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Politics on Niyojan Niti: विपक्ष के बाद सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के निशाने पर हेमंत सरकार

झारखंड में नियोजन नीति पर राजनीति जारी है. पहले से ही विपक्ष लगातार इसको लेकर सरकार पर निशाना साध रही है. आलम ये है कि विपक्ष के साथ-साथ अब सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस के अंदर भी इस मुद्दे पर विरोध के स्वर फूटने लगे हैं.

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बीजेपी-कांग्रेस
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Published : Aug 17, 2021, 4:14 PM IST

रांचीः राज्य सरकार की ओर से कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में भोजपुरी, अंगिका, मगही और मैथिली को क्षेत्रीय भाषा में शामिल नहीं करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. हालत यह है कि विपक्ष के साथ-साथ अब कांग्रेस के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर गतिरोध देखा जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- Jharkhand Niyojan Niti News: गांव-गांव में अंग्रेजी बोली जा रही है तो क्या उसे क्षेत्रीय भाषा घोषित कर दें: रामेश्वर उरांव


इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता केएन त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिठ्ठी लिखकर राज्य में रहनेवाले भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका भाषा भाषी को भी क्षेत्रीय भाषा में स्थान देकर सम्मान देने की बात कही है.

देखें पूरी खबर

केएन त्रिपाठी ने कहा कि जब ओड़िशा से सटे झारखंड में रहने वाले ओड़िया बोलने वालों को सरकार सम्मान देकर क्षेत्रीय भाषा में स्थान दे सकती है तो बिहार की सीमा से सटे लोगों की क्षेत्रीय भाषा में स्थान क्यों नहीं दी जा सकती है. राज्य सरकार इन चारों भाषा के साथ भेदभाव ना करे, क्योंकि ये सभी चारों भाषा 2018 में ही द्वितीय राजभाषा के रुप में राज्य में मान्यता प्राप्त भाषा के रुप में है.



सरकार को बरगला रहे अधिकारी
रांची में मोरहाबादी के स्टेट गेस्ट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने कहा कि पूर्व की रघुवर सरकार की तरह इस सरकार में भी अधिकारी हावी हो रहे हैं. राज्य सरकार को बरगलाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा में छूटी चार भाषाओं को जोड़ने के लिए वो मुख्यमंत्री से मिलेंगे. इसके बाद हेमंत कैबिनेट के सभी मंत्री और सत्तारूढ़ दल के विधायक से मिलकर इस मांग को रखेंगे.

केएन त्रिपाठी ने कहा कि इस संबंध में प्रकाशित झारखंड गजट के प्रावधानों से झारखंड राज्य के अधिसंख्य छात्र जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, वो झारखंड के निवासी होने के बाद भी चयन से वंचित रह जाएंगे. मगही, भोजपुरी भाषा बोलने एवं समझने वाले लोग गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरीडीह धनबाद, बोकारो, जामताड़ा और रांची में अधिसंख्य झारखंड के पुरातन निवासी हैं.

इसे भी पढ़ें- नियोजन नीति की नई नियमावली पर भड़की भाजपा, राजभाषा के अपमान का लगाया आरोप: प्रतुल शाहदेव

इसके अलावा उन्होंने बताया कि उसी तरह अंगिका, मैथिली बोलने और समझने वाले लोग गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, देवघर और जामताड़ा में निवास करते हैं. इन लोगों को झारखंड गजट में शामिल 12 जनजातीय भाषा का ज्ञान नहीं है. जिस कारण झारखंड के मूलवासी होने के बाद भी नियोजन में अपने अधिकारों से वंचित रह जाएंगे.

बीजेपी ने जताया विरोध
झारखंड सरकार की इस नियोजन नीति के खिलाफ बीजेपी मुखर हुई है. बीजेपी महामंत्री डॉ. प्रदीप वर्मा ने कहा है कि सरकार कि नियोजन नीति से छात्र हताश और निराश हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अफरातफरी में लाई गई इस नियोजन नीति से प्रदेश के युवा चिंतित है और उनका भविष्य को दांव पर लग गया है. भारतीय जनता पार्टी इसके खिलाफ सड़क से सदन तक आंदोलन करेगी.

रांचीः राज्य सरकार की ओर से कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में भोजपुरी, अंगिका, मगही और मैथिली को क्षेत्रीय भाषा में शामिल नहीं करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. हालत यह है कि विपक्ष के साथ-साथ अब कांग्रेस के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर गतिरोध देखा जा रहा है.

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इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता केएन त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिठ्ठी लिखकर राज्य में रहनेवाले भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका भाषा भाषी को भी क्षेत्रीय भाषा में स्थान देकर सम्मान देने की बात कही है.

देखें पूरी खबर

केएन त्रिपाठी ने कहा कि जब ओड़िशा से सटे झारखंड में रहने वाले ओड़िया बोलने वालों को सरकार सम्मान देकर क्षेत्रीय भाषा में स्थान दे सकती है तो बिहार की सीमा से सटे लोगों की क्षेत्रीय भाषा में स्थान क्यों नहीं दी जा सकती है. राज्य सरकार इन चारों भाषा के साथ भेदभाव ना करे, क्योंकि ये सभी चारों भाषा 2018 में ही द्वितीय राजभाषा के रुप में राज्य में मान्यता प्राप्त भाषा के रुप में है.



सरकार को बरगला रहे अधिकारी
रांची में मोरहाबादी के स्टेट गेस्ट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने कहा कि पूर्व की रघुवर सरकार की तरह इस सरकार में भी अधिकारी हावी हो रहे हैं. राज्य सरकार को बरगलाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा में छूटी चार भाषाओं को जोड़ने के लिए वो मुख्यमंत्री से मिलेंगे. इसके बाद हेमंत कैबिनेट के सभी मंत्री और सत्तारूढ़ दल के विधायक से मिलकर इस मांग को रखेंगे.

केएन त्रिपाठी ने कहा कि इस संबंध में प्रकाशित झारखंड गजट के प्रावधानों से झारखंड राज्य के अधिसंख्य छात्र जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, वो झारखंड के निवासी होने के बाद भी चयन से वंचित रह जाएंगे. मगही, भोजपुरी भाषा बोलने एवं समझने वाले लोग गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरीडीह धनबाद, बोकारो, जामताड़ा और रांची में अधिसंख्य झारखंड के पुरातन निवासी हैं.

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इसके अलावा उन्होंने बताया कि उसी तरह अंगिका, मैथिली बोलने और समझने वाले लोग गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, देवघर और जामताड़ा में निवास करते हैं. इन लोगों को झारखंड गजट में शामिल 12 जनजातीय भाषा का ज्ञान नहीं है. जिस कारण झारखंड के मूलवासी होने के बाद भी नियोजन में अपने अधिकारों से वंचित रह जाएंगे.

बीजेपी ने जताया विरोध
झारखंड सरकार की इस नियोजन नीति के खिलाफ बीजेपी मुखर हुई है. बीजेपी महामंत्री डॉ. प्रदीप वर्मा ने कहा है कि सरकार कि नियोजन नीति से छात्र हताश और निराश हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से अफरातफरी में लाई गई इस नियोजन नीति से प्रदेश के युवा चिंतित है और उनका भविष्य को दांव पर लग गया है. भारतीय जनता पार्टी इसके खिलाफ सड़क से सदन तक आंदोलन करेगी.

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