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लॉकडाउन में मानवता की हो रही है परीक्षा, कितने पास कितने फेल की पड़ताल करती रिपोर्ट - झारखंड में कोरोना वायरस अपडेट

लॉकडाउन के कारण रोजी रोजगार बंद हो चुके हैं. लेकिन अच्छी बात है कि संकट के इस दौर में प्रशासन के साथ-साथ निजी संस्थाएं भी इस कोशिश में जुटे हैं कि कोई भूखा न रहे.

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इंदिरा नगर रांची के ग्रामीण
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Published : Apr 4, 2020, 7:34 PM IST

रांची: कोरोना वायरस लगातार हमारे देश में पांव पसारता जा रहा है, जिंदगी थम सी गई है. भय और भूख के बीच मानवता की परीक्षा हो रही है. जाहिर सी बात है लॉकडाउन के कारण रोजी रोजगार बंद हो चुके हैं. लेकिन पेट की मशीन को बंद नहीं किया जा सकता. अच्छी बात है कि संकट के इस दौर में प्रशासन के साथ-साथ निजी संस्थाएं भी इस कोशिश में जुटी है कि कोई भूखा न रहे.

देखें पूरी खबर
ईटीवी भारत की टीम कर रही जगह-जगह पड़ताल
ईटीवी भारत की टीम इन्हीं सवालों की पड़ताल करने जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के उस इंदिरा नगर में पहुंची जो कुष्ठ रोगियों के लिए चर्चित है. संयोगवश जब हमारी टीम पहुंची उसी वक्त स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की स्टीकर लगी 4 गाड़ियां भी वहां आ पहुंची. गाड़ियों की डिक्की खुली तो उसमें बड़े-बड़े कनस्तर में खिचड़ी भरे हुए थे. देखते-देखते बड़ी संख्या में लोग वहां जुट गए और लंबी कतार लग गई. बच्चे, नौजवान, बुजुर्ग की कतार.

ये भी पढ़ें- बंगाल से बिहार के लिए निकले मजदूर, कोडरमा में पुलिस ने खाना खिलाकर भेजा क्वॉरेंटाइन सेंटर

कोरोना के खिलाफ जंग में जज्बा

सभी के हाथ में थाली या कटोरा थे. एसबीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी एनके सिंह खुद इन गरीबों को खाना परोस रहे थे. उन्होंने भोजन वितरण के लिए इंदिरा नगर को चुनने के पीछे का मकसद बताया और मुसीबत की इस घड़ी में एसबीआई की तरफ से किए जा रहे मानवता के कार्य की जानकारी दी. आमतौर पर बैंकों में लोग पैसा निकालने या ऋण लेने के लिए जाते हैं. इसके लिए उन्हें लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. लेकिन संकट की इस घड़ी में खुद बैंक के लोग ऐसे मोहल्लों में पहुंच रहे हैं जहां लोग जाने से कतराते हैं. कोरोना के खिलाफ जंग में यही जज्बा बरकरार रहा तो इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले समय में हम मुसीबत के भंवर को पार कर लेंगे.

रांची: कोरोना वायरस लगातार हमारे देश में पांव पसारता जा रहा है, जिंदगी थम सी गई है. भय और भूख के बीच मानवता की परीक्षा हो रही है. जाहिर सी बात है लॉकडाउन के कारण रोजी रोजगार बंद हो चुके हैं. लेकिन पेट की मशीन को बंद नहीं किया जा सकता. अच्छी बात है कि संकट के इस दौर में प्रशासन के साथ-साथ निजी संस्थाएं भी इस कोशिश में जुटी है कि कोई भूखा न रहे.

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ईटीवी भारत की टीम इन्हीं सवालों की पड़ताल करने जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के उस इंदिरा नगर में पहुंची जो कुष्ठ रोगियों के लिए चर्चित है. संयोगवश जब हमारी टीम पहुंची उसी वक्त स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की स्टीकर लगी 4 गाड़ियां भी वहां आ पहुंची. गाड़ियों की डिक्की खुली तो उसमें बड़े-बड़े कनस्तर में खिचड़ी भरे हुए थे. देखते-देखते बड़ी संख्या में लोग वहां जुट गए और लंबी कतार लग गई. बच्चे, नौजवान, बुजुर्ग की कतार.

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सभी के हाथ में थाली या कटोरा थे. एसबीआई के वरिष्ठ पदाधिकारी एनके सिंह खुद इन गरीबों को खाना परोस रहे थे. उन्होंने भोजन वितरण के लिए इंदिरा नगर को चुनने के पीछे का मकसद बताया और मुसीबत की इस घड़ी में एसबीआई की तरफ से किए जा रहे मानवता के कार्य की जानकारी दी. आमतौर पर बैंकों में लोग पैसा निकालने या ऋण लेने के लिए जाते हैं. इसके लिए उन्हें लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. लेकिन संकट की इस घड़ी में खुद बैंक के लोग ऐसे मोहल्लों में पहुंच रहे हैं जहां लोग जाने से कतराते हैं. कोरोना के खिलाफ जंग में यही जज्बा बरकरार रहा तो इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले समय में हम मुसीबत के भंवर को पार कर लेंगे.

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