रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ज्रेडा के तत्कालीन निदेशक निरंजन कुमार, तत्कालीन परियोजना निदेशक अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और जरेडा में प्रतिनियुक्त रहे विद्युत कार्यपालक अभियंता श्रीराम सिंह के विरुद्ध कांड दर्ज करने और दिए गए सुझाव के साथ अनुसंधान करने के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है. ज्रेडा में पदस्थापित रहे इन तीनों पदाधिकारियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने का आरोप है.
प्रारंभिक जांच हो चुकी है पूरी
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निरंजन कुमार, तत्कालीन निदेशक, झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड (अतिरिक्त प्रभार-प्रबंधन निदेशक, झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड), अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद, तदेन परियोजना निदेशक, श्रीराम सिंह, विद्युत कार्यपालक अभियंता, टीवीएनएल ( प्रतिनियुक्ति-ज्रेडा) के पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार करने के आरोप के मामले में कांड दर्ज करने और दिए गए दो सुझावों के साथ अनुसंधान के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. इन सुझावों के तहत अनुसंधानकर्ता द्वारा अनुसंधान के क्रम में सभी आरोपी पदाधिकारियों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा. अनुसंधान और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा ऊर्जा विभाग के द्वारा इस मामले को लेकर गठित समिति के प्रतिवेदन में दिए गए तथ्यों को विचारित करेगा.
एसीबी ने की है प्रारंभिक जांच
ज्रेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा एसीबी ने जून के पहले हफ्ते में कर दी थी. एसीबी ने पूरे मामले में पीई जांच के बाद अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल और निगरानी विभाग को भेजी थी. विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में 170 करोड़ की अनियमितता के मामले में निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा की गई थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद निरंजन कुमार के खिलाफ एसीबी ने 170 करोड़ की अनियमितता से संबंधित पीई दर्ज की थी. शुरुआती जांच में निरंजन कुमार के अलावे श्रीराम सिंह, अरविंद कुमार समेत कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मिली थी. इसके आलोक में मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को प्रारंभिक जांच के लिए प्राधिकृत किया गया था. एसीबी ने परिवाद पत्र में दर्ज सभी आरोपों की प्रारंभिक जांच कर तथ्यों के साथ अब तक उपलब्ध साक्ष्य और दस्तावेजों के आधार पर तीनों पदाधिकारियों के विरुद्ध विस्तृत अनुसंधान के लिए कांड अंकित करने की अनुशंसा की थी.
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प्रशासी विभाग ने समिति का किया गठन
एसीबी द्वारा प्रतिवेदन समर्पित किए जाने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग ने उसकी समीक्षा करने के बाद संबंधित प्रशासी विभाग (ऊर्जा) की सहमति/मंतव्य प्राप्त कर कांड दर्ज करने के लिए अनुमति की मांग की गई. इसके लिए ऊर्जा विभाग को जांच प्रतिवेदन भेजा गया. इसके आलोक में ऊर्जा विभाग द्वारा तीनों आरोपी पदाधिकारियों से पक्ष (प्रतिवेदन) मांगा गया. उनके द्वारा पक्ष रखे जाने के बाद विभाग की ओर से उसकी समीक्षा को लेकर समिति का गठन किया गया. इस समिति ने मामले की समीक्षा करने के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग को प्रतिवेदन समर्पित कर दिया. ऐसे में विभागीय मंतव्य को एसीबी द्वारा विचारित करने और कांड दर्ज करने के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ने अपनी सहमति दे दी है.