रांची: एक तरफ आम लोग महंगाई की मार से जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ कोरोना वायरस के खौफ से. शहरों में कर्फ्यू जैसे हालात हो गए हैं. सड़के विरान पड़ी हैं. हालांकि मुसीबत के इस दौर में हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम भीड़ में जाने से बचें. क्योंकि इससे कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है. जाहिर है कोरोना ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकारें आम लोगों के हित की बात कर रही हैं वहीं दूसरी ओर पेट्रोल और डीजल के नाम पर लोगों की जेब में सेंध लगाया जा रहा है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत अबतक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. बावजूद इसके पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई कमी नहीं हो रही है. इस बारे में ईटीवी भारत ने बात की पेट्रोलियम मामलों के जानकार और झारखंड पेट्रोल डीजल डीलर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष मानस सिन्हा से.
30 रुपए का पेट्रोल बिक रहा है 68 रुपए प्रति लीटर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत सबसे निचले स्तर पर है. आम बोलचाल की भाषा में अभी एक लीटर कच्चे तेल की कीमत करने 14 रुपए है. इसके बाद कस्टम ड्यूटी, रिफायनरी और ट्रांसपोर्टेशन लेकर एक लीटर पेट्रोल की कीमत करीब 30 रुपए हो जाती है. यहां तक बात समझ में आती है. अब सवाल है कि आज जिस पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 30 रुपए है, वह 68 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा की कीमत पर क्यों बिक रही है? इसका जवाब है भारी भरकम टैक्स जो कई तरह से लगाया जाता है. इस कीमत पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी, स्पेशल एक्साइज ड्यूटी, बेसिक एक्साइज ड्यूटी और सेस चार्च करती है. इसके बाद राज्य सरकार अपना टैक्स वसूलती है.
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2003 में कच्चे तेल की कीमत जितनी थी, आज उतनी ही है
झारखंड पेट्रोल डीजल डीलर एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष मानस सिन्हा ने बताया कि 2003 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत प्रति लीटर करीब 14 रुपए थी. उस वक्त दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल की कीम 33 रुपए 49 पैसे थी और प्रति लीटर डीजल की कीमत 22 रुपए 12 पैसा थी. लेकिन आज पेट्रोल की कीमत 68 रुपए और डीजल की कीमत 64 रुपए है. अब आप समझ सकते हैं पेट्रोल और डीजल पर कितना टैक्स वसूला जा रहा है.