रांचीः झारखंड के सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री खरीदने के लिए सरकार अग्रसर है. लेकिन इन स्कूलों में खेलकूद के शिक्षक है ही नहीं. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जिस योजना को धरातल पर लाने के लिए सरकार की ओर से 18 करोड़ 20 लाख रुपये की खेल सामग्री खरीदने की तैयारी है. ऐसे में फिजिकल टीचरों की कमी के कारण क्या यह योजना बेहतर तरीके से संचालित हो पाएगी.
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दरअसल सरकारी स्कूलों में बेहतर खेल सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से 18 करोड़ 20 लाख रुपये का बजट बनाया गया है. इसके तहत झारखंड के प्राथमिक और महाविद्यालयों को 5000 और उच्च विद्यालय को 7000 रुपये खेल सामग्री खरीदने के लिए दिए जाएंगे. इधर विभिन्न शिक्षक संघ और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने राज्य सरकार के इस योजना पर सवाल खड़ा किया है. इनकी मानें तो राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में सालों से फिजिकल टीचरों की कोई नियुक्ति हुई ही नहीं है. वर्ष 2016 में राज्य के 510 हाई स्कूलों के लिए फिजिकल टीचर बहाली की प्रक्रिया शुरू जरूर की गई थी. लेकिन प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के लिए आज तक खेलकूद से जुड़े शिक्षकों की नियुक्ति हुई ही नहीं है.
स्थिति यह है कि 21,113 प्राइमरी स्कूल और 11,559 मिडिल स्कूल के साथ-साथ 1818 माध्यमिक स्कूलों में एक भी फिजिकल टीचर नहीं हैं. इस परेशानी को दूर करने की बजाय राज्य की हेमंत सरकार सरकारी स्कूलों के लिए खेल सामग्री खरीदने में जुट गई है. एक योजना बनाकर राज्य के सरकारी स्कूलों में खेलकूद को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है. जबकि शिक्षकों के बिना स्कूलों में खेलकूद को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. केंद्र सरकार से मिले सहयोग के बाद 35,442 स्कूलों में खेल सामग्री खरीदने की कवायद शुरू भी हो चुकी है. आखिर बिना फिजिकल टीचर के इन खेल सामग्रियों का क्या होगा. रखरखाव कैसे होगा. इसकी कोई योजना सरकार के पास नहीं है. हालांकि शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा है कि स्कूलों के प्रिंसिपल और कुछ जिम्मेदार शिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी दी जा रही है. लेकिन क्या इस समस्या का समाधान इससे होगा यह एक बड़ा सवाल है.
शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने कहा है कि हर साल की तरह इस बार भी खेल सामग्रियों की खरीदारी तो होगी लेकिन उसका उपयोग कैसे होगा यह एक चिंता का विषय है. चुनिंदा खेलों को छोड़ भी दें तो जेवलिन, फुटबॉल, शॉटपुट जैसे खेलों में स्कूली बच्चों को कौन गाइड करेगा. इसे लेकर सरकारी स्तर पर भी कोई प्लान नहीं है. इन खेलों में करियर बनाने के इच्छुक विद्यार्थियों को कौन ट्रेनिंग देगा. इसकी भी चिंता सरकार नहीं कर रही है. ऐसे में सबसे पहले सरकार को खेलकूद से जुड़े शिक्षकों की नियुक्ति पर जोर देना होगा. नहीं तो ऐसी योजनाएं सफल साबित नहीं होंगी.