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करमा पर्व पर भी कोरोना का कहर, फिका हुआ करम महोत्सव का उत्साह

कोरोना संक्रमण के कारण तमाम पर्व त्योहार पर ग्रहण लग गया है. आदिवासियों के महापर्व करम पर भी यह साफ झलक रहा है. कहीं भी गैदरिंग नहीं दिख रही है. हालांकि, गाइडलाइन के साथ पूजा करने की इजाजत जरूर मिली है.

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करम अखड़ा रांची
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Published : Aug 29, 2020, 3:41 PM IST

रांची: इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण तमाम पर्व त्योहार कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया है. इसका साया आदिवासियों के महापर्व करम पर भी देखने को मिल रहा है. रांची के सबसे प्रमुख अखड़ा करम टोली चौक स्थित करम अखड़ा में भी कोई रौनक देखने को नहीं मिल रही है. सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए सरकारी निर्देशों के अनुरूप करम महोत्सव इस वर्ष मनाया जा रहा है.

फिका हुआ करम उत्साह

कहीं भी गैदरिंग नहीं
हर वर्ष राजधानी रांची के करम टोली चौक स्थित करम अखड़ा में लोगों की भीड़ उमड़ती थी. सुबह से ही पूजा-अर्चना और देर रात तक नाच गानों का दौर जारी रहता था. लेकिन इस बार तमाम चीजें बदल गई हैं. सभी पर्व त्योहारों पर कोरोना का साया मंडराता दिखा और करम पर्व के मौके पर भी कोरोना महामारी हावी ही रहा. रांची में करमा पूजा को लेकर कहीं भी गैदरिंग नहीं की जा रही है.

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करम अखड़ा में बैठे सदस्य

ये भी पढ़ें- भाई की रक्षा के लिए बहनें करती हैं करमा की पूजा, अनोखी है कहानी

भाई बहनों के प्रेम का प्रतीक

झारखंड में आदिवासी समाज प्रकृति प्रेम सहित भाई बहनों के प्रेम का प्रतीक पर्व करम महोत्सव बड़ी ही शालीनता के साथ मना रहे हैं. सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए यह पर्व मनाया जा रहा है. शनिवार को सरना धर्म बहनें-भाई उपवास रखते हैं. इस दिन शाम में विधि विधान के साथ भाई करम डाल काटकर नाचते हुए सरनास्थल अखड़ा में स्थापित करते हैं. भाइयों का स्वागत बहन भी नाचते गाते करती हैं और यह पारंपरिक पूजा देर रात तक रीति रिवाज के साथ चलती रहती है.

ये भी पढ़ें- प्रकृति से जुड़ा आदिवासियों का पर्व करमा, भाई-बहन के निश्छल प्यार का है प्रतीक

पूजा अर्चना के दौरान ये है गाइडलाइन

  • पूजा में शामिल लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है.
  • करम पूजा के दौरान पहान और पूजा अर्चना करने वाले लोग ही उपस्थित रहेंगे. वह भी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए.
  • पारंपरिक पूजा से पहले अखड़ा को पूरी तरह साफ सफाई स्वच्छ और सेनेटाइज करने की हिदायत है.
  • मोहल्ले टोले में ही इस पूजा को करने को लेकर प्रशासन ने इजाजत भी दी है.
  • इस बार जावा फूल का उपयोग भी नहीं होगा.

कोरोना महामारी के कारण इस पर्व में भी ग्रहण
35 वर्ष में ऐसा पहली बार हुआ है. जब पहली बार करम पूर्व संध्या कार्यक्रम का आयोजन राजधानी रांची में कहीं भी देखने नहीं मिला. एक दिन पूर्व ही आदिवासी वर्ग के लोग करम महोत्सव के धुन में रहते हैं. तमाम मोहल्ले टोले गली सड़कों पर लोगों की भीड़ उमड़ती है. लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण इस पर्व में भी ग्रहण दिखा.

रांची: इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण तमाम पर्व त्योहार कोरोना महामारी की भेंट चढ़ गया है. इसका साया आदिवासियों के महापर्व करम पर भी देखने को मिल रहा है. रांची के सबसे प्रमुख अखड़ा करम टोली चौक स्थित करम अखड़ा में भी कोई रौनक देखने को नहीं मिल रही है. सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए सरकारी निर्देशों के अनुरूप करम महोत्सव इस वर्ष मनाया जा रहा है.

फिका हुआ करम उत्साह

कहीं भी गैदरिंग नहीं
हर वर्ष राजधानी रांची के करम टोली चौक स्थित करम अखड़ा में लोगों की भीड़ उमड़ती थी. सुबह से ही पूजा-अर्चना और देर रात तक नाच गानों का दौर जारी रहता था. लेकिन इस बार तमाम चीजें बदल गई हैं. सभी पर्व त्योहारों पर कोरोना का साया मंडराता दिखा और करम पर्व के मौके पर भी कोरोना महामारी हावी ही रहा. रांची में करमा पूजा को लेकर कहीं भी गैदरिंग नहीं की जा रही है.

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करम अखड़ा में बैठे सदस्य

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भाई बहनों के प्रेम का प्रतीक

झारखंड में आदिवासी समाज प्रकृति प्रेम सहित भाई बहनों के प्रेम का प्रतीक पर्व करम महोत्सव बड़ी ही शालीनता के साथ मना रहे हैं. सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए यह पर्व मनाया जा रहा है. शनिवार को सरना धर्म बहनें-भाई उपवास रखते हैं. इस दिन शाम में विधि विधान के साथ भाई करम डाल काटकर नाचते हुए सरनास्थल अखड़ा में स्थापित करते हैं. भाइयों का स्वागत बहन भी नाचते गाते करती हैं और यह पारंपरिक पूजा देर रात तक रीति रिवाज के साथ चलती रहती है.

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पूजा अर्चना के दौरान ये है गाइडलाइन

  • पूजा में शामिल लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य किया गया है.
  • करम पूजा के दौरान पहान और पूजा अर्चना करने वाले लोग ही उपस्थित रहेंगे. वह भी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए.
  • पारंपरिक पूजा से पहले अखड़ा को पूरी तरह साफ सफाई स्वच्छ और सेनेटाइज करने की हिदायत है.
  • मोहल्ले टोले में ही इस पूजा को करने को लेकर प्रशासन ने इजाजत भी दी है.
  • इस बार जावा फूल का उपयोग भी नहीं होगा.

कोरोना महामारी के कारण इस पर्व में भी ग्रहण
35 वर्ष में ऐसा पहली बार हुआ है. जब पहली बार करम पूर्व संध्या कार्यक्रम का आयोजन राजधानी रांची में कहीं भी देखने नहीं मिला. एक दिन पूर्व ही आदिवासी वर्ग के लोग करम महोत्सव के धुन में रहते हैं. तमाम मोहल्ले टोले गली सड़कों पर लोगों की भीड़ उमड़ती है. लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण इस पर्व में भी ग्रहण दिखा.

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