रांचीः किसी भी मरीज के वेंटिलेटर पर जाने का मतलब है कि उसकी स्थिति गंभीर है. कोरोना की दूसरी और खतरनाक लहर में जब वायरस का नया स्ट्रेन तेजी से मरीज को गिरफ्त में लेता है. डॉक्टर उसकी जान बचाने के लिए वेंटिलेटर की सहायता लेते हैं. जिस अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा 15 वेंटिलेटर को ही ऑक्सीजन सप्लाई का साधन मैनीफोल्ड (manifold) मशीन कम उपलब्ध हो. फिर सवाल उठता है कि आज की तारीख में 30 वेंटिलेटर पर मरीज कैसे हैं और किस हालात में हैं?
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क्या है पूरा मामला
रांची सदर अस्पताल के कोविड सेंटर में पीएम केअर फंड और स्थानीय स्तर पर खरीदारी कर वेंटिलेटर की संख्या 38 हो गई है. पर इन वेंटिलेटर को सही मात्रा में निर्बाध ऑक्सीजन सप्लाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गई है. विशेषज्ञ कहते हैं कि एक मैनीफोल्ड (manifold) मशीन से ज्यादा से ज्यादा 6-7 वेंटिलेटर को सही प्रेशर के साथ ऑक्सीजन सप्लाई की जा सकती है. अगर इस तरह देखें तो सदर अस्पताल को कम से कम 5 मैनीफोल्ड मशीन चाहिए. पर हकीकत यही है कि सदर में 3 मैनीफोल्ड मशीन ही है, जिसमें से भी एक खराब है या उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है.
सही प्रेशर से ऑक्सीजन ना मिले तो बंद हो जाता है वेंटिलेटर, खतरे में आ सकती है मरीजों की जान
इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. सव्यसाची मंडल से सवाल किया. वेंटिलेटर और मैनीफोल्ड मशीन से हो रहे ऑक्सीजन सप्लाई में परेशानी के सवाल पर उन्होंने माना कि वर्तमान में जितना ऑक्सीजन मैनीफोल्ड मशीन है, उसमें ज्यादा से ज्यादा 15 वेंटिलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, पर अभी सदर कोविड सेंटर में 30 मरीज वेंटिलेटर पर हैं.
कई बार काफी कम हो जाता है ऑक्सीजन का प्रेशर
डॉ. सव्यसाची मंडल ने ईटीवी भारत से कहा कि प्रशासन को जानकारी दी गई है. अभी जितना मनिफोल्ड है, उससे ज्यादा से ज्यादा 15 वेंटिलेटर चलाया जा सकता है. सदर अस्पताल धीरे-धीरे वेंटिलेटर की संख्या भी कम करता जाएगा. ऑक्सीजन प्रेशर घटने पर मरीजों को परेशानी से बचाने के लिए वेंटिलेटर के पास बड़ा जम्बो साइज सिलेंडर भी रखा गया है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
ईटीवी भारत ने इस गंभीर मुद्दे को रांची के सिविल सर्जन के सामने रखा तो उन्होंने तीनों ऑक्सीजन मैनीफोल्ड मशीन के ठीक होने के दावा किया. साथ ही यह माना कि इनको चलाने के लिए 600 डी-टाइप ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए. जबकि सदर अस्पताल के पास महज 487 सिलेंडर ही हैं. सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार ने जल्द सदर अस्पताल में 20000लीटर/मिनट क्षमता वाली ऑक्सीजन स्टेशन सीएमपीडीआई (CMPDI) के सीएसआर (CSR) से बनाया जाएगा.
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क्या है और कैसे काम करता है मैनीफोल्ड
एक स्थान पर रखकर ऑक्सीजन सिलेंडर को रखकर उनको कंट्रोल पैनल से जोड़ा जाता है. जिसमें एक साथ कई सिलेंडर एक-दूसरे से पाइप के माध्यम से अटैच होते हैं. कई सिलेंडर से एक साथ गैस निकलने से ऑक्सीजन का दवाब या प्रेशर काफी ज्यादा हो जाता है. इस प्रक्रिया को मैनीफोल्ड कहा जाता है. इसमें जो भी सिलेंडर लगाए जाते हैं, उनको रिफिल करवाकर भरा जाता है. मैनीफोल्ड के जरिए पाइप लाइन के माध्यम से मरीजों के बेड तक ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है. एक मैनीफोल्ड से 6-7 वेंटिलेटर को ही सही प्रेशर से ऑक्सीजन की सप्लाई कर पाता है.