रांची: मगध-आम्रपाली कोल परियोजना में टेरर फंडिंग को लेकर एनआईए ने रांची से ट्रांसपोर्टर सुरेश केडिया और अजय सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. सुरेश केडिया कोलकाता की कंपनी गोदावरी ट्रांसपोर्ट का कामकाज देखता था, जबकि अजय सिंह आधुनिक कंपनी से जुड़ा था.
सबसे बड़ी गिरफ्तारी
टेरर फंडिंग में आधुनिक कंपनी के महाप्रबंधक झारखंड संजय जैन, ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह, सीसीएल के चालक और टेरर फंडिंग के मास्टरमाइंड सुभान मियां के बाद ये अब तक की सबसे बड़ी गिरफ्तारी है.
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पूछताछ के बाद एनआईए ने किया गिरफ्तार
एनआईए सूत्रों के मुताबिक, दोनों ट्रांसपोर्टरों को एनआईए ने नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया था. इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के बाद दोनों ट्रांसपोर्टरों को एनआईए के विशेष न्यायाधीश नवनीत कुमार की अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया है. मामले के अन्य आरोपियों के साथ दोनों की भी पेशी 13 जनवरी को की जाएगी.
कई आरोपियों पर हो चुकी है चार्जशीट
23 अगस्त 2019 को आधुनिक पावर कंपनी के जीएम संजय जैन, ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू, मास्टरमाइंड सुभान खान, नक्सली विंदेश्वरी गंझू उर्फ बिंदू गंझू, प्रदीप राम, अजय सिंह भोक्ता, विनोद गंझू, मुनेश गंझू और बीरवर गंझू के खिलाफ आरोप तय किया जा चुका है.
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14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया था
एनआईए ने मामले में कुल 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था. मामले में टीपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू उर्फ गोपाल सिंह भोक्ता, आक्रमण जी, अनिश्चय गंझू फरार चल रहे. बता दें कि सीसीएल, पुलिस, उग्रवादी और शांति समिति के बीच समन्वय बैठाने की आड़ में मोटी रकम लेवी के रूप में वसूली जाती थी. एनआइए ने टंडवा थाने में दर्ज प्राथमिकी (कांड संख्या 2/16) को टेक ओवर करते हुए कांड संख्या 3/2018 दर्ज किया है.
राशि का अधिकतर हिस्सा टीपीसी को दिया जाता था
एनआईए ने जनवरी 2019 में मास्टरमाइंड सुभान खान समेत 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था. जिसमें तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) को फंड देने कि पुष्टि हुई है. टीपीसी को लेवी देने के लिए ही उसने ऊंची दर पर मगध और आम्रपाली प्रोजेक्ट से कोयला ढुलाई का ठेका लिया था. ऊंची दर पर ली गई राशि का अधिकतर हिस्सा टीपीसी को दिया जाता था.
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कई लोगों से हो चुकी है पूछताछ
एनआईए ने टेरर फंडिंग के मामले में आधुनिक के एमडी महेश अग्रवाल से 9 मार्च 2019 को पूछताछ किया था. वहीं कोल ट्रांसपोर्ट से जुड़े सोनू अग्रवाल, विपिन मिश्र समेत अन्य के यहां भी एनआईए ने पूर्व में छापेमारी की थी. बड़े ट्रांसपोर्टरों की भूमिका पर अभी एनआईए की जांच जारी है.