रांची: देश में बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव पिछले 7 साल से एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हैं. बावजूद उनके 'पॉलिटिकल इंपॉर्टेंस' को नकारा नहीं जा सकता है. राजधानी रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में भर्ती लालू अभी भी राजनीति के केंद्र बिंदु बने हुए हैं. इस बात का प्रमाण रिम्स में रोज उनसे मिलने आ रही भीड़ है. जिसमें न केवल राजद कार्यकर्ता शामिल हैं, बल्कि विधायक भी अपने नेता की एक झलक पाने के लिए लंबा सफर कर यहां पहुंच रहे हैं. 2013 में चारा घोटाले के एक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद लालू चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं. लेकिन अभी भी बिहार की राजनीति में उनकी 'किंग मेकर' की भूमिका बरकरार मानी जा रही है. यही वजह है कि बिहार में चुनाव की सुगबुगाहट होते ही राजधानी रांची में उनसे मिलने वालों की तादाद बढ़ गई है.
नेता और उनके बायो डाटा लालू तक पहुंचाने की हो रही है जुगत
बिहार विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव को लेकर वहां से पार्टी कार्यकर्ता और नेता लालू रिकमेन्डेशन को लेकर काफी बेताब हैं. यही वजह है कि न केवल सिटिंग एमएलए, बल्कि संभावित उम्मीदवार अपना बायोडाटा लेकर भी रिम्स परिसर में घूमते नजर आ रहे हैं. हालांकि इनमें से कितनों की बात, मुलाकात या इंटरव्यू हो पा रही है यह कहना मुश्किल है. लेकिन अपने 'पॉलिटिकल कैरियर' को लेकर संजीदा ऐसे लोग हर संभव कोशिश कर रहे हैं.
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बेटे और पार्टी के विधायक ने भी की है मुलाकात
कुछ हफ्ते पहले लालू के बेटे तेज प्रताप ने उनसे मुलाकात की. राजद सुप्रीमो के जन्मदिन के मौके पर छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी रांची आए. पिछले दिनों गया जिले के बाराचट्टी विधानसभा से विधायक समता देवी भी लालू से मुलाकात करने पहुंची. हालांकि उन्हें रांची जिला प्रशासन ने कथित तौर पर नियमों के उल्लंघन करने के आरोप में क्वॉरेंटाइन में डाल दिया है. बावजूद इसके बिहार से कथित तौर पर झारखंड में राजद समर्थकों का आना बदस्तूर जारी है.
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण होगी भूमिका
ऐसा पहली बार नहीं है. राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद पिछले 2 साल से रिम्स में भर्ती हैं. इस दौरान 2019 में लोकसभा चुनाव हुए और झारखंड विधानसभा के चुनाव हुए. उन दोनों चुनावों में महागठबंधन के मूर्त रूप लेने में भी लालू प्रसाद की अहम भूमिका रही. लालू प्रसाद की स्वीकार्यता को लेकर इससे भी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि झारखंड में महज एक राजद विधायक ने जीत दर्ज कराई और वह राज्य सरकार में मंत्री हैं. उसी तरह बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को शेप देने में लालू की भूमिका अहम मानी जा रही है. वहां बन रहे समीकरण के अनुसार, राजद, कांग्रेस, वामदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा को को साथ लेकर 'स्ट्रेटजिकली' चुनाव लड़ने जा रहा है. अंदरूनी सूत्रों की मानें तो रालोसपा और लेफ्ट के लोग भी अलग-अलग तरीके से एकोमोडेट किए जाएंगे. ऐसे में नए बनते समीकरण को लेकर लालू प्रसाद की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी.
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रिम्स कैंपस के 'केली बंगले' में रह रहे हैं लालू
कोरोना के संक्रमण को देखते हुए लालू प्रसाद को रिम्स के वार्ड से कैंपस में ही बने निदेशक के बंगले जिसे केली बंगला कहा जाता है, वहां शिफ्ट किया गया है. पिछले महीने के पहले हफ्ते में लालू को वहां शिफ्ट किया गया है. साथ ही वहां बकायदा पुलिस बल की भी तैनाती की गई है. लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए वहां जिला प्रशासन ने मजिस्ट्रेट भी तैनात कर दिए हैं.
राजनीतिक गलियारे में ऐसा है लालू का परिवार
लालू प्रसाद 70 के दशक में बिहार में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू हुए छात्र आंदोलन में उभरे. सक्रिय छात्र नेता के तौर पर लालू का पॉलिटिकल कैरियर शुरू हुआ. 1977 में पहली बार जनता पार्टी की टिकट से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने.1990 में बिहार के पहले सीएम बने. उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी बिहार की सीएम रह चुकी हैं. लालू की एक बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद हैं. उनके बड़े बेटे बिहार के महुआ विधानसभा इलाके से विधायक हैं और पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.
महागठबंधन का दावा: लालू आज भी प्रासंगिक
कांग्रेस पार्टी का का दावा है कि लालू प्रसाद आज भी प्रासंगिक हैं. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा कि लालू प्रसाद न सक्रिय राजनीति में है और न उन्हें चुनाव लड़ना है. इसके बावजूद भी वह प्रासंगिक हैं. क्योंकि बिहार की जनता आज भी उन्हें मसीहा के रूप में मानती है. बीजेपी को इसी बात का खौफ है कि उसके प्रपंच का अगर कोई जवाब देने की काबिलियत रखता है तो वह लालू प्रसाद यादव है. 2015 में लालू प्रसाद ने पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को बिहार में रोकने का काम किया.
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'राजनीति में उन्हें नकारना बेमानी'
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता विनोद पांडे ने दावा किया कि चाहे देश की राजनीति हो या फिर बिहार झारखंड की, लालू प्रसाद की उपस्थिति जरूरी होती है. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के मौजूदा दौर में बीजेपी और जदयू के लोग उन पर लगातार व्यक्तिगत हमले भी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी और जदयू लालू प्रसाद के नाम से भयभीत हैं. भारतीय राजनीति और बिहार-झारखंड की राजनीति में उन्हें नकारना बेमानी होगा.
क्या कहती है बीजेपी
बीजेपी कह रही है कि लालू को अविलंब राज्य सरकार होटवार जेल शिफ्ट करके सारे चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराए. जब अस्पताल की जगह बंगले में लालू जी का इलाज हो सकता है तो यही इलाज जेल में क्यों नहीं हो सकता. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति सिर्फ आईवॉश है. इसके पूर्व भी 1998 में जेल मैनुअल का पालन नहीं करने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद को बीएमपी गेस्ट हाउस से बेउर जेल शिफ्ट करवाया था. 22 वर्ष के बाद रांची में फिर से दुरुपयोग की वही कहानी दोहराई जा रही है.