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कोरोना में दिख रहा है राजनीति का रंग, पक्ष-विपक्ष में चल रहे हैं बयानों के तीर

झारखंड में कोरोना को लेकर सियासत तेज हो गई है. पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर कटाक्ष करते नजर आ रहे हैं. लॉकडाउन वन से लेकर लॉकडाउन थ्री तक की अवधि में प्रदेश में कोरोना से जुड़ी राजनीति की तरह-तरह के रंग देखने को मिले.

Lockdown in Jharkhand, Jharkhand politics, political statement on Corona, Hemant Government, झारखंड में लॉकडाउन, झारखंड की राडनीति, कोरोना पर राजनीतिक बयान, हेमंत सरकार
सीएम हेमंत सोरेन
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Published : May 6, 2020, 4:48 PM IST

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर एक तरफ जहां परहेज और इलाज का अभियान चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ इस पर सियासत भी तेज है. लॉकडाउन वन से लेकर लॉकडाउन थ्री तक की अवधि में प्रदेश में कोरोना से जुड़ी राजनीति की तरह-तरह के रंग देखने को मिले. प्रदेश में महागठबंधन की सरकार आपदा की इस घड़ी में प्रवासी मजदूरों और अन्य राज्यों में फंसे छात्रों को झारखंड वापस लाने में सफल हो रही है. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल सरकार की खिंचाई में लगे हुए हैं.

देखें पूरी खबर
विपक्षी दलों ने की आलोचनाझारखंड देश का पहला राज्य है जहां प्रवासी मजदूरों को लेकर पहली ट्रेन चली और कोटा से फंसे छात्रों को भी वापस लाने वाला यह पहला राज्य बना. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी विधायक दल के नेता और पार्टी के अन्य पदाधिकारी राज्य सरकार की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हालांकि प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी की तरफ से संकट के इस दौर में जरूरतमंदों के बीच मोदी आहार बांटा जा रहा है. इसके अलावा पका हुआ भोजन भी लोगों को खिलाया जाएगा. इन सबके बीच पार्टी के विधायक दल के नेता हर रोज मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख रहे हैं.

ये भी पढ़ें- प्रेम-प्रसंग में युवक की हत्या, जंगल में शव तलाश रही पुलिस

क्या कहा बाबूलाल मरांडी ने

बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी अब तक सीएम हेमंत सोरेन को 12 से अधिक चिट्ठी भेज चुके हैं. उन चिट्ठियों में सरकार के कार्यों को लेकर असंतोष जताया गया है. मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना वायरस संक्रमण की घड़ी में लाख दावे करे, लेकिन उसके प्रयासों का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने भी बयान जारी कर यह कहा कि केंद्रीय मदद को लेकर राज्य सरकार आंकड़े स्पष्ट नहीं कर रही है.

सरकार ने किया पलटवार
बीजेपी के आरोपों को लेकर राज्य सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर का कहना है कि मौजूदा दौर में राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार लोगों को हर तरह की मदद पहुंचाए और अधिकारी इस काम में लगे हुए हैं. उन्होंने साफ कहा कि इन आरोपों की निष्पक्ष जांच हो जाए, सारी बातें क्लियर हो जाएंगी. उन्होंने मरांडी को खुला चैलेंज भी दिया कि वह अपने आरोपों के बदले साक्ष्य प्रस्तुत करें.

ये भी पढ़ें- नक्सलियों के साथ अब कोरोना से भी बचा रहे जवान, ग्रामीणों के लिए भगवान साबित हो रहा कोबरा

'राजनीति किया जाना सही नहीं'

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के विधायक और राज्य के कृषि मंत्री बादल ने कहा कि झारखंड सरकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर हर संभव उपाय कर रही है. ऐसे में विपक्ष की ओर से इस तरह की राजनीति किया जाना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि फिलहाल तो इस तरह के संकट से निकलने की कोशिश होनी चाहिए, उसके बाद पूरा समय बचा है कि यह आकलन करें क्या हुआ और क्या नहीं हो पाया.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: सफाईकर्मियों पर मंडरा रहा कातिल कोरोना का काला साया

ऐसे बदले कोरोना में राजनीति के रंग
पिछले महीने की 24 तारीख को लगे पहले लॉकडाउन के दौरान कोरोना को धर्म, जाति और संप्रदाय से जोड़कर टिप्पणियां हुईं. वहीं, दूसरे लॉकडाउन में जांच की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठे. जबकि 4 मई से शुरू हुए तीसरे लॉकडाउन की अवधि में मजदूरों और छात्रों की वापसी में खर्च होनेवाले पैसों को लेकर बहस छिड़ी हुई है.

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर एक तरफ जहां परहेज और इलाज का अभियान चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ इस पर सियासत भी तेज है. लॉकडाउन वन से लेकर लॉकडाउन थ्री तक की अवधि में प्रदेश में कोरोना से जुड़ी राजनीति की तरह-तरह के रंग देखने को मिले. प्रदेश में महागठबंधन की सरकार आपदा की इस घड़ी में प्रवासी मजदूरों और अन्य राज्यों में फंसे छात्रों को झारखंड वापस लाने में सफल हो रही है. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल सरकार की खिंचाई में लगे हुए हैं.

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विपक्षी दलों ने की आलोचनाझारखंड देश का पहला राज्य है जहां प्रवासी मजदूरों को लेकर पहली ट्रेन चली और कोटा से फंसे छात्रों को भी वापस लाने वाला यह पहला राज्य बना. वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी विधायक दल के नेता और पार्टी के अन्य पदाधिकारी राज्य सरकार की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हालांकि प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी की तरफ से संकट के इस दौर में जरूरतमंदों के बीच मोदी आहार बांटा जा रहा है. इसके अलावा पका हुआ भोजन भी लोगों को खिलाया जाएगा. इन सबके बीच पार्टी के विधायक दल के नेता हर रोज मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख रहे हैं.

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क्या कहा बाबूलाल मरांडी ने

बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी अब तक सीएम हेमंत सोरेन को 12 से अधिक चिट्ठी भेज चुके हैं. उन चिट्ठियों में सरकार के कार्यों को लेकर असंतोष जताया गया है. मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना वायरस संक्रमण की घड़ी में लाख दावे करे, लेकिन उसके प्रयासों का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने भी बयान जारी कर यह कहा कि केंद्रीय मदद को लेकर राज्य सरकार आंकड़े स्पष्ट नहीं कर रही है.

सरकार ने किया पलटवार
बीजेपी के आरोपों को लेकर राज्य सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर का कहना है कि मौजूदा दौर में राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार लोगों को हर तरह की मदद पहुंचाए और अधिकारी इस काम में लगे हुए हैं. उन्होंने साफ कहा कि इन आरोपों की निष्पक्ष जांच हो जाए, सारी बातें क्लियर हो जाएंगी. उन्होंने मरांडी को खुला चैलेंज भी दिया कि वह अपने आरोपों के बदले साक्ष्य प्रस्तुत करें.

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'राजनीति किया जाना सही नहीं'

वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस के विधायक और राज्य के कृषि मंत्री बादल ने कहा कि झारखंड सरकार केंद्र सरकार के साथ मिलकर हर संभव उपाय कर रही है. ऐसे में विपक्ष की ओर से इस तरह की राजनीति किया जाना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि फिलहाल तो इस तरह के संकट से निकलने की कोशिश होनी चाहिए, उसके बाद पूरा समय बचा है कि यह आकलन करें क्या हुआ और क्या नहीं हो पाया.

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ऐसे बदले कोरोना में राजनीति के रंग
पिछले महीने की 24 तारीख को लगे पहले लॉकडाउन के दौरान कोरोना को धर्म, जाति और संप्रदाय से जोड़कर टिप्पणियां हुईं. वहीं, दूसरे लॉकडाउन में जांच की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठे. जबकि 4 मई से शुरू हुए तीसरे लॉकडाउन की अवधि में मजदूरों और छात्रों की वापसी में खर्च होनेवाले पैसों को लेकर बहस छिड़ी हुई है.

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