रांची: भगवान बिरसा मुंडा ने रांची की जिस जेल में अंग्रेजों की कैद में रहकर शहादत दी थी उस जेल परिसर को भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय के रूप में विकसित करने का काम लगभग पूरा हो चुका है, झारखंड के गौरवमयी स्वर्णिम इतिहास को खुद में समेटे इस संग्रहालय का 15 नवंबर को सीएम हेमंत सोरेन विधिवत लोकार्पण कर सकते हैं.
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सेल्युलर जेल की झलक
करीब 35 करोड़ की राशि से जुडको द्वारा बनवाये जा रहे बिरसा मुंडा संग्रहालय को अंडमान निकोबार द्वीप समूह के सेल्युलर जेल की तर्ज पर विकसित किया गया है. जेल की सभी दीवारों को पुराने स्वरूप में भी संरक्षित किया गया है. वहीं जिस कमरे में धरती आबा को कैद कर रखा गया था ,उस कमरे में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा लगाई गई है. इसके अलावा जेल परिसर में प्रवेश करते ही बांयी ओर धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की करीब 30 फ़ीट ऊंची प्रतिमा लगाई गयी है जिसे प्रख्यात मूर्तिकार राम सुतार ने बनाया है. जेल परिसर में ही खूंटी के उसी उलिहातू गांव के प्रारूप को दर्शाया गया है जहां भगवान बिरसा का जन्म हुआ था.
जेल में दिखेगा रांची का इतिहास
जेल के प्रवेश गेट पर ही भारत मे अंग्रेजों के आगमन और फिर शासक बनने की जानकारी दी गई है वहीं प्रवेश के साथ ही रांची का इतिहास, धरती आबा के संघर्ष की जानकारी विस्तार से दी गयी है ताकि जब भी पर्यटक खासकर हमारी नई पीढ़ी बिरसा मुंडा संग्रहालय में आये तो वह यह जान सके कि हमें आजादी कितने लंबे संघर्ष और बलिदान के बाद मिली है.
जेल में लेजर लाइट और म्यूजिक शो
रांची के ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित किये जा रहे भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय के पिछले भाग में राज्य के 10 अमर शहीदों की प्रतिमा लगाई गई है वहीं लेजर शो के माध्यम से इन सभी सेनानियों के जीवनी और उनके संघर्ष की दास्तां बताई जाएगी.
बगल में बन रहा है बिरसा स्मृति पार्क
जेल परिसर के बगल में ही बिरसा स्मृति पार्क बन रहा है जिसका निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है, बता दें कि झारखंड में पूर्व की रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में राजधानी के ह्र्दयस्थली में अवस्थित बिरसा मुंडा ओल्ड जेल परिसर को एक हेरिटेज के रूप में विकसित करने का फैसला लिया गया था और अब वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में काम लगभग समाप्त हो चुका है. अब सभी को उम्मीद है कि 15 नवंबर यानि भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस और झारखंड राज्य के स्थापना दिवस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसका लोकार्पण करेंगे ताकि हमारी नई पीढ़ी इस संग्रहालय के जर्रे जर्रे में विद्यमान झारखण्ड के गौरवपूर्ण इतिहास से परिचित हो सके.