ETV Bharat / city

लॉकडाउन में कैब चालकों का रुका पहिया, सरकार से लगाई मदद की गुहार

इंसान अपना जीवन जीने के लिए कमाता है, लेकिन कोरोना के आने के बाद लोगों ने जीने के लिए कमाना छोड़ दिया है. ऐसा ही हाल हो गया है कैब चालकों का. देश में 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ने के साथ कैब चालकों की दिक्कतें बढ़ गईं हैं. सरकार से लेकर कंपनी तक कोई इनकी सुध नहीं ले रहा है.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया
author img

By

Published : Apr 23, 2020, 5:03 PM IST

रांची: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. पूरे देश में लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए घरों मैं बैठे हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद ऐसे लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रहीं हैं जो रोज कमाने-खाने वाले हैं. इसी में शामिल हैं राज्य के हजारों कैब ड्राइवर, जो अपनी कारों से शहर के विभिन्न चौक-चौराहों और गलियों में जाकर यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाते हैं.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

24 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के कारण शहर में कैब पर ब्रेक तो लगी ही है, साथ ही साथ इनके जीवन की गाड़ी पर भी अचानक ब्रेक लग गई है. राजधानी में ढाई हजार से ज्यादा लोग कैब के व्यापार से जुड़े हैं, वहीं राज्य में लगभग दस हज़ार लोग कैब चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं. कैब व्यापार से जुड़े कुछ लोग विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से अपना वाहन चलवाते हैं, तो कुछ खुद ही अपनी गाड़ी चलाते हैं.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

प्रदेश टैक्सी यूनियन की मांग

लॉकडाउन होने के कारण राज्य में वाहन से जुड़े काम कर रहे सभी एजेंसियां बंद पड़ी हैं. खासकर ओला, उबर और निजी वाहन चालक इस लॉकडाउन की वजह से तंगी की हालत में जीने को मजबूर हो गए हैं. झारखंड प्रदेश टैक्सी यूनियन के उपाध्यक्ष नीरज सिंह ने कहा कि पिछले 30 दिनों से कोई बुकिंग नहीं होने के कारण हम चालकों की आमदनी समाप्त हो गई है. ऐसे में हमें अपने वाहनों का लोन चुकाना महंगा पड़ रहा है.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

ये भी पढ़ें- EXCLUSIVE: गांवों में पटरी पर लौटने लगी जिंदगी, मनरेगा का काम शुरू

वहीं, उन्होंने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि ओला और अन्य कंपनियों के कैब चालकों के लिये सरकार विशेष ध्यान दें, क्योंकि राजधानी सहित पूरे राज्य में 80% वाहन चालक लोन पर ही गाड़ी खरीद कर इस व्यापार से जुड़े हैं. ऐसे में उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण के अलावे गाड़ी का लोन चुकाने के लिए भी दिन रात मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन लॉकडाउन के कारण न तो वह मेहनत कर पैसा कमा पा रहे हैं और न ही उन्हें सरकारी स्तर पर किसी तरह का लाभ मिल पा रहा है.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

टैक्सी और ऑटो चालक संघ की मांग

वहीं टैक्सी और ऑटो चालक संघ के नेता दिनेश सोनी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान एयरपोर्ट, स्टेशन और बस स्टैंड बंद होने की वजह से टैक्सी ड्राइवर्स का व्यापार भी बंद हो गया है. इसलिये राज्य सरकार को ऐसे टैक्सी ड्राइवर्स पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

ये भी पढ़ें- गुजरात से पैदल चलकर पहुंचे झारखंड के 21 मजदूर, अब ग्रीन जोन को लेकर चिंतित

गौरतलब है कि राजधानी के हजारों कैब चालक इस लॉकडाउन के दौरान अपनी गाड़ियों को घरों पर खड़े रखने के लिए मजबूर हैं, लेकिन ऐसे में यह भी जरूरी है कि जो गरीब चालक ऐसे संकट के समय में वाहनों को घर में रखकर सरकार की अपील को मान रहे हैं, वैसे चालकों के लिए भी राज्य सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए, ताकि वह अपने वाहनों का लोन और परिवार का भरण-पोषण कर सके.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

राज्य के तीन शहरों में चलती है कैब

आपको बता दें कि झारखंड में सबसे ज्यादा कैब चालकों की संख्या राजधानी रांची में है. इसके अलावा बोकारो, जमशेदपुर और धनबाद में भी कैब चलाने के व्यापार से लोग जुड़े हुए हैं. लेकिन राजधानी रांची में राज्य के विभिन्न जिलों के लोग आकर कैब चलाने का काम करते हैं. ऐसे में बाहर से आये कैब चालकों के लिए लॉकडाउन में और भी दिक्कतें बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें घर में बैठकर गाड़ी का लोन के साथ-साथ घर का भी किराया देना पड़ रहा है.

लॉकडाउन के दौरान कैब चालकों की विशेष मांग

  • तत्काल ड्राइवरों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाये
  • पांच हजार तक की आर्थिक सहायता सरकार के द्वारा प्रदान की जाए.
  • तीन महीने का गाड़ियों के लोन का इंस्टॉलमेंट (EMI) माफ कराया जाए.
  • रोड टैक्स का फाइन माफ किया जाए.
  • गाड़ियों के इंश्योरेंस के डेट को बढ़ाया जाए.

रांची: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. पूरे देश में लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए घरों मैं बैठे हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद ऐसे लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रहीं हैं जो रोज कमाने-खाने वाले हैं. इसी में शामिल हैं राज्य के हजारों कैब ड्राइवर, जो अपनी कारों से शहर के विभिन्न चौक-चौराहों और गलियों में जाकर यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाते हैं.

वीडियो में देखिए स्पेशल रिपोर्ट

24 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के कारण शहर में कैब पर ब्रेक तो लगी ही है, साथ ही साथ इनके जीवन की गाड़ी पर भी अचानक ब्रेक लग गई है. राजधानी में ढाई हजार से ज्यादा लोग कैब के व्यापार से जुड़े हैं, वहीं राज्य में लगभग दस हज़ार लोग कैब चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं. कैब व्यापार से जुड़े कुछ लोग विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से अपना वाहन चलवाते हैं, तो कुछ खुद ही अपनी गाड़ी चलाते हैं.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

प्रदेश टैक्सी यूनियन की मांग

लॉकडाउन होने के कारण राज्य में वाहन से जुड़े काम कर रहे सभी एजेंसियां बंद पड़ी हैं. खासकर ओला, उबर और निजी वाहन चालक इस लॉकडाउन की वजह से तंगी की हालत में जीने को मजबूर हो गए हैं. झारखंड प्रदेश टैक्सी यूनियन के उपाध्यक्ष नीरज सिंह ने कहा कि पिछले 30 दिनों से कोई बुकिंग नहीं होने के कारण हम चालकों की आमदनी समाप्त हो गई है. ऐसे में हमें अपने वाहनों का लोन चुकाना महंगा पड़ रहा है.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

ये भी पढ़ें- EXCLUSIVE: गांवों में पटरी पर लौटने लगी जिंदगी, मनरेगा का काम शुरू

वहीं, उन्होंने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि ओला और अन्य कंपनियों के कैब चालकों के लिये सरकार विशेष ध्यान दें, क्योंकि राजधानी सहित पूरे राज्य में 80% वाहन चालक लोन पर ही गाड़ी खरीद कर इस व्यापार से जुड़े हैं. ऐसे में उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण के अलावे गाड़ी का लोन चुकाने के लिए भी दिन रात मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन लॉकडाउन के कारण न तो वह मेहनत कर पैसा कमा पा रहे हैं और न ही उन्हें सरकारी स्तर पर किसी तरह का लाभ मिल पा रहा है.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

टैक्सी और ऑटो चालक संघ की मांग

वहीं टैक्सी और ऑटो चालक संघ के नेता दिनेश सोनी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान एयरपोर्ट, स्टेशन और बस स्टैंड बंद होने की वजह से टैक्सी ड्राइवर्स का व्यापार भी बंद हो गया है. इसलिये राज्य सरकार को ऐसे टैक्सी ड्राइवर्स पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

ये भी पढ़ें- गुजरात से पैदल चलकर पहुंचे झारखंड के 21 मजदूर, अब ग्रीन जोन को लेकर चिंतित

गौरतलब है कि राजधानी के हजारों कैब चालक इस लॉकडाउन के दौरान अपनी गाड़ियों को घरों पर खड़े रखने के लिए मजबूर हैं, लेकिन ऐसे में यह भी जरूरी है कि जो गरीब चालक ऐसे संकट के समय में वाहनों को घर में रखकर सरकार की अपील को मान रहे हैं, वैसे चालकों के लिए भी राज्य सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए, ताकि वह अपने वाहनों का लोन और परिवार का भरण-पोषण कर सके.

condition of cab drivers
कैब चलकों का रुका पहिया

राज्य के तीन शहरों में चलती है कैब

आपको बता दें कि झारखंड में सबसे ज्यादा कैब चालकों की संख्या राजधानी रांची में है. इसके अलावा बोकारो, जमशेदपुर और धनबाद में भी कैब चलाने के व्यापार से लोग जुड़े हुए हैं. लेकिन राजधानी रांची में राज्य के विभिन्न जिलों के लोग आकर कैब चलाने का काम करते हैं. ऐसे में बाहर से आये कैब चालकों के लिए लॉकडाउन में और भी दिक्कतें बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें घर में बैठकर गाड़ी का लोन के साथ-साथ घर का भी किराया देना पड़ रहा है.

लॉकडाउन के दौरान कैब चालकों की विशेष मांग

  • तत्काल ड्राइवरों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाये
  • पांच हजार तक की आर्थिक सहायता सरकार के द्वारा प्रदान की जाए.
  • तीन महीने का गाड़ियों के लोन का इंस्टॉलमेंट (EMI) माफ कराया जाए.
  • रोड टैक्स का फाइन माफ किया जाए.
  • गाड़ियों के इंश्योरेंस के डेट को बढ़ाया जाए.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.