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बंधुआ मजदूर की बेड़ी तोड़ने में लग गए 35 साल, सीएम की पहल पर फुचा को मिली आजाद जिंदगी

बॉन्डेड लेबर यानी बंधुआ मजदूर, यह शब्द अपने आप में कानून और इंसायनियत के लिए कलंक है. समाज से इस बुरी व्यवस्था को हटाने में लंबा सफर तय करना पड़ा है. एक दौर था जब बंधुआ मजदूरी की प्रथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती थी. इसकी शुरूआत कर्ज लेने से होती थी. बहुत कम नसीब वाले होते थे जो कर्ज उतार पाते थे.

Phucha Mahli of Gumla was freed from bonded labor After 35 years
फुचा महली और सीएम हेमंत
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Published : Sep 3, 2021, 7:24 PM IST

Updated : Sep 3, 2021, 7:51 PM IST

रांचीः बॉन्डेड लेबर यानी बंधुआ मजदूर, यह शब्द अपने आप में कानून और इंसायनियत के लिए कलंक है. समाज से इस बुरी व्यवस्था को हटाने में लंबा सफर तय करना पड़ा है. एक दौर था जब बंधुआ मजदूरी की प्रथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती थी. इसकी शुरूआत कर्ज लेने से होती थी. बहुत कम नसीब वाले होते थे जो कर्ज उतार पाते थे.

इसे भी पढ़ें- तमिलनाडु में फंसे 14 प्रवासी बंधुआ मजदूरों को मिली आजादी, बिना वेतन काम करने को मजबूर थे श्रमिक

ऐसे ही खुशनसीबों में से एक हैं गुमला के बिशुनपुर निवासी फुचा महली. इनको बंधुआ मजदूरी की गिरफ्त से बाहर निकलने के लिए 35 साल तक इंतजार करना पड़ा. वह 35 वर्षों से नॉर्थ और मिडिल अंडमान द्वीपसमूह में बंधुआ मजदूर के रूप में काम कर रहे थे.

देखें वीडियो

उनके परिजनों ने श्रम विभाग और शुभ संदेश फाउंडेशन के सदस्यों से संपर्क कर उनकी घर वापसी का आग्रह किया था. मामले की जानकारी के बाद श्रम विभाग के अधिकारियों और फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने दक्षिणी अंडमान के प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर फुचा महली को मुक्त कराया.

सरकार के प्रति आभार जताने के लिए फुचा महली आज सीएम से मिलने विधानसभा पहुंचे तो मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए. उन्होंने फुचा महली को सम्मान के साथ अपनी कुर्सी के बगल में बिठाया. खुद खड़े होकर उनका हालचाल पूछा. फुचा महली ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों के प्रति संवेदनशीलता की वजह से ही वो 35 वर्ष बाद अपने घर लौट सके.

इसे भी पढ़ें- ETV भारत की खबर का असर: तमिलनाडु से रिहा कराए 7 युवक

इससे पूर्व तक वो नॉर्थ और मिडिल अंडमान द्वीपसमूह में बंधुआ मजदूर के रूप में काम कर रहे थे. यह बेहद ही भावुक क्षण था. काफी देर तक उनका हाल समाचार जानने के बाद मुख्यमंत्री ने फुचा महली को सरकार की विभिन्न योजनाओं से आच्छादित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया. इस मौके सीएम ने फुचा महली के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई. उस वक्त सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे भी मौजूद रहे.

रांचीः बॉन्डेड लेबर यानी बंधुआ मजदूर, यह शब्द अपने आप में कानून और इंसायनियत के लिए कलंक है. समाज से इस बुरी व्यवस्था को हटाने में लंबा सफर तय करना पड़ा है. एक दौर था जब बंधुआ मजदूरी की प्रथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती रहती थी. इसकी शुरूआत कर्ज लेने से होती थी. बहुत कम नसीब वाले होते थे जो कर्ज उतार पाते थे.

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ऐसे ही खुशनसीबों में से एक हैं गुमला के बिशुनपुर निवासी फुचा महली. इनको बंधुआ मजदूरी की गिरफ्त से बाहर निकलने के लिए 35 साल तक इंतजार करना पड़ा. वह 35 वर्षों से नॉर्थ और मिडिल अंडमान द्वीपसमूह में बंधुआ मजदूर के रूप में काम कर रहे थे.

देखें वीडियो

उनके परिजनों ने श्रम विभाग और शुभ संदेश फाउंडेशन के सदस्यों से संपर्क कर उनकी घर वापसी का आग्रह किया था. मामले की जानकारी के बाद श्रम विभाग के अधिकारियों और फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने दक्षिणी अंडमान के प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर फुचा महली को मुक्त कराया.

सरकार के प्रति आभार जताने के लिए फुचा महली आज सीएम से मिलने विधानसभा पहुंचे तो मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए. उन्होंने फुचा महली को सम्मान के साथ अपनी कुर्सी के बगल में बिठाया. खुद खड़े होकर उनका हालचाल पूछा. फुचा महली ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों के प्रति संवेदनशीलता की वजह से ही वो 35 वर्ष बाद अपने घर लौट सके.

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इससे पूर्व तक वो नॉर्थ और मिडिल अंडमान द्वीपसमूह में बंधुआ मजदूर के रूप में काम कर रहे थे. यह बेहद ही भावुक क्षण था. काफी देर तक उनका हाल समाचार जानने के बाद मुख्यमंत्री ने फुचा महली को सरकार की विभिन्न योजनाओं से आच्छादित करने का निर्देश अधिकारियों को दिया. इस मौके सीएम ने फुचा महली के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई. उस वक्त सीएम के सचिव विनय कुमार चौबे भी मौजूद रहे.

Last Updated : Sep 3, 2021, 7:51 PM IST
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