रांचीः विवादित संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) झारखंड में प्रतिबंध के बाद अन्य संगठनों के बैनर तले काम कर रही है. राज्य सरकार को पीएफआई की गतिविधियों के संबंध में जानकारी मिली है. जिसके बाद पीएफआई से जुड़ी संस्थाएं भी निगरानी में आ गई हैं.
रखी जा रही नजर
पीएफआई से जुड़े संगठनों पर नजर रखने की जिम्मेवारी झारखंड पुलिस की विशेष शाखा के एडीजी अजय कुमार सिंह, आईजी अभियान आशीष बत्रा समेत सभी रेंज के डीआईजी को दी गई है. आदेश में कहा गया है कि पीएफआई और इससे संबंधित अन्य संगठनों पर सूक्ष्मता से नजर रखी जाए और साक्ष्य मिलने के बाद उसके अनुसार विधि सम्मत कार्रवाई की जाए. झारखंड सरकार ने 12 फरवरी 2019 को दूसरी बार पीएफआई को प्रतिबंधित किया था. सरकार ने पहली बार 28 फरवरी 2018 को पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन तब तकनीकी कारणों से हाईकोर्ट ने प्रतिबंध हटा दिया था.
आईएसआईएस और जेएमबी जैसे समूहों से रिश्ते
झारखंड पुलिस के मुताबिक पीएफआई और उससे संबंधित संगठनों के तालुल्क आईएसआईएस और जेएमबी जैसे आतंकी समूहों से है. झारखंड पुलिस के द्वारा गृह विभाग को सौंपे गए पूर्व के रिपोर्ट में जिक्र है कि पीएफआई के राष्ट्रीय चेयरमैन अब्दुल रहमान सिमी के राष्ट्रीय सचिव और राज्य सचिव अब्दुल हामिल सिमी के भूतपूर्व राज्य सचिव रह चुके हैं. सिमी के प्रतिबंधित किए जाने के बाद लोग पीएफआई से जुड़ने लगे थे. केरल के वालपुरम, कान्नुर कांड, रामलिंगम हत्याकांड में एनआईए जांच कर रही है. उस दौरान बातें सामने आई थी कि केरल के कुछ पीएफआई सदस्य अवैध पासपोर्ट के जरिए सीरिया जा रहे थे.
किन किन राज्यों में कितने मामले दर्ज
तेलंगाना- छह मामले, कर्नाटक- एक मामला, यूएपीए- 132 कांड, आईपीसी के तहत दर्ज, यूपी- 4 कांड, तमिलनाडू- यूएपीए के तहत 31 कांड, राजस्थान- छह कांड, असम- 4 कांड, बिहार- एक कांड.