रांची: सड़क हादसे में होने वाली मौत को रोकने में हेलमेट का अहम योगदान होता है, लेकिन इन सबके बावजूद राजधानी रांची में 50% से अधिक लोग नकली हेलमेट पहनते हैं. वह भी सिर्फ इसलिए ताकि ट्रैफिक पुलिस को चकमा दे सकें. आंकड़े बताते हैं कि सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौत हेलमेट नहीं पहनने की वजह से होती है.
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हादसे कभी बता कर नहीं होते. हादसे तो कभी भी, कहीं भी हो सकते हैं, लेकिन एक बेहतर तकनीक का हेलमेट हादसे में मौत की संभावना को काफी हद तक कम कर देता है. हैरानी की बात है कि इन सबके बावजूद राजधानी के 50 प्रतिशत लोग सिर्फ और सिर्फ चालान से बचने के लिए हेलमेट पहन लेते हैं. राजधानी रांची में अब पिलीयन राइडर उसको भी हेलमेट पहनना आवश्यक कर दिया गया है. ऐसे में यह देखा जा रहा है कि लोग फुटपाथ पर बिकने वाले हेलमेट खरीद कर पहनने लगे हैं जो बेहद खतरनाक है. फुटपाथ पर बिकने वाला हेलमेट लेकर कुछ लोग समझते हैं, अब चालान नहीं कटेगा. इस चालाकी में वे भूल जाते हैं कि चालान पुलिस काटती है, लेकिन जान उनके खुद की है.
राजधानी में वर्षों से सड़क सुरक्षा को लेकर काम कर रहे राइज अप संस्था के संचालक ऋषभ आनंद के अनुसार हेलमेट कभी भी फुटपाथ से नहीं खरीदें. रोड साइड जो भी हेलमेट बिकते हैं वह सब-स्टैंडर्ड हेलमेट होते हैं. ऐसे हेलमेट बेहद कमजोर होते हैं. हेलमेट बेहतर है या नहीं इसकी जांच के लिए एक ऐप भी बना हुआ है. ऋषभ के अनुसार एक बेहतर हेलमेट बाजार में 800 से लेकर 1000 तक में मिल जाता है और अपने सिर कr हिफाजत के लिए हमें इतना खर्च करना ही चाहिए.
हेलमेट में कंजूसी
राजधानी रांची के सड़कों पर एक लाख रुपए से लेकर 15 लाख रुपए तक के बाइक नजर आते हैं लेकिन यही लोग हेलमेट खरीदने में कंजूसी दिखा जाते हैं जो उनके जान पर आफत बन जाती है. रांची के सहजानंद चौक, जगरनाथपुर थाना के सामने, डोरंडा, कर्बला चौक, सुजाता चौक के पास अक्सर फुटपाथ और ठेला पर हेलमेट की दुकान सजी हुई रहती है. यहां नामी कंपनियों के डब्बे रहते हैं, लेकिन हेलमेट में कोई जान नहीं. जिस कंपनी के ऑरिजनल हेलमेट के दाम दो हजार रुपये होते हैं वह मात्र 200 से 500 रुपए में फुटपाथ पर मिल जाता है.
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क्यों जरूरी है बेहतर हेलमेट
ब्रेन खोपड़ी के अंदर सुरक्षित रहता है, हादसों में कमजोर हेलमेट टूट जाते हैं और चोट सीधे ब्रेन को लगती है, जिससे उसकी कई कोशिका स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिसे ठीक करना कभी कभी बेहद मुश्किल होता है. दिमाग में चोट लगने की वजह से खून का थक्का जम जाता है और यह धीरे-धीरे इंसान को मौत की आगोश में ले जाता है. यह सही है कि दुर्घटना कभी बताकर नहीं आती, जब दुर्घटना होनी होती है तो उसे रोकना भी मुश्किल होता है. अगर हम स्वयं जागरूक रहें तो दुर्घटना होने के बाद उससे होने वाले नुकसान को काफी कम कर सकते हैं.
मजबूत हेलमेट पहने के बाद रोड से सिर टकराता भी है तो बड़ा नुकसान नहीं होता. यह बात अब सभी जानते हैं लेकिन इसके बावजूद राजधानी रांची का युवा अपनी जिंदगी से खेल रहे हैं. हेलमेट से हादसे तो रुक नहीं सकते हैं मगर इन हादसों की वजह से जान का खतरा कम हो सकता है. रांची के ट्रैफिक एसपी अनुसार अगर आप नकली हेलमेट पहनकर हादसे का शिकार हो जाते हैं तो यह जान लीजिए कि आपके परिवार वालों को मिलने वाली मुआवजे की राशि से भी हाथ धोना पड़ सकता है. इंश्योरेंस करने वाली कंपनियां हादसों पर जांच के समय यह भी देखती हैं कि मृतक ने उस दौरान हेलमेट मानक के अनुरूप पहना था या नहीं.
क्या कहते हैं आंकड़े
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 3 सालों में केवल राजधानी रांची में सड़क दुर्घटना में 540 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 300 लोगों की मौत बाइक दुर्घटना में हुई है, जिन लोगों की मौत हुई है उनमें पीलियन राइडर्स भी शामिल हैं. दुर्घटना में सबसे अधिक जान गंवाने वाले बाइक सवार थे जो बिना हेलमेट या फिर नकली हेलमेट पहनकर बाइक चला रहे थे. तेज रफ्तार और नकली हेलमेट सड़क हादसों में होने वाली मौत की सबसे बड़ी वजह है.
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हेलमेट खरीदते समय रखें ध्यान
जानकार बताते हैं कि हेलमेट खरीदते समय सबसे ज्यादा ध्यान में यह बात होनी चाहिए कि हेलमेट इंडियन स्टैंडर्ड इंस्टिट्यूट यानी आईएसआई मार्क वाला होना चाहिए. आईएसआई भारतीय मानक ब्यूरो का पुराना नाम है. इन मानकों के पास हुए सभी हेलमेट सुरक्षित माने जाते हैं.
हेलमेट खरीदते वक्त हमेशा साइज और शेप का विशेष ध्यान रखें क्योंकि यदि आपने हेलमेट बड़े साइज का लिया तो किसी दुर्घटना के दौरान झटका लगने से वह सिर से बाहर निकल सकता है. अगर आप ज्यादा टाइट हेलमेट खरीद लेते हैं तो ज्यादा देर तक हेलमेट लगाए रखने में आपको परेशानी होगी और इसकी वजह से आपके कान और सिर में दर्द भी हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि आप परफेक्ट साइज का हेलमेट खरीदें यानी हेलमेट खरीदते के समय पूरा समय दें. वहीं, जब भी हेलमेट खरीदें तो उसकी प्राप्ति रसीद जरूर लें उस रसीद में हेलमेट के मानकों का जिक्र होता है.