एनर्जी के क्षेत्र में झारखंड एक नई कहानी लिखने की तैयारी में है. राज्य में इसी वर्ष फ्लोटिंग यानी तैरता हुआ सोलर पावर प्लांट (Floating Solar Power Plant) एक नहीं, बल्कि दो जगहों पर लगाया जाएगा. केन्द्र और राज्य सरकार के सहयोग से जरेडा ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है. इसके तहत चांडिल और बोकारो तेनूघाट में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने की तैयारी अंतिम चरण में है.
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चांडिल डैम में एक-एक मेगावाट के दो पावर प्लांट लगेंगे. वहीं तेनूघाट में भी इसी तरह सोलर प्लांट लगेंगे. दोनों पावर प्लांट से करीब 5000 किलोवाट बिजली उत्पादित होगी. जरेडा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विजय कुमार सिन्हा की मानें तो सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यह बड़ी सफलता मिलेगी. उन्होंने कहा कि बिहार से मिले 08 हाइड्रो सोलर प्रोजेक्ट में से दो चांडिल और तेनूघाट बोकारो में पूरा हो चुका है. उसी तरह अन्य जलाशयों खासकर मंडल नौर्थ कोयल, नंदी घाघ, सदानी, लोअर घुघरी और नेतरहाट में सोलर प्लांट लगाने की योजना है. जरेडा की टेक्निकल टीम के सहयोग से आईआईटी रुड़की की टीम ने सर्वे कार्य पूरा कर लिया है. राज्य सरकार की अनुमति मिलते ही इसपर आगे कार्ययोजना बनाई जाएगी.
मछली पालन पर नहीं होगा असर
चांडिल और बोकारो तेनूघाट में फ्लोटिंग सोलर प्लांट लग रहा है, जो पानी की सतह से काफी ऊंचाई पर होगा. इससे मछली पालन पर असर नहीं पड़ेगा. देश के अन्य राज्यों खासकर केरल, उत्तराखंड आदि से अलग यह फ्लोटिंग पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जिससे जलजीवों को किसी प्रकार से क्षति नहीं पहुंचेगा. जरेडा प्रबंध निदेशक विजय कुमार सिन्हा के अनुसार सौर ऊर्जा पूरी तरह से सुरक्षित है और इसको लेकर किसी भी प्रकार की भ्रांति नहीं फैलाना चाहिए. जलाशयों के पानी के उपर तैरता हुआ यह सोलर प्लांट पारंपरिक तरह से ही बिजली उत्पादित करता है.
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सौर ऊर्जा पर दी गई है जोर
पारंपरिक बिजली की खपत कम करने के उद्देश्य से इन दिनों केन्द्र और राज्य सरकार सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन पर जोर दे रखा है. राज्य के सभी सरकारी भवन, एयरपोर्ट और ग्रामीण इलाका जल्द ही सोलर सिस्टम से आच्छादित हो जाएंगे. जरेडा द्वारा तैयार कार्ययोजना के तहत रांची बिरसा मुंडा एयरपोर्ट सहित राज्य के पांच एयरपोर्ट जहां सौर ऊर्जा से जगमगाएगा. वहीं सरकारी भवनों और ग्रामीण इलाकों को सौर ऊर्जा से आच्छादित करने की योजना है. यदि सबकुछ ठीक ठाक रहा तो वो दिन दूर नहीं जब पानी के उपर तैरता फ्लोटिंग सोलर प्लांट भी बनकर तैयार हो जाएगा. इससे महंगी पारंपरिक बिजली की खपत में भी कमी आएगी.