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आंगनबाड़ी पोषण सखी को 8 महीने से नहीं मिला वेतन, राजभवन के सामने दिया धरना - आंगनबाड़ी कर्मचारी

झारखंड में आंगनबाड़ी पोषण सखी को पिछले 8 महीने से वेतन नहीं मिला है. जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब होते चली जा रही है. अपनी मांगों को लेकर विभिन्न जिलों से आई पोषण सखियों ने राजभवन के सामने धरना दिया.

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पोषण सखी
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Published : Oct 25, 2021, 3:27 PM IST

रांची: आंगनबाड़ी कर्मचारी के पोषण सखी एक बार फिर सड़क पर उतर आई हैं. अपने विभिन्न मांगों को लेकर पोषण सखी राजभवन के पास धरना पर बैठी हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार जल्द कोई पहल नहीं करती तो चरणबद्ध आंदोलन की जाएगी.

इसे भी पढ़ें: फुटपाथ पर बैठकर पोषण सखियों ने बेची सब्जियां, कहा- मानदेय दे सरकार



कुपोषण दूर करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार प्रयासरत है. सरकार के द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है. जिसे धरातल पर उतारने का काम आंगनवाड़ी पोषण सखी करती हैं. लेकिन इन्हें पिछले 8 महीने से मानदेय नहीं मिला है. जिसके कारण ये खुद कुपोषण का शिकार हो गई हैं. उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय होते चली जा रही है. अपने बकाए मानदेय की मांग को लेकर वो धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.

देखें पूरी खबर

मानदेय बढ़ाने की मांग


आंगनबाड़ी पोषण सखी के मुताबिक इनकी बहाली साल 2016 में हुई थी. 6 जिलों में इनकी कुल संख्या 12000 है. नन्हे बच्चे को संपूर्ण पोषाहार देने का काम हो या गर्भवती महिलाओं की सेवा करने या फिर समाज को जागरूक करने की बात हो. पोषण सखियां हमेशा अपने कार्य में जुटी रहती हैं. जिसके बदले इन्हें महज 3000 रुपये प्रति माह मानदेय मिलता है. इतने पैसे से उनके परिवार का खर्च नहीं चलता है. मानदेय बढ़ाने को लेकर भी वो लगातार प्रदर्शन कर रही हैं. कुपोषण दूर करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. जो इनके सहयोग के बिना संभव नहीं है.

रांची: आंगनबाड़ी कर्मचारी के पोषण सखी एक बार फिर सड़क पर उतर आई हैं. अपने विभिन्न मांगों को लेकर पोषण सखी राजभवन के पास धरना पर बैठी हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार जल्द कोई पहल नहीं करती तो चरणबद्ध आंदोलन की जाएगी.

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कुपोषण दूर करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार प्रयासरत है. सरकार के द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है. जिसे धरातल पर उतारने का काम आंगनवाड़ी पोषण सखी करती हैं. लेकिन इन्हें पिछले 8 महीने से मानदेय नहीं मिला है. जिसके कारण ये खुद कुपोषण का शिकार हो गई हैं. उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय होते चली जा रही है. अपने बकाए मानदेय की मांग को लेकर वो धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं.

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मानदेय बढ़ाने की मांग


आंगनबाड़ी पोषण सखी के मुताबिक इनकी बहाली साल 2016 में हुई थी. 6 जिलों में इनकी कुल संख्या 12000 है. नन्हे बच्चे को संपूर्ण पोषाहार देने का काम हो या गर्भवती महिलाओं की सेवा करने या फिर समाज को जागरूक करने की बात हो. पोषण सखियां हमेशा अपने कार्य में जुटी रहती हैं. जिसके बदले इन्हें महज 3000 रुपये प्रति माह मानदेय मिलता है. इतने पैसे से उनके परिवार का खर्च नहीं चलता है. मानदेय बढ़ाने को लेकर भी वो लगातार प्रदर्शन कर रही हैं. कुपोषण दूर करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. जो इनके सहयोग के बिना संभव नहीं है.

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