रांचीः बिजली चोरी रोकने के लिए योजना को केंद्र सरकार ने झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) को हरी झंडी दे दी है. जेबीवीएनएल के अनुसार इस योजना को जमीन पर उतारने पर होने वाले खर्च का आकलन किया जा रहा है. इसके तहत बिजली डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों पर एक विशेष मीटर लगाया जायेगा, जिसके जरिए कुल विद्युत खपत, बिजली की क्षति और चोरी की ऑनलाइन ट्रैकिंग की जा सकेगी.
इस पूरे डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम की मॉनिटरिंग के लिए विशेष सर्वर रहेगा, जहां पल-पल बिजली खपत का पता चलता रहेगा. निगम ने बिजली वितरण और खपत की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए स्मार्ट मीटर लगाने की योजना पर पहले ही काम शुरू कर दिया है. स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को भी सहूलियत होगी और वे मोबाइल की तरह प्री-पेड स्कीम के तहत बिजली इस्तेमाल कर सकेंगे.
बिजली चोरी से हर महीने करोड़ों की चपत
झारखंड बिजली वितरण निगम को राज्य में बड़े पैमाने पर होनेवाली बिजली चोरी से हर महीने करोड़ों की चपत लग रही है. निगम राज्य में बिजली आपूर्ति के लिए हर महीने 500 करोड़ से ज्यादा की रकम सप्लाई कंपनियों को चुकाता है, लेकिन इसके एवज में हर माह साढ़े तीन से चार सौ करोड़ ही राजस्व प्राप्त होता है. बिजली वितरण निगम को बिजली चोरी के अलावा अलग-अलग कारणों से होने वाले लाइन लॉस के चलते बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है. इस समय पूरे झारखंड में लाइन लॉस लगभग 35 प्रतिशत है. निगम का लक्ष्य इसे घटाकर 10 प्रतिशत करने का है. इसके लिए अंडरग्राउंड केबलिंग, एबी केबलिंग आदि का काम चल रहा है.
राज्य में बिजली चोरी के सबसे ज्यादा मामले राज्य के बड़े शहरों रांची, जमशेदपुर, गिरिडीह, धनबाद, हजारीबाग और बोकारो में सामने आते हैं. निगम द्वारा चोरी के खिलाफ लगातार अभियान के बावजूद इसपर रोक नहीं लग पा रही है. बीते 21 सितंबर को राज्य में बिजली चोरी के खिलाफ 4291 स्थानों पर छापेमारी की गयी थी, जिसमें 1,040 स्थानों पर चोरी पकड़ी गयी और कुल 188.95 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.