रांचीः झारखंड में पंचायत चुनाव नये वर्ष में होने की संभावना है. मिली जानकारी के अनुसार सबकुछ ठीक ठाक रहा तो अगले वर्ष फरवरी-मार्च महीने में राज्य में गांव की सरकार बन जायेगी. इधर एक वर्ष से लंबित पंचायत चुनाव कराने को लेकर सियासत जारी है.
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विपक्षी दल बीजेपी पंचायत चुनाव को लेकर सरकार पर दबाव बनाने में जुटी है. बीजेपी द्वारा राज्य सरकार पर जान बूझकर पंचायत चुनाव नहीं कराने का आरोप लगाते हुए सरकार पर निशाना साधा है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने राज्य सरकार पर झारखंड में पंचायत चुनाव टालने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस बहाने सत्तारूढ़ दल द्वारा वसूली की जा रही है. राज्य में प्रखंड से लेकर जिला कार्यालय तक में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. यदि पंचायत चुनाव हो जाता है तो कहीं न कहीं भ्रष्टाचार में कमी आ जायेगी. इधर विपक्ष को हमलावर होता देख राज्य सरकार इस मामले में सफाई देने में जुटी है. ग्रामीण विकास सह पंचायती राज मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि सरकार पंचायत चुनाव कराने को लेकर कृतसंकल्पित है. बीजेपी के आरोप पर आलमगीर आलम ने पलटवार करते हुए कहा कि राज्य में 16 वर्ष भाजपा ने शासन किया है जिसमें सिर्फ दो बार पंचायत चुनाव हुए हैं. ऐसे में राजनीति करने के बजाय बीजेपी खुद अपने गिरेबां में झांके.
झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दिसंबर 2020 में होना था. पहले राज्य निर्वाचन आयुक्त का पद खाली होने के कारण चुनाव नहीं हो सका, फिर कोरोना के कारण चुनाव लटकता चला गया. ऐसे में सरकार पंचायत के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अब तक दो बार एक्सटेंशन देकर किसी तरह काम चला रही है. राज्य में काफी जद्दोजहद के बाद वर्ष 2010 में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हुए. तत्पश्चात 2015 में एक बार फिर गांव की सरकार बनी जिसमें राज्यभर में 4402 मुखिया, 545 जिला परिषद सदस्य, 5423 पंचायत समिति सदस्य, 54330 ग्राम पंचायत सदस्यों का निर्वाचन हुआ था. वर्तमान में झारखंड में कुल 32,660 गांव हैं. जिसमें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर 2020 में ही समाप्त हो चुका है. पंचायत चुनाव नहीं होने से राज्य सरकार को 15 वें वित्त आयोग से प्राप्त होने वाली राशि से वंचित होना पड़ेगा.