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झारखंड में आयुष्मान भारत योजनाः निजी अस्पताल गरीबों के इलाज में कर रहे आनाकानी, 10 दिन की दी मोहलत

झारखंड में आयुष्मान भारत योजना पर संकट है. इस योजना से जुड़े निबंधित निजी अस्पताल इन दिनों आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना से मरीजों के इलाज में आनाकानी कर रहे हैं. उनका कहना है काफी समय से उनका भुगतान लंबित है. निजी अस्पताल संचालकों ने कहा कि 10 दिनों के भीतर बकाया राशि का भुगतान नहीं करने पर इलाज बंद करने की चेतावनी दी है. कहा जा रहा है कि बीमा कंपनी से एमओयू में देरी से भुगतान में दिक्कत आई है.

Ayushman Bharat scheme in Jharkhand
झारखंड में आयुष्मान भारत योजना
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Published : Apr 18, 2022, 10:34 PM IST

Updated : Apr 18, 2022, 10:51 PM IST

रांचीः झारखंड में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना की हाल बेहाल है. इन योजना के तहत राज्य के करीब 550 निजी अस्पताल निबंधित हैं. इन अस्पतालों में कार्डधारी गरीब मरीजों को 5 लाख रुपये तक मुफ्त में इलाज मिलता है. इलाज में खर्च हुई राशि का भुगतान बीमा कंपनी संबंधित अस्पताल को करती है. लेकिन बीमा कंपनी ने पिछले छह-सात माह से आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है. इसको लेकर निजी अस्पताल गरीब मरीजों के इलाज करने में आनाकानी कर रहे हैं. वहीं बीते दिन आईएमए की झारखंड इकाई ने इस संबंध में विज्ञापन निकालकर रुपयो के भुगतान की मांग की थी.

यह भी पढ़ेंःIMA ने विज्ञापन निकाल आयुष्मान भारत से इलाज के मांगे पैसे, कहा- सितंबर से नहीं जारी हुआ पैसा

बताया जा रहा है कि निजी अस्पतालों का इलाज के एवज में 200 करोड़ से अधिक की राशि बकाया है. लेकिन बीमा कंपनी ने बकाया राशि का भुगतान संबंधित अस्पताल को नहीं किया है. इससे निजी अस्पताल इलाज में आनाकानी कर रहे हैं. अब हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया के झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष योगेश गंभीर ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सात से दस दिनों के भीतर बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ तो निजी अस्पताल इलाज करने से मना कर देंगे. उन्होंने कहा कि अब कोई उपाय नहीं दिख रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट


एमओयू में देरी से दिक्कत बढ़ीः झारखंड की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर 2018 को विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना की सौगात देशवासियों की दी थी. इस योजना के तहत गरीब परिवार को 5 लाख रुपये तक की इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई. साल 2018 से सितंबर 2021 तक इस योजना के तहत मरीजों के इलाज में कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग और बीमा करने वाली बीमा कंपनी के बीच नया एमओयू करने में छह महीने की देरी हुई. सितंबर 2021 के बदले अप्रैल 2022 में सरकारी बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस के साथ एमओयू हस्ताक्षर किया गया. इससे निजी अस्पतालों के भुगतान में देरी हो रही है.

मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने दो बार में 170 करोड़ रुपये बीमा कंपनी को दी है. इससे लगता है कि शीघ्र ही निजी अस्पतालों के बकाया राशि का भुगतान शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही सरकारी और निजी अस्पतालों को आयुष्मान के तहत इलाज कराना आसान हो जाएगा. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जना आरोग्य योजना के तहत एक लाख रुपये तक इलाज का खर्च बीमा कंपनी उठाती है. एक लाख से अधिक और 5 लाख तक का खर्च सरकार की ओर से बनाया गया ट्रस्ट भुगतान करता है. इस ट्रस्ट के माध्यम से होने वाला भुगतान रूका हुआ है.

सिविल सर्जन बोले-जल्द होगा भुगतानः रांची सिविल सर्जन डॉ विंनोद कुमार ने कहा कि कुछ तकनीकी अड़चन की वजह से भुगतान नहीं हो रहा था. लेकिन अब तकनीकी समस्या का समाधान कर लिया गया है और जिलों को पैसा भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत सबसे ज्यादा मरीजों का मेरे यहां इलाज होता है और अधिकतर अस्पतालों को भुगतान गया गया है और बकाया राशि का भी भुगतान किया जाएगा. बता दें कि झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों की संख्या 2.63 करोड़ हैं.

बीजेपी ने की आलोचनाः झारखंड बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पैसा भेजा जाता है. इसके बावजूद राज्य सरकार की प्राथमिकता में आयुष्मान भारत योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं पार कर चुकी है. इससे निजी अस्पतालों का बकाया राशि भुगतान ही हो रहा है. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर किया जा रहा है. लेकिन झारखंड में व्यवस्था को ही ध्वस्त किया जा रहा है.

रांचीः झारखंड में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना की हाल बेहाल है. इन योजना के तहत राज्य के करीब 550 निजी अस्पताल निबंधित हैं. इन अस्पतालों में कार्डधारी गरीब मरीजों को 5 लाख रुपये तक मुफ्त में इलाज मिलता है. इलाज में खर्च हुई राशि का भुगतान बीमा कंपनी संबंधित अस्पताल को करती है. लेकिन बीमा कंपनी ने पिछले छह-सात माह से आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है. इसको लेकर निजी अस्पताल गरीब मरीजों के इलाज करने में आनाकानी कर रहे हैं. वहीं बीते दिन आईएमए की झारखंड इकाई ने इस संबंध में विज्ञापन निकालकर रुपयो के भुगतान की मांग की थी.

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बताया जा रहा है कि निजी अस्पतालों का इलाज के एवज में 200 करोड़ से अधिक की राशि बकाया है. लेकिन बीमा कंपनी ने बकाया राशि का भुगतान संबंधित अस्पताल को नहीं किया है. इससे निजी अस्पताल इलाज में आनाकानी कर रहे हैं. अब हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया के झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष योगेश गंभीर ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सात से दस दिनों के भीतर बकाया राशि का भुगतान नहीं हुआ तो निजी अस्पताल इलाज करने से मना कर देंगे. उन्होंने कहा कि अब कोई उपाय नहीं दिख रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट


एमओयू में देरी से दिक्कत बढ़ीः झारखंड की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर 2018 को विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना की सौगात देशवासियों की दी थी. इस योजना के तहत गरीब परिवार को 5 लाख रुपये तक की इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई. साल 2018 से सितंबर 2021 तक इस योजना के तहत मरीजों के इलाज में कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग और बीमा करने वाली बीमा कंपनी के बीच नया एमओयू करने में छह महीने की देरी हुई. सितंबर 2021 के बदले अप्रैल 2022 में सरकारी बीमा कंपनी नेशनल इंश्योरेंस के साथ एमओयू हस्ताक्षर किया गया. इससे निजी अस्पतालों के भुगतान में देरी हो रही है.

मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने दो बार में 170 करोड़ रुपये बीमा कंपनी को दी है. इससे लगता है कि शीघ्र ही निजी अस्पतालों के बकाया राशि का भुगतान शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही सरकारी और निजी अस्पतालों को आयुष्मान के तहत इलाज कराना आसान हो जाएगा. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जना आरोग्य योजना के तहत एक लाख रुपये तक इलाज का खर्च बीमा कंपनी उठाती है. एक लाख से अधिक और 5 लाख तक का खर्च सरकार की ओर से बनाया गया ट्रस्ट भुगतान करता है. इस ट्रस्ट के माध्यम से होने वाला भुगतान रूका हुआ है.

सिविल सर्जन बोले-जल्द होगा भुगतानः रांची सिविल सर्जन डॉ विंनोद कुमार ने कहा कि कुछ तकनीकी अड़चन की वजह से भुगतान नहीं हो रहा था. लेकिन अब तकनीकी समस्या का समाधान कर लिया गया है और जिलों को पैसा भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत सबसे ज्यादा मरीजों का मेरे यहां इलाज होता है और अधिकतर अस्पतालों को भुगतान गया गया है और बकाया राशि का भी भुगतान किया जाएगा. बता दें कि झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों की संख्या 2.63 करोड़ हैं.

बीजेपी ने की आलोचनाः झारखंड बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से पैसा भेजा जाता है. इसके बावजूद राज्य सरकार की प्राथमिकता में आयुष्मान भारत योजना नहीं है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं पार कर चुकी है. इससे निजी अस्पतालों का बकाया राशि भुगतान ही हो रहा है. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर किया जा रहा है. लेकिन झारखंड में व्यवस्था को ही ध्वस्त किया जा रहा है.

Last Updated : Apr 18, 2022, 10:51 PM IST
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