रांची: झारखंड में शातिर साइबर अपराधियों के निशाने पर खुद पुलिस अफसर हैं. इन साइबर अपराधियों ने सूबे के 12 से अधिक पुलिस अफसरों के फेसबुक प्रोफाइल की क्लोनिंग कर उनके फर्जी अकाउंट तैयार कर लिए हैं.
पैसे की मांग
साइबर अपरधियों ने इन फर्जी फेसबुक प्रोफाइल के मैसेंजर के जरिए पुलिस अफसरों के परिचितों से पैसों की मांग कर रहे हैं. हैरत की बात यह है कि इन साइबर अपराधियों ने इसके लिए बीते एक महीने में दारोगा से लेकर डीआईजी तक के स्तर के अधिकारियों की तस्वीरों का इस्तेमाल कर फर्जी फेसबुक प्रोफाइल तैयार की है. लेकिन अब तक पुलिस ने फर्जी प्रोफाइल बनाने वाले इस शातिर गिरोह के एक भी सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया है. हालांकि पुलिस अधिकारी भी अब मानने लगे हैं कि जामताड़ा और दूसरे साइबर अपराध प्रभावित जिलों के अपराधी फेसबुक अकाउंट की क्लोनिंग कर पैसे की मांग कर रहे.
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किन-किन अफसरों के नाम पर बनाया फर्जी अकाउंट
बेखौफ साइबर अपराधियों ने सीआईडी एडीजी अनिल पालटा के एनजीओ प्रभारी अमरेंद्र कुमार वर्मा, रांची क्राइम ब्रांच के प्रभारी मो नेहाल, हजारीबाग सदर डीएसपी कमल किशोर, झारखंड पुलिस के इंस्पेक्टर और वर्तमान में ईडी में प्रतिनियुक्त अनिल सिंह के फेसबुक अकाउंट बनाकर पैसे की मांग की है. इससे पहले साइबर अपराधियों ने कोल्हान डीआईजी राजीव रंजन सिंह की तस्वीरों का इस्तेमाल कर दो अलग-अलग प्रोफाइल बनाए थे. इसके बाद डीआईजी कोल्हान ने फेसबुक पोस्ट लिखकर खुद इस बात की जानकारी दी थी कि उनकी तस्वीरें चुराकर फर्जी प्रोफाइल बनाई गई है.
आईपीएस अफसरों से मांगे थे पैसे
पिछले दिनों साइबर अपराधियों ने बोकारो के एसपी चंदन कुमार झा के फेसबुक प्रोफाइल से तस्वीरें चुराकर नया फेसबुक प्रोफाइल बना लिया था. इसके बाद उनके बैचमेट आईपीएस अधिकारियों से पैसे की मांग की गई थी. हालांकि जैसे ही पुलिस को फर्जी प्रोफाइल बनाए जाने की जानकारी मिली वैसे ही इस एकाउंट को डिएक्टिवेट कराया गया था. रांची में तैनात रहे डीएसपी अरविंद कुमार सिन्हा के नाम पर भी उनके परिचितों से फेसबुक पर पैसे की मांग की जा रही थी.
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कैसे मांगते हैं पैसे
पहले तो साइबर अपराधी फेसबुक पर किसी पुलिस अधिकारी की फर्जी प्रोफाइल बनाते हैं. इसके बाद वे उस अधिकारी के असल प्रोफाइल से जुड़े लोगों की सूची बनाते हैं और उस अधिकारी के नाम से उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं. फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार होने के बाद मैसेंजर पर पैसे की मांग शुरू होती है. इसके लिए वे अधिकारी की ओर से अस्पताल में होने या दूसरी जरूरत बताते हैं. साइबर अपराधी अधिकारी से जुड़े लोगों से गुगल पे, फोन पे या दूसरे किसी ऑनलाइन पैसे डिलिवरी एप के बारे में जानकारी मांगते हैं. साइबर अपराधी बैंक खातों की जानकारी भी पैसे डालने के लिए शेयर करते हैं.