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पुलिस का अजब कारनामा, मरे लोगों पर भी कर दिया टेरर फंडिंग का केस, गृह सचिव और डीजीपी से शिकायत - एफआईआर

झारखंड पुलिस ने अब मृत लोगों पर भी एफआईआर दर्ज करना शुरू कर दिया है. ताजा मामले में पुलिस ने कोल परियोजनाओं से लेवी वसूली से जुड़े टेरर फंडिंग के मामले में कुछ ऐसे लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है, जिनमें मरे हुए लोगों के नाम भी शामिल हैं.

मरे हुए लोगों पर केस दर्ज करने का मामला
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Published : Nov 14, 2019, 9:20 AM IST

Updated : Nov 14, 2019, 10:33 AM IST

रांची: झारखंड पुलिस फरार अपराधियों और नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में अपनी लेटलतीफी के लिए अक्सर आरोप झेलती है, लेकिन झारखंड पुलिस का एक कारनामा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. चतरा जिले के मगध, आम्रपाली, अशोका और पुरनडीह कोल परियोजनाओं से लेवी वसूली से जुड़े टेरर फंडिंग के मामले में मरे हुए लोगों पर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी.

पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब एफआईआर में आरोपी बनाए गए जानकी महतो की पत्नी सीमा देवी ने मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए गृह सचिव और डीजीपी से गुहार लगायी. सीमा देवी ने कई ऐसे साक्ष्य उपलब्ध करवाए जिनसे यह पता चलता है कि कई मृत व्यक्तियों पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है.

मरे हुए लोगों पर फआईआर दर्ज

चतरा पुलिस ने टीपीसी उग्रवादियों के संरक्षण में पैसा उगाही को लेकर विस्थापित विजैन ग्रामीण संचालन समिति और ट्रांसपोर्टरों पर एफआईआर दर्ज की थी. गिरफ्तार आरोपियों के जूर्म कबूलने पर पुलिस ने 77 लोगों को नामजद आरोपी बनाया था. सीमा देवी के मुताबिक, सुरेश गंझू, बांधो उरांव की मौत हो चुकी है. लेकिन इनकी संलिप्तता बताते हुए भी प्राथमिकी दर्ज कर दी गई. सीमा देवी ने दावा किया है कि जांच में कुछ अन्य आरोपी भी मृत निकलेंगे. उन्होंने कहा कि पुलिस ने गलत तथ्यों पर एफआईआर दर्ज की है.

हजारीबाग डीआईजी को भी दी गई जानकारी

मामले की जानकारी हजारीबाग के डीआईजी पंकज कंबोज को भी दी गई है. कुछ माह पूर्व चतरा पुलिस ने टेरर फंडिंग के मामले में उग्रवादी संगठन टीपीसी के सहयोगियों, ठेकेदारों और विस्थापित विजैन ग्रामीण संचालन समिति से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के बाद पुलिस ने नरेश गंझू और धनराज भोक्ता को जेल भेजा था. वहीं, 77 लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की थी. पूरा मामला टंडवा थानेदार के बयान पर दर्ज हुआ था.

पति को बचाने की गुहार लगायी

सीमा देवी ने गृह सचिव और डीजीपी को लिखे पत्र में दावा किया है कि पुलिस जब मरे हुए लोगों पर एफआईआर कर सकती है तो उसके पति को भी फंसा सकती है. सीमा के मुताबिक, उसके पति जानकी यादव साल 2013 से पार्टनरशिप में ट्रांसर्पोटिंग का काम करते हैं. उनका उग्रवादी संगठन से कोई लेना देना नहीं है. ट्रांसपोर्टिंग के वैध कारोबारियों पर भी उगाही का केस किया गया है. सीमा ने दावा किया है कि उनके आय पर नियमित टैक्स दिया जाता है, पुलिस ने जिन खातों की बरामदगी की थी, उनकी भी जांच करायी जाए. जिससे साबित हो जाएगा कि बैंक खातों से उनके खातों का कोई जुड़ाव नहीं है.

रांची: झारखंड पुलिस फरार अपराधियों और नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई में अपनी लेटलतीफी के लिए अक्सर आरोप झेलती है, लेकिन झारखंड पुलिस का एक कारनामा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. चतरा जिले के मगध, आम्रपाली, अशोका और पुरनडीह कोल परियोजनाओं से लेवी वसूली से जुड़े टेरर फंडिंग के मामले में मरे हुए लोगों पर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दी.

पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब एफआईआर में आरोपी बनाए गए जानकी महतो की पत्नी सीमा देवी ने मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए गृह सचिव और डीजीपी से गुहार लगायी. सीमा देवी ने कई ऐसे साक्ष्य उपलब्ध करवाए जिनसे यह पता चलता है कि कई मृत व्यक्तियों पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है.

मरे हुए लोगों पर फआईआर दर्ज

चतरा पुलिस ने टीपीसी उग्रवादियों के संरक्षण में पैसा उगाही को लेकर विस्थापित विजैन ग्रामीण संचालन समिति और ट्रांसपोर्टरों पर एफआईआर दर्ज की थी. गिरफ्तार आरोपियों के जूर्म कबूलने पर पुलिस ने 77 लोगों को नामजद आरोपी बनाया था. सीमा देवी के मुताबिक, सुरेश गंझू, बांधो उरांव की मौत हो चुकी है. लेकिन इनकी संलिप्तता बताते हुए भी प्राथमिकी दर्ज कर दी गई. सीमा देवी ने दावा किया है कि जांच में कुछ अन्य आरोपी भी मृत निकलेंगे. उन्होंने कहा कि पुलिस ने गलत तथ्यों पर एफआईआर दर्ज की है.

हजारीबाग डीआईजी को भी दी गई जानकारी

मामले की जानकारी हजारीबाग के डीआईजी पंकज कंबोज को भी दी गई है. कुछ माह पूर्व चतरा पुलिस ने टेरर फंडिंग के मामले में उग्रवादी संगठन टीपीसी के सहयोगियों, ठेकेदारों और विस्थापित विजैन ग्रामीण संचालन समिति से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के बाद पुलिस ने नरेश गंझू और धनराज भोक्ता को जेल भेजा था. वहीं, 77 लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की थी. पूरा मामला टंडवा थानेदार के बयान पर दर्ज हुआ था.

पति को बचाने की गुहार लगायी

सीमा देवी ने गृह सचिव और डीजीपी को लिखे पत्र में दावा किया है कि पुलिस जब मरे हुए लोगों पर एफआईआर कर सकती है तो उसके पति को भी फंसा सकती है. सीमा के मुताबिक, उसके पति जानकी यादव साल 2013 से पार्टनरशिप में ट्रांसर्पोटिंग का काम करते हैं. उनका उग्रवादी संगठन से कोई लेना देना नहीं है. ट्रांसपोर्टिंग के वैध कारोबारियों पर भी उगाही का केस किया गया है. सीमा ने दावा किया है कि उनके आय पर नियमित टैक्स दिया जाता है, पुलिस ने जिन खातों की बरामदगी की थी, उनकी भी जांच करायी जाए. जिससे साबित हो जाएगा कि बैंक खातों से उनके खातों का कोई जुड़ाव नहीं है.

Intro:पुलिस का अजब- गजब, मरे लोगों पर भी कर दिया टेरर फंडिंग का केस, गृह सचिव, डीजीपी से शिकायत

रांची।
झारखंड पुलिस फरार अपराधियों और नक्सलियों के खिलाफ कार्यवाही में अपनी लेटलतीफी के लिए अक्सर आरोप झेलती है लेकिन झारखंड पुलिस का एक कारनामा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। चतरा जिले के मगध, आम्रपाली, अशोका और पुरनडीह कोल परियोजनाओं से लेवी वसूली से जुड़े टेरर फंडिंग के मामले में मरे हुए लोगों पर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दिया। पूरे मामले का खुलासा तब हुए जब एफआईआर में आरोपी बनाए गए जानकी महतो की पत्नी सीमा देवी ने मामले की निष्पक्ष जांच कराने के लिए गृह सचिव और डीजीपी  से गुहार लगायी। सीमा देवी ने कई ऐसे साक्ष्य उपलब्ध करवाए हैं जिनसे यह पता चलता है कि कई मृत व्यक्तियों पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है।

किन मरे हुए लोगों पर दर्ज हुआ एफआईआर

चतरा पुलिस ने टीपीसी उग्रवादियों के संरक्षण में पैसा उगाही को लेकर विस्थापित विजैन ग्रामीण संचालन समित और ट्रांसपोर्टरों पर एफआईआर दर्ज की थी। गिरफ्तार आरोपियों की कथित स्वीकारोक्ति पर पुलिस ने 77 लोगों को नामजद आरोपी बनाया था। सीमा देवी के मुताबिक, सुरेश गंझू, बांधो उरांव की मौत हो चुकी है। लेकिन इनकी संलिप्तता बताते हुए भी प्राथमिकी दर्ज कर दी गई। सीमा देवी ने दावा किया है कि जांच में कुछ अन्य आरोपी भी मृत निकलेंगे। पुलिस ने गलत तथ्यों पर एफआईआर दर्ज किया।

हजारीबाग डीआईजी को भी दी गई जानकारी

मामले की जानकारी हजारीबाग के डीआईजी पंकज कंबोज को भी दी गई है। कुछ माह पूर्व चतरा पुलिस ने टेरर फंडिंग के मामले में उग्रवादी संगठन टीपीसी के सहयोगियों, ठेकेदारों और विस्थापित विजैन ग्रामीण संचालन समिति से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के बाद पुलिस ने नरेश गंझू और धनराज भोक्ता को जेल भेजा था। वहीं 77 लोगों पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की थी। पूरा मामला टंडवा थानेदार के बयान पर दर्ज हुआ था।

पति को बचाने की गुहार लगायी

सीमा देवी ने गृह सचिव व डीजीपी को लिखे पत्र में दावा किया है कि पुलिस जब मरे हुए लोगों पर एफआईआर कर सकती है तो उसके पति को भी फंसा सकती है। सीमा के मुताबिक, उसके पति जानकी यादव साल 2013 से पार्टनरशिप में ट्रांसर्पोटिंग का काम करते हैं। उनका उग्रवादी संगठन से कोई लेना देना नहीं है। ट्रांसपोर्टिंग के वैद्य कारोबारियों पर भी उगाही का केस किया गया है। सीमा ने दावा किया है कि उनके आय पर नियमित टैक्स दिया जाता है, पुलिस ने जिन खातों की बरामदगी की थी, उनकी भी जांच करायी जाए। जिससे साबित हो जाएगा कि बैंक खातों से उनके खातों का कोई जुड़ाव नहीं है।

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Last Updated : Nov 14, 2019, 10:33 AM IST
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