रांची: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में लॉकडाउन जारी है. पूरे देश में लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए घरों मैं बैठे हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद ऐसे लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रहीं हैं जो रोज कमाने-खाने वाले हैं. इसी में शामिल हैं राज्य के हजारों कैब ड्राइवर, जो अपनी कारों से शहर के विभिन्न चौक-चौराहों और गलियों में जाकर यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाते हैं.
24 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के कारण शहर में कैब पर ब्रेक तो लगी ही है, साथ ही साथ इनके जीवन की गाड़ी पर भी अचानक ब्रेक लग गई है. राजधानी में ढाई हजार से ज्यादा लोग कैब के व्यापार से जुड़े हैं, वहीं राज्य में लगभग दस हज़ार लोग कैब चलाकर अपना जीवन यापन करते हैं. कैब व्यापार से जुड़े कुछ लोग विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से अपना वाहन चलवाते हैं, तो कुछ खुद ही अपनी गाड़ी चलाते हैं.
प्रदेश टैक्सी यूनियन की मांग
लॉकडाउन होने के कारण राज्य में वाहन से जुड़े काम कर रहे सभी एजेंसियां बंद पड़ी हैं. खासकर ओला, उबर और निजी वाहन चालक इस लॉकडाउन की वजह से तंगी की हालत में जीने को मजबूर हो गए हैं. झारखंड प्रदेश टैक्सी यूनियन के उपाध्यक्ष नीरज सिंह ने कहा कि पिछले 30 दिनों से कोई बुकिंग नहीं होने के कारण हम चालकों की आमदनी समाप्त हो गई है. ऐसे में हमें अपने वाहनों का लोन चुकाना महंगा पड़ रहा है.
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वहीं, उन्होंने राज्य सरकार से मांग करते हुए कहा कि ओला और अन्य कंपनियों के कैब चालकों के लिये सरकार विशेष ध्यान दें, क्योंकि राजधानी सहित पूरे राज्य में 80% वाहन चालक लोन पर ही गाड़ी खरीद कर इस व्यापार से जुड़े हैं. ऐसे में उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण के अलावे गाड़ी का लोन चुकाने के लिए भी दिन रात मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन लॉकडाउन के कारण न तो वह मेहनत कर पैसा कमा पा रहे हैं और न ही उन्हें सरकारी स्तर पर किसी तरह का लाभ मिल पा रहा है.
टैक्सी और ऑटो चालक संघ की मांग
वहीं टैक्सी और ऑटो चालक संघ के नेता दिनेश सोनी बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान एयरपोर्ट, स्टेशन और बस स्टैंड बंद होने की वजह से टैक्सी ड्राइवर्स का व्यापार भी बंद हो गया है. इसलिये राज्य सरकार को ऐसे टैक्सी ड्राइवर्स पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
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गौरतलब है कि राजधानी के हजारों कैब चालक इस लॉकडाउन के दौरान अपनी गाड़ियों को घरों पर खड़े रखने के लिए मजबूर हैं, लेकिन ऐसे में यह भी जरूरी है कि जो गरीब चालक ऐसे संकट के समय में वाहनों को घर में रखकर सरकार की अपील को मान रहे हैं, वैसे चालकों के लिए भी राज्य सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए, ताकि वह अपने वाहनों का लोन और परिवार का भरण-पोषण कर सके.
राज्य के तीन शहरों में चलती है कैब
आपको बता दें कि झारखंड में सबसे ज्यादा कैब चालकों की संख्या राजधानी रांची में है. इसके अलावा बोकारो, जमशेदपुर और धनबाद में भी कैब चलाने के व्यापार से लोग जुड़े हुए हैं. लेकिन राजधानी रांची में राज्य के विभिन्न जिलों के लोग आकर कैब चलाने का काम करते हैं. ऐसे में बाहर से आये कैब चालकों के लिए लॉकडाउन में और भी दिक्कतें बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें घर में बैठकर गाड़ी का लोन के साथ-साथ घर का भी किराया देना पड़ रहा है.
लॉकडाउन के दौरान कैब चालकों की विशेष मांग
- तत्काल ड्राइवरों के लिए भोजन की व्यवस्था की जाये
- पांच हजार तक की आर्थिक सहायता सरकार के द्वारा प्रदान की जाए.
- तीन महीने का गाड़ियों के लोन का इंस्टॉलमेंट (EMI) माफ कराया जाए.
- रोड टैक्स का फाइन माफ किया जाए.
- गाड़ियों के इंश्योरेंस के डेट को बढ़ाया जाए.