रांची: झारखंड सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक आदेश निकाला गया है. विभागीय स्तर पर एक पत्र के माध्यम से कहा गया है कि सभी स्कूल मिड डे मील से जुड़े खाद्यान्न के खाली बोरा इकट्ठा करें और उसे बेचने की व्यवस्था करें. इस आदेश के बाद शिक्षकों में आक्रोश है.
इसे भी पढे़ं: झारखंड को नई शिक्षा नीति से क्या मिलेगा लाभ, जाने विशेषज्ञों की राय
कोरोना महामारी के दौरान भी शिक्षकों से कई ऐसे काम लिए गए हैं. जिसका शिक्षकों ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. पढ़ाने के अलावा शिक्षकों को कोरोना का टीकाकरण के साथ ही चुनाव कार्य, मतगणना, पशु गणना, आर्थिक सर्वे, राशन कार्ड सत्यापन, बीपीएल सर्वे, भवन निर्माण, चावल वितरण, डाटा एंट्री में भी लगाया गया. शिक्षकों को शिक्षा विभाग समय-समय पर कार्यभार देते रहती है. इससे शिक्षक काफी परेशान रहते हैं. इसे लेकर शिक्षकों ने कई बार आवाज भी उठाई है .
शिक्षकों को दिया गया 15 दिनों का समय
शिक्षा विभाग के निर्देश पर मध्यान भोजन प्राधिकरण की ओर से जिला शिक्षा पदाधिकारियों को एक पत्र भेजा गया है. जिसमें कहा गया है कि स्कूलों में एमडीएम से जुड़े खाद्यान्न के खाली बोरे इकट्ठा कर उसे बेचने की व्यवस्था सरकारी स्कूलों के शिक्षक करें. खाली बोरा बेचने के बाद जो राशि मिलेगी उसे सरस्वती वाहिनी संचालन समिति के खाते में जमा करने का आदेश भी जारी किया गया है. इस निर्देश के तहत 15 दिनों के अंदर यह काम करने का लक्ष्य दिया गया है.
इसे भी पढे़ं: जेपीएससी सातवीं से लेकर दसवीं सिविल सेवा पीटी परीक्षा का रिजल्ट जारी
मुख्यमंत्री को कराया जाएगा मामले से अवगत
इस निर्देश के बाद राज्य के निजी स्कूलों के शिक्षकों में भी आक्रोश है. उनकी मानें तो राज्य सरकार पठन-पाठन के अलावा इन शिक्षकों से कई तरह के काम ले रही है. जिससे बच्चों का पठन-पाठन बाधित हो रहा है. इस ओर शिक्षा विभाग का ध्यान नहीं है. यह मामला काफी गंभीर है. वहीं मामले को लेकर शिक्षक गोलबंद होंगे और शिक्षकों से जुड़े संघ मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर इस पर संज्ञान लेने की अपील करेंगे.