रांची: झारखंड सरकार में शामिल कांग्रेस पार्टी की महिला विधायकों ने जैसे ही अपने तेवर दिखाए, उसके बाद कहीं ना कहीं माना जा रहा है कि पुलिस प्रशासन को सरकारी निर्देश जारी हो गया है. निर्देश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें. हालांकि कांग्रेस में विधायकों के इस रवैया को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव ने हिदायत दी है. उन्होंने कहा है कि विधायकों को अगर कोई समस्या है तो उसे बाहर कहने की जगह पार्टी फोरम में कहें और अनुशासन में ही अपनी बातों को रखें. वहीं विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी ने भी इस मसले पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री को सलाह दे दी है कि अगर सहयोगी दल नहीं सम्भलते हैं तो राज्य हित में दूसरा रास्ता सोचना चाहिए.
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बैकफुट पर आ गई सरकार
प्रदेश कांग्रेस की 4 महिला विधायकों ने पुलिस प्रशासन की ओर से जनप्रतिनिधियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के विरोध में जैसे ही मोर्चा खोला, सरकार बैकफुट पर नजर आ गई है. यही वजह है कि अब पुलिस के आला अधिकारियों को साफ निर्देश दे दिया गया है कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें. हालांकि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव ने नाराज विधायकों के इस आचरण पर कहा कि आपस में बात करना कोई गलत नहीं है, लेकिन कोई समस्या है तो बिना बाहर बोले पार्टी फोरम में रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधायकों के दिल्ली जाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन अनुशासन में रहकर ही जाना चाहिए और जाने से पहले सभी वरिष्ठ नेताओं से राय लेनी चाहिए.
भाजपा ने क्या कहा
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि कांग्रेस विधायकों के अंतर्विरोध की जो बातें सामने आ रही है और ये कहना कि राज्य में अफसरशाही हावी है, उनकी बातें नहीं सुनी जा रही है. ऐसे में पार्टी यह मानती है कि कांग्रेस के विधायकों का जो आचरण है, उसकी वजह से समय-समय पर सरकार कटघरे में खड़ा हुई है. सरकार बनने के बाद से ही आलाकमान तक शिकायतें पहुंचाई जा रही है. कांग्रेस विधायक सिर्फ अपने क्षेत्र में वर्चस्व कायम करना चाहते हैं. कांग्रेस विधायक के लिए जनता कुछ नहीं है, बल्कि वह अपनी अहमियत क्षेत्र में कैसे बढ़े, इसको लेकर चिंता कर रहे हैं. वहीं, सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन जिस तरह से चुप्पी साधे हुए हैं. उससे राज्य की जनता भी परेशान है कि वह सहयोगियों को साथ लेकर नहीं चल सकते हैं तो उन्हें राज्य हित के लिए कोई दूसरा रास्ता सोचना होगा.