रांचीः राज्यसभा चुनाव 2016 में हुए गड़बड़ी की जांच को लेकर रांची पुलिस की करवाई तेज हो चुकी है. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को प्राथमिक अभियुक्त बनाए जाने के बाद रांची पुलिस इस मामले में सभी साक्षी को इकट्ठा करने में जुटी हुई है. इस मामले में पुलिस अब झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के सिग्नेचर का भी मिलान करवाएगी.
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हस्ताक्षर का नमूना भेजा जाएगा हैदराबाद
चुनाव में गड़बड़ियों की जांच कर रही रांची पुलिस चुनाव के समय विधायकों को अलग-अलग मामले दर्ज कर पुलिस की ओर से रोके जाने से और चुनाव आयोग को भेजी गई शिकायत पत्र की भी पूरी सत्यता की जांच कर रही है. एडीजी सीआईडी की समीक्षा के बाद केस के अनुसंधान को आदेश दिया गया है कि वह बाबूलाल मरांडी को चुनाव आयोग को दिए गए मूल आवेदन प्राप्त करें, इसके बाद उसपर दिखायी पड़ रहे बाबुलाल मरांडी के हस्ताक्षर पर हैदराबाद स्थित हैडराइडिंग विशेषज्ञ से ओपिनियन लें, और उनके मूल हस्ताक्षर से मिलान करें.
राज्यसभा चुनाव में वोटों को प्रभावित करने के मामले में बाबूलाल मरांडी ने ही ऑडियो सीडी जारी किया था. साथ ही इस मामले में चुनाव आयोग से शिकायत की थी. जिसके बाद आयोग ने मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था.
सुबोधकांत सहाय कर चुके हैं अपने हस्ताक्षर की पुष्टि
मामले में केंद्र सरकार के पूर्व मंत्री और रांची से सांसद रहे सुबोधकांत सहाय का बयान भी पुलिस ने दर्ज किया था. बयान में सुबोधकांत सहाय ने स्वीकार किया था कि बाबूलाल मरांडी की ओर से जो पत्र आयोग को भेजा गया था, उसपर उन्होंने भी अपने हस्ताक्षर किए थे.
सुबोधकांत सहाय और निर्मला देवी के पीए का भी बयान होगा दर्ज
निर्मला देवी ने रांची पुलिस को दिए बयान में बताया था कि 11 जून 2016 को चुनाव के दिन उन्हें रोकने की कोशिश हुई थी. तब अपने पीए संजीत कुमार और सुबोधकांत सहाय के पीए दीपक प्रसाद के माध्यम से वह हेमंत सोरेन के आवास तक पहुंची थीं. जिसके बाद हेमंत सोरेन उन्हें अपनी गाड़ी में बैठा कर वोट दिलवाए. इस प्रसंग पर भी रांची पुलिस निर्मला देवी के पीए संजीत कुमार और सुबोधकांत सहाय के पीए दीपक प्रसाद का बयान दर्ज करेगी.
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क्या है मामला
साल 2016 में राज्यसभा चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी ने एक ऑडियो टेप जारी किया था. इस कथित टेप में एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, उनके पति योगेंद्र साव के बीच बातचीत की बात सामने आई थी. मामला सामने आने के बाद पूरे मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी. प्रथम दृष्टया जांच के बाद आयोग ने एफआईआर का आदेश दिया था. गृह विभाग के अवर सचिव अवधेश ठाकुर के बयान पर सरकार ने तब मामला दर्ज करवाया था. इस मामले में फरवरी महीने में अनुराग गुप्ता के निलंबन के बाद राज्य सरकार ने विभागीय कार्रवाई शुरू की थी.