रांची: हेमंत सरकार अपने कार्यकाल का एक साल पूरा कर चुकी है. अब सरकार से पूछा जा रहा है कि उसने 365 दिनों में जनहित में क्या कुछ किया. इसमें कोई शक नहीं कि मार्च में बजट पास होने के बाद सरकार के फॉर्म में आने से पहले ही कोरोना ने दस्तक दे दी. इसकी वजह से सरकार की प्राथमिकता भी बदल गई. बदले दौर में अगर किसी विभाग की सबसे ज्यादा परीक्षा हुई तो वह है ग्रामीण विकास विभाग. क्योंकि इसी विभाग पर दूसरे प्रदेशों से लौटे ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार से जोड़ने की जिम्मेदारी थी. लिहाजा, इस विभाग के एक साल के रिपोर्ट कार्ड पर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने मंत्री आलमगीर आलम से बात की.
मनरेगा के तहत रिकार्ड रोजगार दिलाया - आलमगीर
मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि सरकार बनने के बाद महामारी की वजह से पूरे देश में कोहराम मचा हुआ था. पहला मकसद था लोगों तक अनाज पहुंचाना और उन्हें रोजगार से जोड़ना. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को रोजगार देने के लिए हर संभव प्रयास किए गए. झारखंड बनने के बाद सबसे ज्यादा 768 लाख मानव दिवस सृजित किए गए. 900 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य है. मनरेगा के तहत रोजगार सृजन के लिए बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, पोटो हो खेल विकास योजना और दीदी बाड़ी योजना शुरू की गई. 26 हजार एकड़ में पौधारोपण हुआ. 1881 खेल मैदान बनाए गए. पांच लाख पोषण वाटिका बनाने का लक्ष्य है. हुनरमंद श्रमिकों को उनके कौशल के अनुरूप अलग-अलग रोजगार से जोड़ा जा रहा है.
भ्रष्ट मनरेगा कर्मियों को क्यों दोबारा किया गया बहाल ?
इसके जवाब में मंत्री आलमगीर ने कहा कि एक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई जरूर होती है. लेकिन आरोपी पक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए. इसलिए वैसे कर्मियों को कमीश्नर के पास पक्ष रखने का अधिकार मुहैया कराया गया. इसी आधार पर कुछ लोगों की सेवा दोबारा बहाल हुई. क्योंकि आरोप किसी पर भी लग सकता है.
रोजगार के बावजूद क्यों हो रहा है मजदूरों का पलायन ?
इस सवाल के जवाब में मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि यह एक स्वभाविक बात है और सब पर लागू होता है. जब किसी को ज्यादा पैसा मिलता है तो वह वहीं जाना चाहता है. फिर भी विभाग के पहल से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन रुका है. सरकार के पहल से मनरेगा की मजदूरी दर 172 रुपए से बढ़ाकर 194 रुपए की गई है. अब राज्य सरकार मजदूरी दर को 250 रुपए करने की कोशिश में जुटी है.
पीएम ग्रामीण आवास योजना के स्वरूप में इंटरफेरेंस क्यों ?
उन्होंने कहा कि लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए उनका विभाग दिनरात काम कर रहा है. इसी का नतीजा है कि पीएम ग्रामीण आवास योजना के क्रियान्वयन के मामले में झारखंड पूरे देश में अव्वल रहा. भारत सरकार के परफॉर्मेंस इंडेक्स के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लक्ष्य के विरूद्ध झारखंड ने सबसे ज्यादा 82.46 प्रतिशत अंक के साथ देश में प्रथम स्थान हासिल किया है. उनसे यह पूछा गया कि आपकी सरकार इस योजना के तहत खपड़ैल छत की बात क्यों कर रही है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था सिर्फ उनके लिए है जो पहाड़ों पर रहते हैं. उनकी तरफ से मिले आवेदन के कारण ही सिर्फ वैसे लोगों के लिए छत के स्वरूप में बदलाव किया जा रहा है.
रोजगार सृजन में जेएसएलपीएस की भूमिका
मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि उनके विभाग के अधीन संचालित झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सहयोग से 2 लाख 62 हजार स्वयं सहायता समूह बन चुके हैं. इन समूहों में करीब 32 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इनके द्वारा तैयार प्रोडक्ट्स को कोविड के दौर में ही पलाश ब्रांड का नाम दिया गया है. फिलहाल इनका टर्नओवर 39 करोड़ के आसपास है, जिसे 2023-24 तक 1 हजार करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य है. मार्केटिंग के लिहाज से बहुत जल्द रिलायंस मार्ट से समझौता भी होने वाला है.
फुलो झानो अभियान से झारखंड का बढ़ा मान
मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी यह पहली सरकार है, जिसका ध्यान सड़कों के किनारे हड़िया बेचने वाली महिलाओं पर गया. अभियान शुरू होने के कुछ माह के भीतर 16,549 महिलाओं का चिन्हित किया जा चुका है. इनमें से 7,175 महिलाओं को ब्याजमुक्त ऋण देकर सम्मानजनक आजीविका से जोड़ा जा चुका है. उन्होंने भरोसा जताया कि मार्च 2021 तक सड़क या बाजार में हड़िया बेचती महिलाएं नजर नहीं आएंगी.
ग्रामीण सड़कों की अनदेखी क्यों ?
इसके जवाब में मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि नौ माह तक सड़क निर्माण की ऑन गोविंग योजनाएं बंद रहीं. बहुत जल्द ग्रामीण सड़क निर्माण से जुड़ी करीब 4800 योजनाओं का डीपीआर तैयार होने जा रहा है. फिलहाल, पूर्व में बनी जर्जर सड़कों की मरम्मती कराना प्राथमिकता है. विभागीय मंत्री का मानना है कि अगले वित्तीय वर्ष से ग्रामीण सड़कों के निर्माण की तस्वीर दिखने लगेगी.