रांची: झारखंड देश का पहला राज्य है जहां धान बीज खरीदने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा. धान बीज वितरण में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत ऐप के माध्यम से निबंधन के वक्त किसानों को आधार कार्ड, जमीन का रसीद और मोबाइल नंबर रखना अनिवार्य होगा. निबंधन के पश्चात ही किसानों को निर्धारित दर पर धान बीज उपलब्ध हो सकेगी.
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इस वर्ष से शुरू की गई ऑनलाइन निबंधन के लिए सरकार ने झारखंड सीड नाम से एक ऐप लांच किया है. ऐप में सर्वप्रथम किसानों को आधार संख्या दर्ज करनी होगी इसके बाद निबंधन की प्रक्रिया शुरू होगी. किसानों के नाम और पते के अलावा जमीन रसीद नंबर इंट्री करने के बाद उनके मोबाइल नंबर पर ओटीपी जाएगा. जिसका वेरिफिकेशन होने के बाद किसान का निबंधन हो सकेगा. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से सबसे ज्यादा फायदा सरकार को इसमें होने वाली गड़बड़ी को रोकने में मिलेगी.
50 फीसदी अनुदान पर मिल रहा धान का बीज: खरीफ मौसम शुरू होने से पहले कृषि विभाग द्वारा रजिस्टर्ड किसानों को धान बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. सरकार के द्वारा प्रति किलो 200 रुपये के मूल्य पर बिकनेवाली हाईब्रिड धान का बीज पचास फीसदी सब्सिडी पर 100 रुपये में लैम्प्स के माध्यम से किसानों को दिया जा रहा है. नामकुम लैम्प्स के मैनेजर नीरज कुमार बताते हैं कि झारखंड देश का पहला राज्य है जहां धान बीज खरीद के लिए किसानों का निबंधन अनिवार्य किया गया है. निबंधित किसान अधिकतम पांच एकड़ जमीन के लिए प्रति एकड़ 06 किलो हाईब्रिड धान अनुदानित दर पर खरीद सकते हैं. अगर पांच एकड़ से ज्यादा जमीन किसी किसान परिवार के पास है तो उन्हें वंशावली बनाकर अलग अलग नाम से निबंधित कराना होगा इसके लिए मोबाइल नंबर भी अलग अलग देना होगा नहीं तो रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकेगा.
बिचौलिए पर लगाम लगने की उम्मीद: सरकार की इस व्यवस्था से बिचौलियों पर लगाम लगने की संभावना है. अधिकारियों का मानना है कि अब तक एक साधारण आवेदन पर मुखिया या कृषि मित्र की अनुशंसा पर धान बीज की खरीद रियायती दर पर कर ली जाती थी, मगर ब्लॉक चेन सिस्टम के लागू होने से जहां पारदर्शिता आएगी वहीं सरकार को यह पता चल जाएगा की धान बीज बिक्री होने के अनुपात में कितनी बुआई हुई है.
आंकड़ों के मुताबिक अब तक राज्यभर में खरीफ मौसम के लिए 101,065 किसानों ने निबंधन कराया है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष चार गुना बीज की मांग होने की उम्मीद है. मई में ही पिछले साल 38,640 क्विंटल धान, अरहर, रागी, मकई, उड़द, मूंग के बीज के आंकड़े को पार कर गया है. नामकुम लैम्प्स पर धान बीज खरीदने पहुंचे किसानों ने सरकार की ऑनलाइन व्यवस्था पर खुशी जताई है. किसान जयमन सिंह तिग्गा मानते हैं कि पहले के अपेक्षा कागजी कार्रवाई ज्यादा हो रही है.
मगर भागदौड़ ज्यादा नहीं करना पड़ता है. इसी तरह से गढखटंगा के किसान दीपक मुंडा बताते हैं कि पहले मुखिया या कृषि मित्र से अनुशंसा कराकर ब्लॉक में जमा करना पड़ता था, जिसमें ज्यादा परेशानी होती थी और समय से बीज नहीं मिल पाता था. मगर अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर लैम्प्स में ही बीज उपलब्ध हो जाता है.
धान खरीद से लेकर धान के बीज तक की आपूर्ति में गड़बड़ी की शिकायतें आती रही हैं जिसकी रोकथाम के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. बहरहाल सरकार के इस पहल का किसानों ने स्वागत किया है और लैम्प्स के माध्यम से रजिष्ट्रेशन कराकर धान का बीज भी रियायती दर पर खरीदने में जुटे हैं.