रांची: विधानसभा चुनाव करीब आते ही राज्य में राजनीतिक पार्टियों का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कुछ इसी तरह झारखंड में भी चुनाव की तारीखों को लेकर सभी पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगाते नजर आ रहे है. विपक्ष के साथ-साथ जेडीयू ने भी बीजेपी की ओर से राज्य में पांच चरणों में चुनाव कराने की मांग का विरोध किया है.
बीजेपी सरकारी तंत्र का दुरूपयोग करना चाहती है
इसे लेकर राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी जेएमएम के महासचिव बताते हैं कि राजस्थान मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में सरकार एक चरण में ही चुनाव करवा रही है. झारखंड में पांच चरणों की मांग करना निश्चित रूप से उनकी गलत मंशा को दर्शाता है. वहीं, कांग्रेस के विधानसभा चुनाव प्रभारी आरपीएन सिंह बताते हैं कि एक तरफ हरियाणा और महाराष्ट्र में एक चरण में चुनाव हो रहा है उसी प्रकार झारखंड में भी एक चरण में चुनाव होना चाहिए. जिस प्रकार से बीजेपी 5 चरणों में चुनाव कराने की बात सोच रही है यह उनके भय और डर को बताता है. क्योंकि उन्हें पता है कि बीजेपी से जनता परेशान हो गई है इसलिए बीजेपी 5 चरणों में चुनाव कराकर सरकारी तंत्र का फायदा उठाना चाहती है.
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जेडीयू और वाम दल ने भी किया विरोध
जेडीयू नेता श्रवन कुमार बताते हैं कि हरियाणा के 90 और महाराष्ट्र के 288 सीटों में जब एक चरण में चुनाव हो सकते हैं तो झारखंड के 81 सीटों पर भी एक चरण में ही चुनाव होना चाहिए. भाकपा माले के वरिष्ठ नेता और राजनीतिक जानकार जनार्दन प्रसाद बताते हैं कि एक तरफ बीजेपी एक चुनाव, एक देश की बात करती है वहीं राज्य में 5 फेज में चुनाव चाहने का क्या मतलब है. झारखंड में 5 चरणों में चुनाव कराने का क्या वजह है इससे स्पष्ट होता है कि सरकार में बैठी भारतीय जनता पार्टी चुनाव में अपने सरकारी तंत्रों और केंद्रीय स्तर के नेताओं का पांच फेजों में गलत तरीके से उपयोग कर चुनाव जीतने का काम करना चाहती है.
चुनाव आयोग लेगा निर्णय-बीजेपी
वहीं इस मामले पर मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी सिंह ने कहा कि विपक्ष में रहनेवाले ऐसी ही भाषा का इस्तेमाल करते हैं. चुनाव कितने चरण में किया जाए इसका फैसला चुनाव आयोग को करना है.