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जेल में बंद पूर्व मंत्री से एनआईए ने की पूछताछ, उग्रवादियों से बातचीत का वायरल हुआ था ऑडियो

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Published : Jan 7, 2021, 1:41 AM IST

हाल के दिनों में सोशल मीडिया में एक ऑडियो वारयल हुआ, जिसमें कथित तौर पर पूर्व मंत्री की आवाज थी. ऑडियो में जिक्र था कि टीपीसी से उनका संबंध ठीक हो गया है. टीपीसी ने मगध-आम्रपाली कोल परियोजना में काम बंद कराने में तन-मन और धन से उनका सहयोग किया और फंडिंग भी की.

NIA interrogated former minister jailed in Birsa Munda Prison
जेल में बंद पूर्व मंत्री से एनआईए ने की पूछताछ

रांची: एनआईए ने रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद एक पूर्व मंत्री से पूछताछ की है. जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को एनआईए के अधिकारी जेल पहुंचे थे. जेल में पूर्व मंत्री से उग्रवादी संगठन टीपीसी के साथ संबंधों के पहलू पर एनआईए ने पूछताछ की है.

क्या है मामला
दरअसल, हाल के दिनों में सोशल मीडिया में एक ऑडियो वारयल हुआ, जिसमें कथित तौर पर पूर्व मंत्री की आवाज थी. ऑडियो में जिक्र था कि टीपीसी से उनका संबंध ठीक हो गया है. टीपीसी ने मगध-आम्रपाली कोल परियोजना में काम बंद कराने में तन-मन और धन से उनका सहयोग किया और फंडिंग भी की. साथ ही मंत्री बनाने के लिए 2 से 5 करोड़ देने के लिए भी टीपीसी के लोग तैयार हैं. हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी कि ऑडियो में आवाज किसकी है. एनआईए अब ऑडियो की जांच करा सकती है.

ये भी पढ़ें- जमशेदपुर में 8 जनवरी को कोरोना वैक्सीन का ड्राई रन, तैयारी पूरी

रांची जेल में बंद हैं टेरर फंडिंग के आरोपी
एनआईए की टीम ने साल 2018 से मगध-आम्रपाली परियोजना से टेरर फंडिंग की जांच शुरू की थी. एनआईए ने अपनी जांच के बाद टीपीसी के उग्रवादी कोहराम, सीसीएल-उग्रवादियों और पुलिस के लिए लाइजनर का काम करने वाला सुभान मियां, ट्रांसपोर्टर छोटू सिंह, बिंदू गंझू, विनोद गंझू समेत कई की गिरफ्तारी हुई थी. वर्तमान में छोटू सिंह, बिंदू गंझू, विनोद गंझू रांची जेल में ही बंद हैं.

मगध-आम्रपाली से टेरर फंडिंग की तैयारी तो नहीं

मगध-आम्रपाली कोल परियोजना से टीपीसी और विस्थापित कमेटियों की ओर से टेरर फंडिंग की जाती थी. एनआईए के जांच शुरू किए जाने के बाद कमेटियों को भंग कर दिया गया था. वहीं, टेरर फंडिंग भी पूरी तरह बंद हो गई थी. हाल के दिनों में फिर से मगध-आम्रपाली में संगठित टेरर फंडिंग करने की साजिश के तौर पर पूरी कवायद को देखा जा रहा है. विस्थापितों की ओर से कुछ माह पूर्व काम भी बंद कराया गया था. ऑडियो में भी जिक्र था कि टीपीसी ने काम बंद कराने में सहयोग किया. मामले में जांच आगे बढ़ी तो राजनीतिक-उग्रवादी गठजोड़ के पहलूओं पर खुलासा हो सकता है. ऑडियो में कही जा रही बात और वर्तमान स्थिति और तथ्य एक दूसरे को प्रमाणित कर रहे हैं. इसलिए उच्चस्तरीय जांच जरूरी है.

रांची: एनआईए ने रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद एक पूर्व मंत्री से पूछताछ की है. जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को एनआईए के अधिकारी जेल पहुंचे थे. जेल में पूर्व मंत्री से उग्रवादी संगठन टीपीसी के साथ संबंधों के पहलू पर एनआईए ने पूछताछ की है.

क्या है मामला
दरअसल, हाल के दिनों में सोशल मीडिया में एक ऑडियो वारयल हुआ, जिसमें कथित तौर पर पूर्व मंत्री की आवाज थी. ऑडियो में जिक्र था कि टीपीसी से उनका संबंध ठीक हो गया है. टीपीसी ने मगध-आम्रपाली कोल परियोजना में काम बंद कराने में तन-मन और धन से उनका सहयोग किया और फंडिंग भी की. साथ ही मंत्री बनाने के लिए 2 से 5 करोड़ देने के लिए भी टीपीसी के लोग तैयार हैं. हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी कि ऑडियो में आवाज किसकी है. एनआईए अब ऑडियो की जांच करा सकती है.

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रांची जेल में बंद हैं टेरर फंडिंग के आरोपी
एनआईए की टीम ने साल 2018 से मगध-आम्रपाली परियोजना से टेरर फंडिंग की जांच शुरू की थी. एनआईए ने अपनी जांच के बाद टीपीसी के उग्रवादी कोहराम, सीसीएल-उग्रवादियों और पुलिस के लिए लाइजनर का काम करने वाला सुभान मियां, ट्रांसपोर्टर छोटू सिंह, बिंदू गंझू, विनोद गंझू समेत कई की गिरफ्तारी हुई थी. वर्तमान में छोटू सिंह, बिंदू गंझू, विनोद गंझू रांची जेल में ही बंद हैं.

मगध-आम्रपाली से टेरर फंडिंग की तैयारी तो नहीं

मगध-आम्रपाली कोल परियोजना से टीपीसी और विस्थापित कमेटियों की ओर से टेरर फंडिंग की जाती थी. एनआईए के जांच शुरू किए जाने के बाद कमेटियों को भंग कर दिया गया था. वहीं, टेरर फंडिंग भी पूरी तरह बंद हो गई थी. हाल के दिनों में फिर से मगध-आम्रपाली में संगठित टेरर फंडिंग करने की साजिश के तौर पर पूरी कवायद को देखा जा रहा है. विस्थापितों की ओर से कुछ माह पूर्व काम भी बंद कराया गया था. ऑडियो में भी जिक्र था कि टीपीसी ने काम बंद कराने में सहयोग किया. मामले में जांच आगे बढ़ी तो राजनीतिक-उग्रवादी गठजोड़ के पहलूओं पर खुलासा हो सकता है. ऑडियो में कही जा रही बात और वर्तमान स्थिति और तथ्य एक दूसरे को प्रमाणित कर रहे हैं. इसलिए उच्चस्तरीय जांच जरूरी है.

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