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रांचीः पोस्ट-कोरोना एप से प्रवासी मजदूरों की होगी पहचान, जांच में होगी आसानी

कोविड-19 के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए कोरोना सहायता एप पोस्ट-कोरोना अभियान काफी सहायक साबित होगा. इस एप के जरीए प्रवासी मजदूर के घर लौटने के बाद राज्य सरकार के लिए इन तक पहुंचना काफी आसान हो जाएगा. जिसके बाद इनकी जांच की जा सकेगी.

Post-Corona app will identify migrant laborers in ranchi
पोस्ट-कोरोना एप अभियान
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Published : Apr 18, 2020, 3:07 PM IST

रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के मकसद से बनाए गए कोरोना सहायता ऐप पोस्ट-कोरोना अभियान में भी काफी सहायक साबित होगा.

लॉकडाउन टू के बाद बनाए गए इस एप में देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूरों से अपना रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की गई है. जिसके बाद उन्हें राज्य सरकार आर्थिक मदद पहुंचा सकेगी. इस काम में लगे अधिकारियों का कहना है कि इस एप से मिले डाटा की असली भूमिका तब नजर आएगी जब लॉकडाउन टूटेगा. वैसी परिस्थिति में यह प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटेंगे और राज्य सरकार के लिए इन तक पहुंचना काफी आसान हो जाएगा.


लगभग 7 लाख लोगों का डाटा बेस होगा रेडी
दरअसल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बार-बार यह दोहरा रहे हैं कि झारखंड को असली समस्या तब झेलनी होगी जब लोग लॉकडाउन के बाद लोग वापस लौट आएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि झारखंड से बाहर काम करने गए मजदूरों की संख्या सबसे अधिक महाराष्ट्र में हैं. जहां कोरोना वायरस का मैक्सिमम असर देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी झारखंड से गए मजदूर फंसे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इनकी संख्या लगभग 7 लाख है. हालांकि राज्य सरकार इन्हें मदद पहुंचाने के लिए हर प्रयास कर रही है, लेकिन अभी सबसे बड़ी चुनौती इन की मेडिकल जांच को लेकर है. झारखंड की भौगोलिक अवस्था ऐसी है कि यह पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और ओडिशा से सटा हुआ है. उनमें चार ऐसे राज्य हैं जहां कोरोना पॉजिटिव की संख्या अच्छी है.

ये भी पढ़ें- ठेले पर शव ले जाने का मामलाः बहरागोड़ा विधायक ने कहा- सरकार को बदनाम करने की है साजिश

अब तक 95, 801 लोग होम क्वॉरेंटाइन में

कोविड-19 के मद्देनजर राज्य सरकार की ओर से तैयार की गई टीम के एक सदस्य ने बताया कि इस बात की तैयारी भी की जा रही है कि जैसे ही लोग लौटेंगे उन्हें अलग-अलग कैटेगरी में बांटकर अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट किया जाएगा. उस हिसाब से उन्हें जांच कर क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजा जाएगा. सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो अभी 95,801 व्यक्ति होम क्वॉरेंटाइन में है. जबकि 9,493 लोग सरकार द्वारा मॉनिटर किए जाने वाले क्वॉरेंटाइन सेंटर में है.

एप की डिटेल से की जाएगी ट्रैकिंग
दरअसल, कोरोना सहायता एप में झारखंड से बाहर फंसे मजदूरों की पूरी डिटेल सबमिट कराई जा रही है. एक तरफ उनका नाम और आधार कार्ड का विवरण लिया जा रहा है, तो दूसरी तरफ उनके बैंक खाते का भी डिटेल लिया जाएगा. उनकी दी गई जानकारी की वेरिफिकेशन के बाद सरकार आर्थिक सहायता उन्हें भेजेगी लेकिन यह डाटा तब और ज्यादा कारगर होगा जब वह अपने घरों की ओर लौट आएंगे.

अबतक 32 मामले आए हैं सामने
फिलहाल 3 मई तक लॉकडाउन चलने की घोषणा की गई है. अभी तक झारखंड में 32 कोरोना पोजिटिव केस पाए गए हैं. जिनमें से रांची में 17 मामले हैं. जबकि बोकारो में 9, हजारीबाग में , 2 गिरिडीह में दो और धनबाद और सिमडेगा में एक-एक मरीज हैं.

रांचीः वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के मकसद से बनाए गए कोरोना सहायता ऐप पोस्ट-कोरोना अभियान में भी काफी सहायक साबित होगा.

लॉकडाउन टू के बाद बनाए गए इस एप में देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूरों से अपना रजिस्ट्रेशन कराने की अपील की गई है. जिसके बाद उन्हें राज्य सरकार आर्थिक मदद पहुंचा सकेगी. इस काम में लगे अधिकारियों का कहना है कि इस एप से मिले डाटा की असली भूमिका तब नजर आएगी जब लॉकडाउन टूटेगा. वैसी परिस्थिति में यह प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौटेंगे और राज्य सरकार के लिए इन तक पहुंचना काफी आसान हो जाएगा.


लगभग 7 लाख लोगों का डाटा बेस होगा रेडी
दरअसल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बार-बार यह दोहरा रहे हैं कि झारखंड को असली समस्या तब झेलनी होगी जब लोग लॉकडाउन के बाद लोग वापस लौट आएंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि झारखंड से बाहर काम करने गए मजदूरों की संख्या सबसे अधिक महाराष्ट्र में हैं. जहां कोरोना वायरस का मैक्सिमम असर देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी झारखंड से गए मजदूर फंसे हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इनकी संख्या लगभग 7 लाख है. हालांकि राज्य सरकार इन्हें मदद पहुंचाने के लिए हर प्रयास कर रही है, लेकिन अभी सबसे बड़ी चुनौती इन की मेडिकल जांच को लेकर है. झारखंड की भौगोलिक अवस्था ऐसी है कि यह पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और ओडिशा से सटा हुआ है. उनमें चार ऐसे राज्य हैं जहां कोरोना पॉजिटिव की संख्या अच्छी है.

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अब तक 95, 801 लोग होम क्वॉरेंटाइन में

कोविड-19 के मद्देनजर राज्य सरकार की ओर से तैयार की गई टीम के एक सदस्य ने बताया कि इस बात की तैयारी भी की जा रही है कि जैसे ही लोग लौटेंगे उन्हें अलग-अलग कैटेगरी में बांटकर अलग-अलग जगहों पर शिफ्ट किया जाएगा. उस हिसाब से उन्हें जांच कर क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजा जाएगा. सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो अभी 95,801 व्यक्ति होम क्वॉरेंटाइन में है. जबकि 9,493 लोग सरकार द्वारा मॉनिटर किए जाने वाले क्वॉरेंटाइन सेंटर में है.

एप की डिटेल से की जाएगी ट्रैकिंग
दरअसल, कोरोना सहायता एप में झारखंड से बाहर फंसे मजदूरों की पूरी डिटेल सबमिट कराई जा रही है. एक तरफ उनका नाम और आधार कार्ड का विवरण लिया जा रहा है, तो दूसरी तरफ उनके बैंक खाते का भी डिटेल लिया जाएगा. उनकी दी गई जानकारी की वेरिफिकेशन के बाद सरकार आर्थिक सहायता उन्हें भेजेगी लेकिन यह डाटा तब और ज्यादा कारगर होगा जब वह अपने घरों की ओर लौट आएंगे.

अबतक 32 मामले आए हैं सामने
फिलहाल 3 मई तक लॉकडाउन चलने की घोषणा की गई है. अभी तक झारखंड में 32 कोरोना पोजिटिव केस पाए गए हैं. जिनमें से रांची में 17 मामले हैं. जबकि बोकारो में 9, हजारीबाग में , 2 गिरिडीह में दो और धनबाद और सिमडेगा में एक-एक मरीज हैं.

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