रांचीः सरकार के खिलाफ साजिश और विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले ने इस समय झारखंड के राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मचा दिया है. जिन विधायकों पर आरोप लगे हैं, वह सफाई देते चल रहे हैं. लेकिन पूरे मामले पर ना तो सरकार के मुखिया का कोई जवाब अभी तक आया है और ना ही झारखंड पुलिस इस मसले कुछ बोल रही है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है.
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क्यों उठ रहे सवाल
सरकार गिराने की साजिश मामले में साजिशकर्ताओं के नाम सामने आए, खरीद-फराेख्त की डील में शामिल विधायकों के नाम भी उछले. इस पूरे प्रकरण में सबकुछ साफ नजर आ रहा है, फिर भी इस मामले पर पुलिस चुप्पी साधे हुए है. झारखंड पुलिस कप्तान से लेकर रांची पुलिस कप्तान तक इस प्रकरण में कुछ नहीं बोल रहे हैं.
इसके इतर झारखंड में पुलिस हर छोटे-बड़े मामलों को लेकर मीडिया के सामने मामलों का खुलासा कर पूरे तथ्यों से आम लोगों के सामने रखती है. हर बड़े मामलों में पुलिस की ओर से प्रेस कांफ्रेंस किया जाता है. लेकिन इस मामले में पुलिस अनुसंधान का अपडेट तक बताने से बचना चाह रही है. इस मामले में जेल भेजे गए अभिषेक दुबे, अमित सिंह और निवारण प्रसाद के स्वीकारोक्ति बयान में साजिशकर्ताओं के संपर्क में रहने वाले विधायकों के नाम का उल्लेख किया गया है.
लेकिन आरोपियों की ओर से नाम बताने के बावजूद बयान में केवल विधायक जी लिखा गया है, जबकि स्वीकारोक्ति बयान में दूसरी बातों पर गौर किया जाए तो सबकुछ स्पष्ट है. केस डायरी में यहां तक लिखा गया है कि कौन-सी गाड़ी पकड़ी गई, किस होटल में बैठक हुई, इतनी डिटेल के बावजूद विधायकों के नाम स्वीकारोक्ति बयान से गायब हैं.
इसके अलावा महाराष्ट्र से आए नेता कैसे फरार हो गए, इसके बारे में भी कोई जानकारी नहीं है. होटल के रिकॉर्ड में इनके नाम से कमरा नंबर 407, 307, 310, 611 बुक होने की जानकारी मिली है. वहां से चार सूटकेस, दो लाख रुपये नकद, कई हवाई टिकट, कई मोबाइल फोन के साथ-साथ कई दस्तावेज जब्त किए गए थे, सभी डिटेल मौजूद हैं.
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25 जुलाई से लेकर अब तक पुलिस चुप
पूरे मामले में तीन लोगों को सरकार के खिलाफ साजिश करने के आरोप में राजद्रोह समेत कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेजा गया. दिल्ली-मुंबई भेजकर विशेष टीम से जांच करवाई गई. होटलों के सीसीटीवी के फुटेज से सबूत भी मिल चुके हैं. इतना सब कुछ होने के बाद भी पूरे मामले में पुलिस ने चुप्पी साध रखी है. झारखंड के सीनियर पुलिस अधिकारियों से लेकर जूनियर अधिकारियों तक इस मामले में सब खामोश हैं.
अभी तक किसी को ना नोटिस, ना रिमांड की डिमांड
सरकार गिराने की साजिश मामले में आरोपियों ने अपने बयान में दो नामों का खुलासा किया था, जिनमें एक कुंदन सिंह और दूसरा संतोष है. जैसा कि बताया जा रहा है, दोनों पत्रकार हैं, अपने कंफेशन में आरोपियों ने दोनों के नंबर भी पुलिस को दिए हैं. इसके बावजूद अभी तक कुंदन और संतोष को ना तो नोटिस भेजा गया और ना ही पुलिस उनके दरवाजे तक पहुंची, जबकि मामला सरकार के खिलाफ साजिश का है.
पूरे मामले में अभी तक मात्र एक प्रेस रिलीज रांची पुलिस की तरफ से जारी किया गया था. जिसमें पुलिस ने यह स्वीकार किया था कि सरकार के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. लेकिन अभी तक तीनों से पूछताछ के लिए पुलिस की टीम ने कोर्ट में रिमांड की डिमांड तक नहीं की गई है.
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केस में पुलिस की अब तक की भूमिका
24 जुलाई को पूरे मामले में पुलिस ने तीन लोगों को सरकार के खिलाफ साजिश करने के आरोप में राजद्रोह समेत कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेजा. लेकिन इस मामले में झारखंड पुलिस का कोई भी बड़ा अधिकारी पूरे दिन कुछ भी कहने से बचता रहा. 24 जुलाई की ही शाम एक प्रेस रिलीज जारी कर मामले की जानकारी दी गई, पर वह भी पूरी नहीं थी.
तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी कहां से हुई, तीनों का व्यापार क्या है और वह किस तरह से सरकार के खिलाफ साजिश में लगे हुए थे. ऐसे तमाम सवालों पर रोशनी नहीं डाली गई थी. यह तय है कि अगर सरकार के खिलाफ साजिश रची गई थी तो उसमें मात्र तीन व्यक्ति नहीं होंगे, जबकि पुलिस की ओर से जारी किए गए प्रेस रिलीज में सिर्फ 3 लोगों को आरोपी बनाया गया है. इतने बड़े मामले में 24 जुलाई को रांची पुलिस की तरफ से सिर्फ एक प्रेस रिलीज जारी कर पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया गया.
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क्या है मामला
23 जुलाई को झारखंड सरकार की स्पेशल ब्रांच से मिली सूचना के आधार पर रांची पुलिस ने होटलों में छापेमारी की. इस छापेमारी में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद चर्चा शुरू हो गई कि झारखंड सरकार गिराने की साजिश रची जा रही थी. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे. इसी बीच दिल्ली के एक होटल के सीसीटीवी में कांग्रेस के विधायक देखे गए, जिससे कांग्रेस विधायक सरकार गिराने की साजिश में संदेह के घेरे में आ गए.
हेमंत सरकार गिराने की साजिश और विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में कांग्रेस विधायकों का नाम सबसे अधिक चर्चा में है. लेकिन, पार्टी के विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि विधायक अनूप सिंह ने हवाला कारोबार को लेकर पुलिस से शिकायत की थी ना कि विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर. इसी को लेकर हुई कार्रवाई में सरकार के खिलाफ चल रही साजिश का पर्दाफाश हुआ है.