रांची: केंद्र शहरी मंत्रालय की ओर से गरीबों को आवास मुहैया कराने के लिए लाइट हाउस प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा रही है. 1 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची सहित देश के 6 शहरों में इस योजना की नींव रखी ताकि इस योजना के तहत देश के मध्यम और गरीब वर्ग के लोगों को आधुनिक और टिकाऊ मकान मुहैया हो सकें. इसी के मद्देनजर झारखंड की राजधानी रांची में भी लाइट हाउस परियोजना के तहत धुर्वा के पंचवटी मंदिर के पास फुटबॉल मैदान को चिन्हित कर इस योजना की नींव रखी गई. जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए तो राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी मौजूद रहे.
लाइट हाउस परियोजना का किया विरोध
1 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना का शिलान्यास किया तो इलाके के आसपास रहने वाले हजारों लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया. 2 और 3 जनवरी को लाइट हाउस परियोजना के तहत काम करने आए मजदूरों का काम रोकने पहुंचे स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया. जिसके बाद मौके पर स्थानीय प्रशासन ने लाइट हाउस परियोजना के तहत चल रहे कार्य को रुकवा दिया. स्थानीय लोगों को आश्वासन दिया कि उनकी बात उच्चतर अधिकारी तक पहुंचा दी जाएगी.
फुटबॉल मैदान खेलकूद के लिए है काफी प्रख्यात
विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यह मैदान खेलकूद के लिए काफी प्रख्यात है और यहां पर देश के बड़े-बड़े फुटबॉल मैच आयोजित किए गए हैं. इसके साथ ही आसपास रहने वाले लोगों के बच्चे भी इसी मैदान में खेलकर अपना शारिरीक और मानसिक विकास करते हैं. ऐसे में अगर इस मैदान में लाइट हाउस योजना के तहत केंद्र सरकार भवन निर्माण करती है तो निश्चित रूप से इस इलाके में रहने वाले दो लाख से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे.
लाइट हाउस परियोजना से लाखों लोग होंगे प्रभावित
बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक मिंटू पासवान बताते हैं कि उन्हें लाइट हाउस परियोजना से कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन विरोध सिर्फ इस बात का है कि जिस खेल मैदान में यह परियोजना बनाई जा रही है उससे कहीं ना कहीं आसपास की 26 बस्ती में रहने वाले लाखों लोग प्रभावित होंगे.
इस योजना के तहत भवन का निर्माण होगा तो आसपास के बस्ती में रहने वाले लोगों को यह घर मुहैया कराई जाएगी. जिसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के आर्थिक सहयोग के बाद भी लाभुकों को लाखों रुपये देने पड़ेंगे. जिसमें इस बस्ती के लोग असमर्थ हैं. लाइट हाउस प्रयोजना के तहत बनाए गए भवन के बहाने बस्ती को हटाने की भी गुंजाइश बढ़ जाएगी, जबकि इस बस्ती में लोग पिछले 60 और 70 सालों से रह रहे हैं, इसीलिए इस इलाके के बस्तियों में रहने वाले लोगों की मांग है कि सरकार पहले सभी बस्तियों को नियमित कर उन्हें उनका मालिकाना हक दें.
फुटबॉल मैदान का अस्तित्व हो जाएगा समाप्त
बस्ती में रहने वाले गरीब लोगों का कहना है कि अगर आने वाले समय में लाइट हाउस परियोजना के बहाने बस्ती को हटाने का प्रयास किया जाता है और बस्ती के लोगों को लाइट हाउस में घर मुहैया कराई जाती है. ऐसे में बस्ती के लोग घर खरीदने में असमर्थ हो जाएंगे तो विपरीत परिस्थिति में 70 साल से रह रहे वो लोग कहां जाएंगे. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर इस मैदान में लाइट हाउस योजना के तहत भवन बनते हैं तो कई तरह की दिक्कतें आएगी. एक तो बस्ती में रहने वाले लोगों का आशियाना तबाह हो सकता है तो वही दूसरा राजधानी की धरोहर कहे जाने वाले फुटबॉल मैदान का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
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परियोजना को हस्तांतरित करने की मांग
विरोध कर रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार अपने इस परियोजना को दूसरे जगह हस्तांतरित नहीं करती है तो विरोध जारी रहेगी. स्थानीय लोग व्यापक स्तर पर विरोध करेंगे और जरूरत पड़ने पर उग्र आंदोलन भी किया जाएगा.