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कंक्रीट के जंगल में कैद है जिंदगी, सोशल मीडिया से शुरू होकर इंडोर गेम्स में सिमटे हैं लोग

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Published : Apr 11, 2020, 9:13 PM IST

Updated : Apr 12, 2020, 5:26 PM IST

कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है. झारखंड की राजधानी रांची में भी सड़कों पर सन्नाटा पसरा है. यहां 200 से ज्यादा अपार्टमेंटस हैं. कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए यहां रहने वाले लोग अपने घर से निकलकर पार्किंग तक भी नहीं आ रहे हैं. यहां तक की सोसायटी की साप्ताहिक बैठक भी बंद हो चुकी है.

Peoples living in apartments are following lockdown in ranchi
डिजाइन इमेज

रांची: कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण बड़ी-बड़ी इमारतों और अपार्टमेंट में लोग अपने घरों से निकलकर पार्किंग तक भी नहीं आ रहे हैं. यहां तक की राजधानी के अलग-अलग इलाकों में बने अपार्टमेंट की साप्ताहिक मीटिंग भी बंद हो चुकी है. इतना ही नहीं कई अपार्टमेंट के दरवाजे आम लोगों के लिए बंद हो चुके हैं. इसके साथ ही वहां के निवासियों की भी अंदर और बाहर के मूवमेंट प्रतिबंधित कर दी गई है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

अखबार भी बंद

राजधानी रांची के कांके रोड, मोरहाबादी, सिंह मोड़, हिनू, डोरंडा पिस्का मोड़, महात्मा गांधी रोड जैसे इलाकों में बने अपार्टमेंट की सोसाइटी ने वहां आने वाले फेरी वालों तक को प्रवेश की इजाजत नहीं दी है. राजधानी में 200 से अधिक अपार्टमेंट हैं, जहां लोगों ने खुद को पूरी तरह से पैक कर रखा है. लोगों ने अखबार भी लेना बंद कर दिया है.

कांके रोड में बने क्षीरसागर अपार्टमेंट कि सोसायटी के पदाधिकारी जयप्रकाश प्रसाद बताते हैं कि कोरोना के कहर की वजह से लोगों का मूवमेंट एकदम बंद है. अपार्टमेंट से नीचे उतरने की बात तो दूर लोग एक-दूसरे के घर में भी नहीं जा रहे हैं. हालांकि, कुछ लोग जरूरी सामान, दूध और सब्जी के लिए कभी कभार निकल रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि इसी शहर में उनका ससुराल भी है, लेकिन कोरोना की वजह से न तो वहां से कोई आ पा रहा है और न कोई जा पा रहा है.

फोन और वाट्सएप से जारी हो रही है एडवाइजरी

हालांकि, उन्होंने कहा कि सोसाइटी में क्या करना है और क्या नहीं करना है. इसको लेकर कम्युनिकेशन मोबाइल और व्हाट्सएप से किया जा रहा है. पहले लगातार अंतराल पर बैठक होती थी, लेकिन फिलहाल वह बंद है. उन्होंने कहा कि सेनेटाइजेशन को लेकर भी अपार्टमेंट में लोगों को अवेयर किया गया है.

खिड़कियों से हो रही है बात

वहीं मोरहाबादी के इलाके में अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों ने मुख्य द्वार बंद कर रखे हैं. वहां रहने वाले अवनीश कुमार सिन्हा ने बताया कि कैंपस में पूरा सोशल डिस्टेंस मेंटेन किया जा रहा है. हालांकि, ज्यादातर समय समाचार देखते हुए बीत रहा. आसपास क्या हो रहा है उसी की जानकारी से खुद को अपडेट करने में समय बीत रहा है. उन्होंने कहा कि अगर कैंपस में उतरना पड़े तो सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है.

ये भी पढे़ं: कोरोना इफेक्ट: चाईबासा मंडल कारा से 100 बंदियों को किया गया शिफ्ट, भेजा गया रांची होटवार जेल

महिलाओं का बंटा रहे हैं हाथ

निजी बीमा कंपनी में काम करने वाले पंकज ने कहा चूंकि काम मार्केट में घूमने का था. इसलिए लॉकडाउन काफी तकलीफदेह है. अब तो यह हाल है कि घर से निकलना नहीं है. इस दौरान एक चीज समझ आयी कि घर में महिलाओं को ज्यादा काम करना पड़ता है. भले ही उन्हें हाउसवाइफ कहें, लेकिन असली काम वही करती हैं. लॉकडाउन के पीरियड में उनकी मदद करने में भी समय बीत रहा है. वहीं, उसी इलाके में रहने वाले मनोज ने कहा कि बस घर में टीवी देखते हैं और जब मन ऊबने लगता है तो इधर टहल लेते हैं. इस दौरान इंडोर गेम्स खेलने की आदत डेवलप हो गयी है.

रांची: कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण बड़ी-बड़ी इमारतों और अपार्टमेंट में लोग अपने घरों से निकलकर पार्किंग तक भी नहीं आ रहे हैं. यहां तक की राजधानी के अलग-अलग इलाकों में बने अपार्टमेंट की साप्ताहिक मीटिंग भी बंद हो चुकी है. इतना ही नहीं कई अपार्टमेंट के दरवाजे आम लोगों के लिए बंद हो चुके हैं. इसके साथ ही वहां के निवासियों की भी अंदर और बाहर के मूवमेंट प्रतिबंधित कर दी गई है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

अखबार भी बंद

राजधानी रांची के कांके रोड, मोरहाबादी, सिंह मोड़, हिनू, डोरंडा पिस्का मोड़, महात्मा गांधी रोड जैसे इलाकों में बने अपार्टमेंट की सोसाइटी ने वहां आने वाले फेरी वालों तक को प्रवेश की इजाजत नहीं दी है. राजधानी में 200 से अधिक अपार्टमेंट हैं, जहां लोगों ने खुद को पूरी तरह से पैक कर रखा है. लोगों ने अखबार भी लेना बंद कर दिया है.

कांके रोड में बने क्षीरसागर अपार्टमेंट कि सोसायटी के पदाधिकारी जयप्रकाश प्रसाद बताते हैं कि कोरोना के कहर की वजह से लोगों का मूवमेंट एकदम बंद है. अपार्टमेंट से नीचे उतरने की बात तो दूर लोग एक-दूसरे के घर में भी नहीं जा रहे हैं. हालांकि, कुछ लोग जरूरी सामान, दूध और सब्जी के लिए कभी कभार निकल रहे हैं. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि इसी शहर में उनका ससुराल भी है, लेकिन कोरोना की वजह से न तो वहां से कोई आ पा रहा है और न कोई जा पा रहा है.

फोन और वाट्सएप से जारी हो रही है एडवाइजरी

हालांकि, उन्होंने कहा कि सोसाइटी में क्या करना है और क्या नहीं करना है. इसको लेकर कम्युनिकेशन मोबाइल और व्हाट्सएप से किया जा रहा है. पहले लगातार अंतराल पर बैठक होती थी, लेकिन फिलहाल वह बंद है. उन्होंने कहा कि सेनेटाइजेशन को लेकर भी अपार्टमेंट में लोगों को अवेयर किया गया है.

खिड़कियों से हो रही है बात

वहीं मोरहाबादी के इलाके में अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों ने मुख्य द्वार बंद कर रखे हैं. वहां रहने वाले अवनीश कुमार सिन्हा ने बताया कि कैंपस में पूरा सोशल डिस्टेंस मेंटेन किया जा रहा है. हालांकि, ज्यादातर समय समाचार देखते हुए बीत रहा. आसपास क्या हो रहा है उसी की जानकारी से खुद को अपडेट करने में समय बीत रहा है. उन्होंने कहा कि अगर कैंपस में उतरना पड़े तो सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है.

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महिलाओं का बंटा रहे हैं हाथ

निजी बीमा कंपनी में काम करने वाले पंकज ने कहा चूंकि काम मार्केट में घूमने का था. इसलिए लॉकडाउन काफी तकलीफदेह है. अब तो यह हाल है कि घर से निकलना नहीं है. इस दौरान एक चीज समझ आयी कि घर में महिलाओं को ज्यादा काम करना पड़ता है. भले ही उन्हें हाउसवाइफ कहें, लेकिन असली काम वही करती हैं. लॉकडाउन के पीरियड में उनकी मदद करने में भी समय बीत रहा है. वहीं, उसी इलाके में रहने वाले मनोज ने कहा कि बस घर में टीवी देखते हैं और जब मन ऊबने लगता है तो इधर टहल लेते हैं. इस दौरान इंडोर गेम्स खेलने की आदत डेवलप हो गयी है.

Last Updated : Apr 12, 2020, 5:26 PM IST
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