रांची: झारखंड में बालू के दाम आसमान छू रहे हैं. सालाना करीब 300 करोड़ राजस्व देने वाले इस सेक्टर पर माफिया राज कायम हैं. यही वजह है कि हर दिन बालू का दाम मनमाने ढंग से बढ़ रहा है. बालू के इस काले कारोबार का रैकेट कितना बड़ा है उसको इस आंकड़े से समझा जा सकता है. सरकारी आंकड़े के मुताबिक राज्य में केवल 46 बालू घाट हैं जबकि अनाधिकृत रूप से इनकी संख्या 400 से ज्यादा है.
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आम जनता को नुकसान: अनाधिकृत रुप से हो रहे बालू खनन में दलाल और माफिया की मिलीभगत का खामियाजा आम जनता उठा रही है. हालत यह है कि 350 सीएफटी बालू 12 से 15 हजार रुपया तक में मिल रहा है. सरकार ने इसपर रोकथाम लगाने के लिए सभी बालू घाटों का जिला के माध्यम से टेंडर निकालकर नीलामी करने का फैसला लिया मगर पंचायत चुनाव आचार संहिता के कारण सरकार की यह मांग भी निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव समाप्त होने तक रोक दिया है.
जारी रहेगा बालू संकट: निर्वाचन आयोग के सचिव राधेश्याम प्रसाद का कहना है कि विभाग से मांगी गई सहमति को आयोग ने अस्वीकृत कर दिया है. निर्वाचन आयोग के इस फैसले के बाद जून के प्रथम सप्ताह तक बालू का टेंडर नहीं हो सकेगा. इसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनबीटी हर वर्ष 10 जून से 15 अक्टूबर तक बरसात के कारण बालू खनन या उठाव पर पाबंदी लगाता रहा है ऐसे में बालू का संकट जारी रहेगा.
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विभाग की ऑनलाइन बुकिंग फेल: झारखंड में बालू की ऑनलाइन बुकिंग फेल हो चुकी है इस वजह से राज्य में बालू का अवैध कारोबार एक बार फिर जोरों पर चल रहा है. बालू घाट से लेकर बाजारों तक बालू माफिया सक्रिय हैं और इस काम में पुलिस प्रशासन के अलावे कई सफेदपोश भी शामिल हैं. जिसके कारण बालू घाटों से अवैध खनन कर बालू माफिया मनमाने दामों में बाजारों में बालू बेचे जा रहे हैं. पुलिस प्रशासन और बालू माफिया की मिलीभगत से चल रहे इस धंधे में कई सफेदपोश भी शामिल हैं जिनकी पहुंच सत्ता की गलियारों तक है जिसके कारण सरकार की सारी व्यवस्थाएं धरी की धरी रह जाती है. चैम्बर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष दीनदयाल वर्णवाल की मानें तो बालू के दामों में आये उछाल के पीछे बिचौलियों का हाथ है. सरकार इस पर अंकुश लगाने में पूरी तरह फेल हो चुकी है.
बालू पर होती रही है सियासत: बालू को लेकर सियासत होती रही है.सदन से लेकर सड़क तक में सत्तापक्ष और विपक्ष आमने सामने होती रही है. एक बार बालू की हो रही जमकर कालाबाजारी पर राजनीति तेज हो गई है. बीजेपी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि राज्य सरकार के संरक्षण में सुनियोजित रुप से बालू माफिया कालाबजारी में जुटे हैं जो मनमाने दामों पर बालू बेच रहे हैं. बीजेपी मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने सरकारी सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की घोषणा पर अब लोगों का विश्वास उठ चुका है.सरकार को मालूम था कि पंचायत चुनाव हो रहे हैं इसके बाबजूद टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई जो कहीं से भी उचित नहीं था.
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इधर कांग्रेस ने बीजेपी के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा है बालू का खेल बीजेपी राज में किस कदर होता रहा है वह बताने की जरूरत नहीं है. कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा है कि सरकार ने लोगों को बालू सहज तरीके से मिले इसकी व्यवस्था भी की थी और उसके बाद टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी मगर पंचायत चुनाव के कारण यह रूका है मगर जैसे ही पंचायत चुनाव खत्म होंगे लोगों को बालू सहजता से मिलने लगेगा. बहरहाल बालू को लेकर खेल जारी है. माफिया सक्रिय है और जनता त्रस्त है. ऐसे में सरकारी स्तर पर जबतक ईमानदारी से पहल नहीं की जायेगी तबतक बालू माफिया का राज बालू घाटों पर बनी रहेगी और जनता महंगे दरों पर बालू खरीदने को विवश होती रहेगी.