रांचीः मधुपुर विधानसभा सीट के लिए 17 अप्रैल को उपचुनाव होना है. महागठबंधन और एनडीए की तरफ से जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है. सीधी टक्कर झामुमो प्रत्याशी हफीजुल हसन और भाजपा प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह के बीच में. दोनों की लड़ाई छह निर्दलीय विधायकों की वजह से रोचक बनती दिख रही है. सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि जहां पूर्व में अलग-अलग पार्टी या बतौर निर्दलीय भी कई मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतरा करते थे, वहां इसबार सिर्फ एक मुस्लिम प्रत्याशी क्यों है? जानकार कहते हैं कि इसका फायदा है तो नुकसान भी कम नहीं है. फायदा यह है कि मुस्लिम वोट में बिखराव नहीं होगा. नुकसान यह है कि कहीं हिंदू वोट का धुर्वीकरण न हो जाए. मधुपुर उपचुनाव के गणित को समझने के लिए पूर्व में हुए पांच चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालना जरूरी है.
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एकीकृत बिहार में साल 2000 का चुनाव
झारखंड बनने से ठीक पहले साल 2000 में एकीकृत बिहार के समय हुए चुनाव के वक्त भी मधुपुर सीट पर झामुमो की जीत हुई थी. हाजी हुसैन अंसारी ने भाजपा के विशाखा सिंह को 5232 वोट के अंतर से हराया था. तब कांग्रेस के कृष्णानंद झा 20782 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे. जबकि राजद के सलाउद्दीन अंसारी 5537 वोट के साथ छठे स्थान पर थे. उस दौर में अलग झारखंड राज्य का आंदोलन चल रहा था. इसका फायदा झामुमो को मिला.
2005 के चुनाव में भाजपा की जीत
2005 में भाजपा के राज पलिवार को 48756 वोट मिले थे. झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी को 42089 वोट मिले थे. इस तरह 6667 वोट के अंतर से पलिवार की जीत हुई थी. इस चुनाव में 25506 वोट लाकर बसपा के सहीम खान तीसरे नंबर पर आए थे. आजसू के मुकेश कुमार सिंह को सिर्फ 2250 वोट मिले थे. इस चुनाव में कुल सात प्रत्याशी मैदान में थे. राजद के जवाहर प्रसाद सिंह को 5989 मिले थे. कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं दिया था. 2005 के चुनाव में कुल मतदाता 2,37,299 थे.
2009 के चुनाव में हाजी हुसैन की वापसी
2009 के चुनाव में झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी की जीत हुई थी. उनको 47880 वोट मिले थे. जेवीएम के शिव दत्त शर्मा को 27412 वोट मिले थे. इस तरह 20468 के बड़े मार्जिन से हाजी हुसैन अंसारी की जीत हुई थी. भाजपा के अविषेक आनंद झा 26910 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे. इस चुनाव में भाजपा ने 2005 के विजयी राज पलिवार का टिकट काट दिया था. आजसू की बबीता राव पाटेल को सिर्फ 1102 वोट मिले थे. इस चुनाव में कुल 20 प्रत्याशी मैदान में थे. कांग्रेस के सलाउद्दी अंसारी को 12678 वोट और राजद के संजय भारद्वाज को 1767 वोट मिले थे.
2014 में राज पलिवार ने लिया हार का बदला
2014 में भाजपा के राज पलिवार ने 2009 के चुनाव में हाजी हुसैन अंसारी से मिली हार को बराबर कर दिया था. उन्हें 74325 वोट मिले थे. 67441 वोट के साथ झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी दूसरे नंबर पर रहे थे. उनकी हार 6884 वोट के अंतर से हुई थी. जेवीएम के सहीम खान 25756 वोट के साथ तीसरे नंबर पर थे. कांग्रेस के फैयाज कैसर को 8937 वोट मिले थे. इस चुनाव में आजसू और राजद का प्रत्याशी नहीं उतरा था. आंकड़े बता रहे हैं कि 2014 के चुनाव में जेवीएम और कांग्रेस में मुस्लिम वोट नहीं बंटता तो हाजी हुसैन की जीत तय हो जाती.
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2019 के चुनाव में हाजी हुसैन की फतह
2019 में झामुमो के हाजी हुसैन अंसारी ने 2014 के चुनाव में राज पलिवार से मिली हार का बदला ले लिया था. उन्हें 88115 वोट मिले थे. 65046 वोट के साथ भाजपा के राज पलिवार दूसरे नंबर पर रहे थे. पलिवार की हार 23069 वोट के अंतर से हुई थी. इस चुनाव में आजसू के गंगा नारायण सिंह को 46620 वोट मिले थे. वह तीसरे नंबर पर आए थे. इस चुनाव में एआईएमआईएम के मो. इकबाल ने 9866 वोट लाकर सबको चौंकाते हुए चौथा पोजिशन हासिल किया था. जाहिर है उन्होंने मुस्लिम वोट में सेंधमारी की थी. इसका असर हाजी हुसैन पर पड़ता लेकिन कांग्रेस और राजद की एकता भारी पड़ गई. फिर भी इस चुनाव में आजसू ने प्रत्याशी नहीं दिया होता और वोट भाजपा को जाता तो राज पलिवार की जीत होनी तय थी.
मधुपुर में पलायन बड़ी समस्या है क्योंकि यहां रोजगार की कोई मुक्कमल व्यवस्था नहीं है. पीने का पानी, बिजली, स्वास्थ्य, सिंचाई, सड़क और शिक्षा जैसे बुनियादी सुविधाओं की भी यहां कमी है. यहां राज पालिवाल के स्थान पर बीजेपी की ओर से 2019 के विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहने वाले आजसू प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया है. वहीं हफीजुल हसन दिवगंत हाजी हुसैन अंसारी के बेटे हैं.